स्‍वतंत्रता से पहले, मुख्‍यालय तिरुवनंतपुरम के साथ, दक्षि‍ण केरला के अधि‍क तर भाग में ट्रावनकोर रियासत का शासन चलता था जबकि आधुनिक कोचिन, त्रि‍शूर, पालक्‍काडु तथा मलप्‍पुरम के अधि‍कतर भाग पर  कोचिन (कोच्‍ची) रियासत का राज था । जूलाई, 1949 में ये दोनों राज्‍य मिलकर ट्रावनकोर-कोचिन राज्‍य बना था । श्री पी एन पद्मनाभ पिल्‍लाई जो कि  ट्रावनकोर राज्‍य का महालेखाकार था, एकीकृत कार्यालय का अध्‍यक्ष बने रहे और कोचिन राज्‍य के नियंत्रक, श्री गोविंद मेनोन, वरिष्‍ठ उप महालेखाकार के कार्यभार ग्रहण किया था ।

26वीं जनवरी, 1950 में ट्रावनकोर-कोचिन एक भाग-ख राज्‍य बना और अप्रैल 1950 में हुए संघीय वित्‍तीय एकीकरण के साथ- साथ लेखापरीक्षा एवं लेखाकरण कार्य, भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षा का दायित्‍व बन गया । कार्यालय का नाम नियंत्रक, ट्रावनकोर एवं कोचिन बना और तत्कालीन राज्‍य महालेखाकार श्री गोविंद मेनोन, नियंत्रक बन गए । 

नवंबर, 1956 में राज्‍य के पुन:संगठन के साथ-साथ, पूर्व ट्रावनकोर-कोचिन राज्‍य, मलबार जिला एवं कासरगोड ताल्‍लुक मिलकर नया राज्‍य केरला का जन्‍म हुआ था । 1960 में महालेखाकार के स्‍तर पर कार्यालय का उन्‍नयन किया गया था  और श्री एस वासुदेवन, ट्रावनकोर-कोचिन राज्‍य के अंतिम नियंत्रक को केरला के प्रथम महालेखाकार के रूप में नियुक्‍त किया गया था । 

मार्च, 1982 में कार्यालय को दो एककों में पुन:संगठित किया गया था और महालेखाकार I एवं महालेखाकार II के पद पर नामोद्दिष्‍ट किया गया था । महालेखाकार I को केरला सरकार के प्रधान लेखापरीक्षा एवं लेखाकरण अधि‍कारी के  रूप में घोषि‍त किया गया था, और राज्‍य सरकार को मासिक लेखाओं के प्रस्तुतीकरण तथा वित्‍त एवं विनियोग लेखाओं की तैयारी, और लेखापरीक्षा रिपोर्ट (सिविल) के लिए उत्‍तरदायी बनाया । महालेखाकार II को राज्‍य प्राप्‍ति‍यों तथा वाणि‍ज्‍यि‍क उपक्रमों की लेखापरीक्षा का कार्य सुपुर्द किया गया था । 

मार्च 1984 में, कार्यालय को विभिन्न कार्यात्मक वर्गों में पुन:संगठित किया गया था । महालेखाकार (लेखा एवं हकदारी) को राज्‍य सरकार के लेखाकरण तथा हकदारी कार्य सुपुर्द किए गए थे और महालेखाकार (लेखापरीक्षा) को केरला में स्‍थि‍त केंद्र सरकारी कार्यालयों तथा राज्‍य सरकार के संव्‍यवहारों की लेखापरीक्षा सुपुर्द की गयी थी ।

अप्रैल 2012 से प्रभावी मुख्‍य पुनर्गठन के परिणामस्‍वरूप, क्षेत्रवार लेखापरीक्षाएं करनेवाले दो कार्यालयों में लेखापरीक्षा कार्यालयों को पुन:संठि‍त किया गया था । वे हैं, महालेखाकार (सामान्‍य एवं सामाजिक क्षेत्र लेखापरीक्षा) का कार्यालय जो कि मुख्‍यत: केरला सरकार के सामान्‍य एवं सामाजिक क्षेत्र के अंतर्गत वर्गीकृत विभागों/अभि‍करणों/सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों/ स्‍वायत्‍त निकायों के लेखाओं की लेखापरीक्षा के लिए उत्‍तरदायी हैं; और महालेखाकार (आर्थ‍िक एवं राजस्‍व क्षेत्र लेखापरीक्षा) का कार्यालय जो केरला सरकार के आर्थ‍िक एवं राजस्‍व क्षेत्र के अंतर्गत वर्गीकृत विभागों/अभि‍करणों/सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों/ स्‍वायत्‍त निकायों के लेखाओं की लेखापरीक्षा के लिए उत्‍तरदायी हैं । जबकि इन दोनों कार्यालयों का गठन विशिष्‍टत: केरला सरकार से संबंधि‍त लेखापरीक्षा के लिए किया गया था, केरला में कार्यरत केंद्र सरकारी कार्यालयों से संबंधि‍त लेखापरीक्षा, नए रूप से क्षेत्रवार गठित महा निदेशक, लेखापरीक्षा (केंद्रीय), चेन्‍नै नाम के कार्यालय को हस्‍तांतरित किया गया था जिसका एक शाखा कार्यालय कोच्‍ची में स्‍थि‍त है । यह शाखा कार्यालय, केरला में स्‍थि‍त स्‍वायत्‍त निकायों सहित सभी केंद्रीय सरकारी एककों के  व्‍यय तथा प्राप्‍ति‍ लेखापरीक्षा के लिए उत्‍तरदायी है ।

अप्रैल 2020 में, लेखापरीक्षा कार्यालयों को पुन: प्रधान महालेखाकार (लेखापरीक्षा-I) और प्रधान महालेखाकार (लेखापरीक्षा-II) में पुनर्गठित किया गया और प्रत्येक कार्यालय आठ क्‍लस्‍टरों में वर्गीकृत विभागों / अभ‍िकरणों/ सार्वजनिक क्षेत्र  उपक्रमों / स्वायत्त निकायों के लेखाओं की लेखापरीक्षा के लिए उत्‍तरदायी है ।

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