भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (नि. एवं म.लेप.) जो कि भारत के सर्वोच्च लेखापरीक्षा संस्था (साई) का अध्यक्ष है अपने कर्तव्य एवं शक्तियां मुख्यत: भारत के संविधान के अनुच्छेद 149 से 151 तथा नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कर्तव्य, शक्तियां तथा सेवा शर्तें) अधिनियम, 1971 से व्युत्पन्न करते हैं । भारत के संविधान तथा अधिनियम के प्रावधानों के तहत, नियंत्रक-महालेखापरीक्षक केंद्र (संघ) सरकार तथा राज्य सरकारों के लेखाओं की एकमात्र लेखापरीक्षक है । कर्तव्य, शक्तियां तथा सेवा शर्तें (क.श.से) अधिनियम, 1971 में संघ, राज्य तथा संघ शासित क्षेत्रों के समेकित निधि, आकस्मिकता निधि, लोक लेखाओं से संबंधित खाते तथा संव्यवहारों की लेखापरीक्षा के संबंध में नि.एवं म.लेप. के कर्तव्यों की परिभाषा की गयी है ।
संघ तथा राज्यों के लेखाओं से संबंधित नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक के रिपोर्टों को संसद/ राज्य विधानमण्डल के समक्ष प्रस्तुत की जाने के लिए राष्ट्रपति/ राज्य के राज्यपाल को समर्पित की जाती है । सरकारी क्षेत्र में समग्र रूप से एक समान लेखाकरण तथा लेखापरीक्षा नीति सुनिश्चित करने के लिए भी नि.म.लेप. उत्तरदायी हैं । सरकारी विभागों के मार्गदर्शन के लिए, सरकारी लेखाकरण के सामान्य सिद्धांत एवं प्राप्तियों एवं व्यय की लेखापरीक्षा के संबंध में व्यापक सिद्धांत निर्धारित करने के लिए भी अधिनियम नि.म.लेप. को प्राधिकृत करता है । जहां तक निम्न समूहों का संबंध है, प्रधान महालेखाकार (लेखापरीक्षा II), केरला, नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक की तरफ से उपरोक्त कर्तव्यों का निवर्हन करते हैं :
- वित्त
- ऊर्जा एवं बिजली
- उद्योग एवं व्यापार
- परिवहन
- पर्यावरण, विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी
- सार्वजनिक निर्माण
- सूचना प्रौद्योगिकी तथा संचार
- संस्कृति एवं पर्यटन