सरकारी लेखाएं निम्नलिखित तीन भागों में रखे जाते हैं :-

भाग I समेकित निधि

भाग II आकस्मिकता निधि

भाग III सार्वजनिक लेखा

भाग I अर्थात् समेकित निधि में दो मुख्य भाग होते हैं, अर्थात् :-

राजस्व - जिसमें ‘प्राप्ति शीर्ष (राजस्व लेखा)’ और ‘व्यय शीर्ष (राजस्व लेखा)’ के लिए खंड शामिल हैं ।

पूंजीगत, सार्वजनिक ऋण, कर्ज आदि - जिसमें ‘प्राप्ति शीर्ष (राजस्व लेखे)’, ‘व्यय शीर्ष (राजस्व लेखे)’ एवं ‘सार्वजनिक ऋण’, ‘कर्ज’ और ‘अग्रिम’ के लिए खंड शामिल हैं ।

राजस्व प्रभाग में राजस्व के रूप में वर्गीकृत कराधान और अन्य प्राप्तियों के आगम और उससे किए व्यय, जिसका अंतिम परिणाम उस वर्ष के राजस्व अधिशेष या घाटे का प्रतिनिधित्व करता है, से संबंधित है ।

पूंजीगत प्रभाग में खंड ‘प्राप्ति शीर्ष (पूंजीगत लेखा)’ पूंजीगत प्रकृति की प्राप्तियों से संबंधित है जिसे पूंजीगत व्यय के लिए प्रतिकर के रूप में लागू नहीं किया जा सकता है । 

खंड ‘व्यय शीर्ष (पूंजीगत लेखा)’ आम तौर पर किसी वास्तविक और स्थायी प्रकृति की मूर्त परिसंपत्तियों को बढ़ाने के उद्देश्य से उधार ली गई निधियों से किए गए व्यय से संबंधित होता है । इसमें व्यय के प्रतिकर के रूप में लागू करने के लिए अभिप्रेत पूंजीगत प्रकृति की प्राप्तियां भी शामिल हैं ।

खंड ‘सार्वजनिक ऋण’, कर्ज और अग्रिम आदि’ में सरकार द्वारा उठाए गए ऋण और उनकी चुकौती जैसे सरकार द्वारा किए ‘आंतरिक ऋण’, ‘कर्ज और अग्रिम (और उनकी वसूलियां) शामिल हैं ।  'आकस्मिकता निधि को विनियोग' और 'अंतर-राज्यीय निपटान' से संबंधित लेन-देनों के लिए कुछ विशेष प्रकार के शीर्ष भी इस खंड में शामिल हैं ।

लेखाओं के भाग II, अर्थात् आकस्मिकता निधि, में संविधान के अनुच्छेद 267 के अधीन स्थापित आकस्मिकता निधि से संबंधित लेन-देन दर्ज किए जाते हैं ।

लेखाओं के भाग III, अर्थात् सार्वजनिक लेखा, में ‘ऋण’ (जो भाग 1 में शामिल हैं, उनके अलावा), 'जमा', 'अग्रिम', 'प्रेषण' और 'उचंत' से संबंधित लेन-देन दर्ज किए जाते हैं ।  इस भाग में ‘ऋण’, ‘जमा’ और ‘अग्रिम’ के तहत ऐसे लेन-देन हैं जिनके संबंध में सरकार प्राप्त धन को चुकाने का दायित्व उठाती है या पहले (‘ऋण’ और ‘जमा’) की चुकौती और दूसरे (अग्रिम) की वसूली के साथ अदा की गई राशि की वसूली करने का दावा करती है । इस भाग में 'प्रेषण' और 'उचंत' से संबंधित लेन-देन में केवल सभी समायोज्य शीर्ष शामिल होंगे जिनके तहत ऐसे लेन-देन जैसे कि खजानों और मुद्रा तिजोरियों के बीच नकद के प्रेषण और विभिन्न लेखांकन सर्कलों के बीच अंतरण आदि दिखाई देते हैं । इन शीर्षों को प्रारंभिक डेबिटों या क्रेडिटों का, या तो एक ही लेखा सर्कल के भीतर या किसी अन्य लेखा सर्कल में संबंधित प्राप्तियों या भुगतान द्वारा, अंततः निपटान किया जाएगा ।

लेखा क्षेत्र एवं शीर्ष

ऊपर उल्लिखित भाग I में प्रत्येक खंड के भीतर, लेन-देनों को प्राप्ति शीर्षों (राजस्व लेखे) के लिए 'कर राजस्व', 'गैर-कर राजस्व' और 'सहायता अनुदान और योगदान' और व्यय शीर्षों के लिए 'सामान्य सेवाएं', 'सामाजिक सेवाएं', 'आर्थिक सेवाएं' और 'सहायता अनुदान और योगदान' जैसे क्षेत्रों में बांटा जाता है ।  विशिष्ट कार्यों या सेवाओं (जैसे सामाजिक सेवाओं के संबंध में शिक्षा, खेल, कला और संस्कृति, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, जल आपूर्ति, स्वच्छता, आवास और शहरी विकास आदि) को व्यय शीर्षों के लिए क्षेत्रों में बांटा जाता है ।  भाग-III (सार्वजनिक लेखे) में भी लेन-देनों को 'लघु बचत', 'भविष्य निधि', आरक्षित निधि' आदि जैसे क्षेत्रों में बांटा जाता है ।  क्षेत्रों को मुख्य लेखा शीर्षों में उप-विभाजित किया जाता है ।  कुछ मामलों में, इसके अतिरिक्त, क्षेत्रों को मुख्य लेखा शीर्षों में विभाजित करने से पहले उप-क्षेत्रों में उप-विभाजित किया जाता है ।

मुख्य शीर्षों को कुछ मामलों में उप-मुख्य शीर्षों और लघु शीर्षों में विभाजित किया जाता है, जिसमें कई अधीनस्थ शीर्ष होते हैं, जो सामान्यतः उप-शीर्षों के रूप में जाने जाते हैं ।  उप-शीर्षों को आगे विस्तृत शीर्षों में विभाजित किया जाता है ।  इनमें से प्रत्येक शीर्ष के अधीन, व्यय को प्रभारित और दत्तमत के बीच वितरित दिखाया जाता है ।  कभी-कभी मुख्य शीर्षों को आगे लघु शीर्षों में विभाजन से पहले उप मुख्य शीर्षों में विभाजित करते हैं ।  क्षेत्रीय और उप-क्षेत्रीय वर्गीकरण के अलावा मुख्य शीर्षों, उप मुख्य शीर्षों, लघु शीर्षों, उप शीर्षों, विस्तृत शीर्षों और वस्तु शीर्षों को मिलाकर सरकारी लेखाओं के वर्गीकरण ढांचे की छह स्तरीय व्यवस्था गठित की जाती है ।  सामान्य लेखाओं में व्यय के वर्गीकरण के लिए निर्धारित मुख्य, लघु और उप-शीर्ष,  अनुदानों, उप शीर्षों और आबंटनों की अन्य इकाइयों के समान होना अनिवार्य नहीं हैं जिन्हें सरकारों द्वारा संसद या विधानमंडलों को प्रस्तुत अनुदानों की मांगों के लिए अपनाया जाता है लेकिन सामान्य तौर पर अनुदानों के लिए मांग और वित्त लेखे के बीच कुछ हद तक सह-संबंध बनाए रखते हैं ।

व्यय शीर्षों के लिए क्षेत्रों के भीतर आनेवाले मुख्य लेखा शीर्ष, प्रायः सरकार के कार्यों के अनुरूप होते हैं, जबकि उनके अधीनस्थ लघु शीर्ष, मुख्य शीर्ष द्वारा प्रतिनिधित्व किए गए कार्य के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए किए गए कार्यक्रमों की पहचान करते हैं । उप शीर्ष योजना का, विस्तृत शीर्ष उप-योजना का और वस्तु शीर्ष वर्गीकरण के वस्तुगत स्तर का प्रतिनिधित्व करते हैं ।

कूट लेखन प्रतिमान

मुख्य शीर्ष

1 अप्रैल 1987 से मुख्य शीर्षों को चार अंकों का कोड आबंटित किया गया है, पहला अंक यह दर्शाता है कि मुख्य शीर्ष, प्राप्ति शीर्ष या राजस्व व्यय शीर्ष या पूंजीगत व्यय शीर्ष या ऋण शीर्ष है या नहीं ।

राजस्व प्राप्ति शीर्ष के लिए कोड का पहला अंक या तो '0' या '1' है ।  राजस्व प्राप्ति शीर्ष के पहले अंक कोड में 2 जोड़ने से संबंधित राजस्व व्यय शीर्ष;  एक और 2 जोड़ने से पूंजीगत व्यय; और एक और 2 से खाते के ऋण शीर्ष को आवंटित संख्या मिलेगी ।  उदाहरण के लिए, फसल पालन कोड़ 0401 प्राप्ति शीर्ष का, 2401 राजस्व व्यय शीर्ष का, 4401 पूंजी परिव्यय शीर्ष का और 6401 ऋण शीर्ष का प्रतिनिधित्व करता है ।

तथापि, ऐसा प्रतिमान उन विभागों के लिए प्रासंगिक नहीं है जो पूंजीगत/ऋण लेखा शीर्षों का संचालन नहीं कर रहे हैं, जैसा कि आपूर्ति विभाग ।  कुछ मामलों में, जहां प्राप्ति और व्यय भारी नहीं हैं,  कुछ कार्यों को एक मुख्य शीर्ष के तहत जोड़ा गया है, कार्य स्वयं ही मुख्य शीर्ष के तहत उप मुख्य शीर्ष बनाते हैं ।

उप मुख्य शीर्ष

प्रत्येक मुख्य शीर्ष के अधीन 01 से शुरू होनेवाला,  दो अंकों का कोड आबंटित किया गया है ।  जहां कोई उप मुख्य शीर्ष मौजूद नहीं है, उसे कोड "00" आबंटित किया जाता है ।  नामावली 'सामान्य' को कोड "80" आबंटित किया गया है ताकि आगे और उप मुख्य शीर्षों के लागू होने के बाद भी 'सामान्य' के लिए कोड अंतिम रहेगा ।

लघु शीर्ष

इनको तीन अंकों का कोड आबंटित किया गया है, जो प्रत्येक उप मुख्य/मुख्य शीर्ष (जहां कोई उप मुख्य शीर्ष नहीं है) के तहत '001' से शुरू होने वाले कोड हैं ।  '001' से '100' तक के कोड और '750' से '900' तक कुछ कोड कुछ मानक लघु शीर्षों के लिए आरक्षित किए गए हैं ।  लघु शीर्षों के लिए कूट लेखन प्रतिमान इस तरह रूपांकित किया गया है कि कई मुख्य/उप मुख्य शीर्षों के तहत आम नामावली वाले कुछ लघु शीर्षों के संबंध में, जहां तक संभव हो, वही तीन अंकों का कोड अपनाया जाता है ।

संहिताकरण की इस योजना के तहत, प्राप्ति मुख्य शीर्षों (राजस्व लेखा) को 0020 से 1606 तक व्यय मुख्य शीर्षों (राजस्व लेखा) को 2011 से 3606 तक, व्यय मुख्य शीर्ष (पूंजीगत लेखा) को 4046 से 5475 तक, ‘सार्वजनिक ऋण’ के तहत मुख्य शीर्षों को 6001 से 6004 तक और 'ऋण और अग्रिम', 'अंतर-राज्य निपटान' और 'आकस्मिकता निधि में स्थानांतरण' के अधीन मुख्य शीर्षों को 6075 से 7999 तक के ब्लॉक नंबर दिए गए हैं ।  पूंजीगत प्राप्ति मुख्य शीर्ष के लिए कोड नंबर 4000 दिया गया है । भाग II 'आकस्मिकता निधि' में एकमात्र मुख्य शीर्ष 'आकस्मिकता निधि' को कोड नंबर 8000 दिया गया है ।  सार्वजनिक लेखे में मुख्य शीर्षों को 8001 से 8999 तक के कोड नंबर दिए गए हैं ।

इन लेखाओं में शामिल लेन-देन मुख्यतः वित्तीय वर्ष अप्रैल से मार्च के दौरान वास्तविक नकद प्राप्तियों और संवितरण का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो इसी अवधि के दौरान सरकार को या से देय राशियों से अलग है ।  तथापि, नकद आधार प्रणाली वाणिज्यिक सिद्धांतों पर चलने वाले सरकारी वाणिज्यिक उपक्रमों के लेन-देनों को रिकॉर्ड करने और उसकी सही स्थिति को प्रस्तुत करने के लिए पूरी तरह उपयुक्त नहीं है ।  इसलिए इस वर्ग के उपक्रम के विस्तृत लेखे नियमित लेखाओं के बाहर उचित वाणिज्यिक रूप में रखे जाते हैं और भारतीय लेखापरीक्षा और लेखा विभाग द्वारा परीक्षण-जांच के अधीन होते हैं ।