अंतिम प्रत्याहरण (समापन)

अभिदाता के सेवा त्यागने (सेवा निवृत्ति, पदच्युति, इस्तीफा, अनिवार्य सेवा निवृत्ति, निष्कासन इत्यादि पर) पर निधि के संचय का अंतिम प्रत्याहरण अनुज्ञप्त है ।

सेवा में रहते हुए मृत्यु पर ।

समापन के लिए कैसे आवेदन करें?

समापन के लिए आवेदन फॉर्म ‘ई’ में दायर करें ।

अभिदाता/दावेदार(रों) द्वारा विधिवत् भरे गए एवं हस्ताक्षरित आवेदन कार्यालय अध्यक्ष द्वारा अपेक्षित दस्तावेज़ों के साथ महालेखाकार को अग्रेषित करन के लिए विभाग को दिया जाए ।

समापन की शर्तें

सेवा के अंतिम तीन महीनों के दौरान अभिदान एवं वापसी बंद कर दिए जाते हैं । (नियम 10)

अभिदाता अपने अंतिम वर्ष की सेवा के दौरान कभी भी नियम 30 (ग) के अंतर्गत विकल्प देते हुए खाता बंद करने का चयन कर सकता है ।

भुगतान का तरीका

बही खाता का सत्यापन करने के बाद लेखा अधिकारी खाता बंद कर देता है और राशि के भुगतान के लिए प्राधिकार जारी करता है ।  अराजपत्रित अधिकारियों के मामले में संबंधित आहरण एवं संवितरण अधिकारियों को और राजपत्रित अधिकारियों को सीधे प्राधिकार भेज दिए जाते हैं ।  राजपत्रित अधिकारी किसी भी खजाने का चयन कर सकते हैं ।  यदि, सेवा में रहते हुए या सेवानिवृत्ति के बाद निधि संचय प्राप्त करने से पहले अभिदाता की मृत्यु होती है, तो उक्त अभिदाता को देय निधि संचय उस व्यक्ति/उन व्यक्तियों को देय होगा जिनको नियमानुसार नामांकन के द्वारा राशि प्राप्त करने का अधिकार दिया गया है ।  यदि, सेवा में रहते हुए अभिदाता की मृत्यु होती है और कोई नामांकन न हो, तो विभागीय जांच प्रमाण-पत्र के आधार पर परिवार के पात्र सदस्यों को बराबर हिस्सों में राशि दी जाएगी ।

सा.भ.नि. (के) नियमावली महालेखाकार द्वारा प्राधिकार की तारीख के बाद ब्याज की अनुमति नहीं देती ।

यदि समापन हेतु आवेदन एक वर्ष की अवधि के भीतर विभाग/महालेखाकार द्वारा प्राप्त किया जाता है तो भ. नि. शेष के भुगतान हेतु प्राधिकार निर्गत होनेवाले माह के पूर्व माह के अंत तक ब्याज अनुमत है ।  यदि सेवा त्यागने/मृत्यु के एक वर्ष के भीतर आवेदन प्रस्तुत नहीं किया जाता है, तो जिस निर्णायक तिथि को खाता बंद करना अनिवार्य होता है उससे एक वर्ष की अवधि तक ही ब्याज स्वीकार्य होती है ।

केरल सरकार के परिपत्र सं. 29/87/वित्त दिनांक 24.04.1987 के अनुसार उस अभिदाता के निधि में महँगाई भत्ते का बकाया जमा नहीं किया जाएगा जिन्होनें नियम 10 के परंतुक 3 के अनुसार निधि में आभिदान न करने का चयन किया है ।  ऐसी जमा राशियों, यदि कोई हो तो, को अप्राधिकृत समझा जाएगा और कोई भी ब्याज अनुमत नहीं होगा ।