महालेखाकार (ले व ह),  सा.भ.नि. (के) नियमावली 1964 तथा अ.भा.से. (भ.नि.) नियमावली 1955 में समाहित नियमों व प्रक्रियाओं के अनुसार यथाक्रम केरल राज्य सरकार के लगभग 3.7 लाख कर्मचारियों, केरल में काम कर रहे उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों और अखिल भारतीय सेवा अधिकारियों के व्यक्तिगत सामान्य भविष्य निधि लेखाओं का रख-रखाव करते हैं ।

राज्य सरकार ने दिनांक 17.03.2005 से अंश कालिक आकस्मिक कर्मचारियों ( के पी टी सी ई पी एफ) के लिए सामान्य भविष्य निधि योजना की शुरूआत की है; निधि का रख-रखाव महालेखाकार (ले व ह) को सौंपा गया  है ।  निधि में प्रवेश नवंबर 2007 से शुरू हुआ ।

उप महालेखाकार रैंक के भा.ले.प.व ले.से. अधिकारी द्वारा कार्यालय के सामान्य भविष्य निधि ग्रुप का नेतृत्व किया जा रहा है ।

निधि का गठन

पूर्ण कालिक कर्मचारियों के लिए 1 अप्रैल 1964 से सा.भ.नि. का गठन हुआ ।  अंश कालिक आकस्मिक कर्मचारियों के  लिए (के पी टी सी ई पी एफ) 17.03.2005 से सा.भ.नि. का गठन हुआ ।  यह निधि भारतीय रुपये में रखी जाती है ।

योग्यता के लिए शर्तें

  • केरल सरकार के निम्नलिखित श्रेणियों के कर्मचारी निधि में शामिल होने के लिए योग्य हैं।
  • कोई भी पेंशन योग्य सेवा के सभी स्थायी कर्मचारी ।
  • किसी भी सेवा के सभी परिवीक्षार्थी जिन्हें परिवीक्षा की अवधि विधिवत् पूर्ण किए जाने पर सेवा के पूर्ण सदस्य बनाए जाएंगे ।
  • एक वर्ष की सेवा पूर्ण करने पर, किसी भी सेवा के सभी अस्थायी, कार्यकारी तथा स्थानापन्न सदस्य ।
  • एक वर्ष की सेवा पूर्ण करने पर, किसी भी सेवा के सभी अंश कालिक आकस्मिक कर्मचारी ।

अस्थायी, कार्यकारी तथा स्थानापन्न सदस्य, जिन्होनें एक वर्ष की सेवा पूर्ण नहीं की है, उनको भी इस निधि में प्रवेश दिया जा सकता है यदि वे इसके लिए लिखित में आवेदन करते हैं।

नामांकन

निधि में शामिल होते समय अभिदाता को निर्धारित फॉर्म में नामांकन दाखिल करना होगा ।  यदि, नामांकन दाखिल करते वक्त अभिदाता का परिवार है तो नामांकन परिवार के सदस्य(स्यों) के अलावा किसी और के पक्ष में नहीं हो सकता ।  अविवाहित अभिदाता द्वारा किया गया नामांकन उसके विवाहित होने पर अवैध होगा । यदि, अभिदाता एक से अधिक लोगों को नामित करता है तो नामांकन में उसे प्रत्येक नामिती को देय हिस्से की राशि का इस प्रकार स्पष्ट उल्लेख करना होगा ताकि किसी भी समय निधि में उसके नाम जमा संपूर्ण राशि सम्मिलित हो सके ।  अराजपत्रित अधिकारियों द्वारा दाखिल नामांकन की संवीक्षा, स्वीकृति तथा सुरक्षित अभिरक्षा की जिम्मेदारी कार्यालय अध्यक्ष पर निहित है जबकि राजपत्रित अभिदाताओं के नामांकन महालेखाकार द्वारा रखे जाते हैं ।  अराजपत्रित सेवा से पदोन्नत व्यक्तियों के मामले में राजपत्रित संवर्ग में उनकी वास्तवित पदोन्नति पर ही कार्यालय अध्यक्षों को नामांकन महालेखाकार को स्थानांतरित करना होगा । कोई भी अभिदाता कार्यालय अध्यक्ष/महालेखाकार को नए नामांकन के साथ लिखित रूप में सूचना भेजकर नांमाकन रद्द कर सकता है । 

सामान्य भविष्य निधि में प्रवेश

सामान्य भविष्य निधि में प्रवेश के लिए कार्यालय अध्यक्ष को सरकारी परिपत्र सं. 21/2007/ वित्त दिनांक 28.03.2007  में निर्धारित संशोधित आवेदन-पत्र (साइट में फॉर्म डाउनलोड के अंतर्गत उपलब्ध) में सरकारी कर्मचारियों के ब्यौरे दर्शाता हुआ विवरण महालेखाकार (ले व ह) को भेजना है । पूर्ण कालिक कर्मचारियों के मामले में महालेखाकार द्वारा प्रत्येक अभिदाता को उसके विभाग का नाम सूचित करनेवाले पूर्वयोजन के साथ सा.भ.नि. खाता संख्या आबंटित किया जाएगा ।  एक बार आबंटित खाता संख्या विभाग/ जिला बदलने के बावजूद भी सेवा त्यागने तक सक्रिय रहेगा ।

अंश कालिक आकस्मिक कर्मचारियों के मामले में किसी विभागीय पूर्वयोजन के बिना पूर्वयोजन “सी एन टी” होगा ।

सा.भ.नि. में प्रवेश एवं खाता संख्या के आबंटन के लिए आवेदनों की पावती केंद्रीकृत की गई है  ।  अत: सा.भ.नि. में प्रवेश एवं खाता संख्या के आबंटन के लिए आवेदन महालेखाकार (ले व ह), केरल का कार्यालय,  पी बी नं. 5607, एम जी रोड़, तिरुवनंतपुरम को भेजे जाने हैं  ।

राज्य सरकार के आहरण एवं संवितरण अधिकारी अपने भुगतान नियंत्रण के अधीन निधि के अभिदाताओं से संबंधित सा.भ.नि. वसूली अनुसूचियाँ स्टाफ वेतन बिलों के साथ तैयार करके भुगतान हेतु कोषालय अधिकारियों को प्रस्तुत करते हैं ।  भुगतान करने के बाद खजाना अधिकारी भुगतान अनुसूची के साथ वाउचरों को महालेखाकार को प्रेषित करता है ।  इस प्रकार राजपत्रित अधिकारियों द्वारा दिए गए बिल भी महालेखाकार को प्रेषित किए जाते हैं ।  वेतन वाउचरों के साथ संलग्न सा.भ.नि. अनुसूचियों और सा.भ.नि. भुगतान वाउचरों से महालेखाकार संबंधित अभिदाताओं के खाते में प्रेषण/प्रत्याहरण दर्ज करते हैं ।

किसी अभिदाता के संबंध में बनाए गए खाते में वर्ष के दौरान निधि में जमा किए गए अभिदान, वापसी, महँगाई भत्ता एवं वेतन पुनरीक्षण बकाया, अनुमत ब्याज  और उससे किए गए प्रत्याहरण के ब्यौरे दर्शाए जाते हैं ।

अभिदान की दर

अभिदान की राशि अभिदाता द्वारा निर्धारित की जाती है ।  तथापि पूर्ण कालिक कर्मचारियों के मामलों में यह मूल वेतन के 6 % से कम और मूल वेतन से अधिक नहीं हो सकती और अंश कालिक आकस्मिक कर्मचारियों के मामले में परिलब्धियों के 3% से कम और परिलब्धियों से अधिक नहीं हो सकती ।  पिछले वित्तीय वर्ष की 31 मार्च को आहरित मूल वेतन पर न्यूनतम अभिदान निर्धारित होता है ।  वित्तीय वर्ष के दौरान अभिदान की दर एक बार घटाई और दो बार बढ़ाई जा सकती है ।

अभिदान के लिए शर्तें

निम्न अवसरों को छोड़कर, अभिदाता निधि में मासिक तौर पर अभिदान देगा :

1. निलंबन की अवधि

2. सेवानिवृत्ति से पहले के अंतिम तीन माह की सेवा

निलंबन की अवधि के पश्चात पुनःस्थापन पर अभिदाता को उस अवधि के लिए अनुमत बकाया अभिदानों की अधिकतम राशि तक का रकम एकमुश्त में या किस्तों में अदा करने की अनुमति है ।  बिना भत्ते छुट्टी या अर्ध वेतन छुट्टी के दौरान अभिदाता अपने विकल्प पर अभिदान न करने का चयन कर सकता है ।  अभिदाता अपनी सेवा निवृत्ति की तारीख के ठीक पहले के एक वर्ष की सेवा के दौरान किसी भी समय अभिदान बंद कर सकता है ।

निधि पर ब्याज

भारत सरकार द्वारा समय-समय पर निर्धारित और केरल सरकार द्वारा अंगीकृत दरों पर ब्याज प्रत्येक वित्तीय वर्ष के अंतिम दिन को अभिदाता के खाते में जमा होता है ।

वर्ष 2007-08 के लिए ब्याज की दर 8 प्रतिशत है ।

निधि से अग्रिम

I. अस्थायी अग्रिम

विभागीय अधिकारी द्वारा अभिदाता को निर्दिष्ट कार्यों के लिए उसके निधि में जमा राशि से अस्थायी अग्रिम स्वीकार किया जाता है ।  संबंधित विभागों के वित्तीय अधिकारों के प्रत्यायोजन में निर्धारित आर्थिक सीमा, जिसका अधिकतम जमा शेष का 75 % या (3 क-ख)/4 (क= जमा शेष , ख= समेकित अग्रिम की बकाया राशि) जो भी कम हो, तक अग्रिम आहरित किया जा सकता है ।  अंश कालिक आकस्मिक कर्मचारियों के मामले में, यह अग्रिम 16 माह के वेतन या अभिदाता के निधि में जमा राशि के आधे, जो भी कम हो, से अधिक नहीं होगा । अस्थायी अग्रिमों के लिए मंजूरी अभिदाता के खाते में नोट की जाती है ।

अस्थायी अग्रिमों के लिए फॉर्म ख में आवेदन करना होता है ।

अस्थायी अग्रिम मंजूर करने हेतु शर्तें

  • दो अस्थायी अग्रिमों के आहरण के बीच कम से कम छः माह का अंतर हो ।
  • अस्थायी अग्रिम और अप्रतिदेय अग्रिम के बीच कम से कम चार महीनों का अंतर हो ।
  • आखिरी तीन महीनों की सेवा के दौरान मंजूर न किया जाए ।
  • अभीदाता द्वारा सेवानिवृत्ति की तैयारी में छुट्टी पर जाने वाले माह में स्वीकृत न किया जाए ।
  • अभिदाता द्वारा निधि में अभिदान न देने का चयन करने पर अस्थायी अग्रिम मंजूर नहीं की जाएगी ।
  • बिना भत्ते छुट्टी के दौरान स्वीकृत नहीं किया जाए यदि वह उस अवधि के दौरान निधि में अभिदान नहीं कर रहा हो ।

अस्थायी अग्रिम की वसूली

  • अभिदाता से उतने समान मासिक किस्तों में अग्रिम की वापसी की जाती है, जैसा कि स्वीकृत करनेवाले प्राधिकारी निदेश देता हो, किंतु यह संख्या 12 से कम, जब तक अभिदाता ऐसा चयन न करें, और 36 से अधिक नहीं होगा ।   अंश कालिक आकस्मिक कर्मचारियों के मामले में साधारण मामलों में, किस्तों की संख्या 15 से कम, जब तक अभिदाता ऐसा चयन न करें, और 30 से अधिक नहीं होगा ।  
  • जब एक अग्रिम के चालू रहते दूसरा अग्रिम स्वीकृत किया जाता है, तो पिछले अग्रिम के वसूल न किए गए शेष को इस प्रकार स्वीकृत अग्रिम के साथ जोड़ा जाएगा और समेकित राशि के संदर्भ में अग्रिम की वसूली के लिए आगे  की किस्तें निर्धारित की जाएगी ।
  • अग्रिम आहरित करने के माह के अगले माह के वेतन निर्गत होने पर वसूली  शुरू की जाएगी।
  • अभिदाता अपने चयन पर एक माह में दो या उससे अधिक किस्तें अदा कर सकता है।

II.अप्रतिदेय अग्रिम

विभागाध्यक्ष खाते में जमा शेष के 75% तक अप्रतिदेय अग्रिम स्वीकृत करने के लिए सक्षम हैं । अप्रतिदेय अग्रिम की मात्रा जो कई अन्य प्रशासनिक प्राधिकारियों द्वारा स्वीकृत किया जा सकता है, तत्संबंधी विभागों के संगत वित्तीय अधिकारों के प्रत्यायोजन में निर्दिष्ट है ।

अप्रतिदेय अग्रिम के लिए फॉर्म ख 1 में आवेदन करना है ।

अप्रतिदेय अग्रिम स्वीकृत करने के लिए शर्तें

  • 10 वर्ष की सेवा (सेवा की खंडित अवधि, बिना भत्ते छुट्टी (एल डब्ल्यु ए), निलंबन, सैनिक एवं युद्ध सेवा जिसे पेंशन हेतु गिनी जाती है, भारत सरकार/अन्य राज्य सरकार/सहायता प्राप्त शैक्षणिक संस्थान के अधीन पेंशनयोग्य सेवा शामिल हैं, यदि सेवा के दौरान भ. नि. जमा और उस पर ब्याज निधि में स्थानांतरित और जमा किए गए हों) पूर्ण करने के बाद अथवा सेवानिवृत्ति की तारीख के 10 वर्षों के अंदर किसी भी समय विनिर्दिष्ट प्रयोजनों के लिए यह मंजूर की  जाए ।
  • (i) सेवा के आखिरी तीन माह के दौरान (ii) नियम 30 (ग) के अंतर्गत विकल्प का प्रयोग करने के बाद जो अभिदाता को सेवा निवृत्ति के पूर्व खाता बंद करने की अनुमति देता है (iii) समापन हेतु आवेदन प्रस्तुत करने के बाद,  यह स्वीकृत नहीं किया जाए ।
  • समान प्रयोजन के लिए केवल एक प्रत्याहरण ही अनुमत किया जाए ।
  • पहले के प्रत्याहरण के छः महीने की अवधि के अंदर जब उसी व्यक्ति को चिकित्सा के प्रयोजन के लिए दूसरा प्रत्याहरण मंजूर किया जाता है तो मंजूरी में स्पष्ट रूप से यह उल्लेख किया जाना चाहिए कि चिकित्सा अलग अवसर पर हुई बीमारी के लिए है ।
  • अलग-असग बच्चों के लिए प्रत्येक वर्ष शिक्षा हेतु अग्रिम अनुमत किया जा सकता  है ।
  • जब पति –पत्नि दोनों निधि के अभिदाता होते हैं, तो एक ही बच्चे के शिक्षण, विवाह के लिए दोनों द्वारा प्रत्याहरण किया जा सकता हैं ।
  • जब विवाह हेतु अग्रिम मंजूर की जाती है, तो विवाह की तिथि का स्पष्टतः उल्लेख करना होगा । (विवाह की तारीख से तीन माह पहले राशि आहरित नहीं की जा सकती ।)
  • पुत्र/पुत्री के दूसरे या उसके बाद के विवाह के लिए विवाह हेतु अग्रिम मंजूर किया जा सकता है ।
  • यदि अभिदाता की कोई पुत्री न हो तो पर उसपर निर्भर महिला रिश्तेदार के विवाह के लिए अग्रिम अनुज्ञप्त है ।
  • गृह निर्माण हेतु अग्रिम सहकारिता समितियों या समान अभिकरणों से गृह निर्माण हेतु लिए गए ऋण की चुकौती के लिए भी अनुज्ञप्त है ।
  • निलंबन की अवधि के दौरान भी अग्रिम आहरित किया जा सकता है ।

प्रनियुक्ति/विदेश सेवा पर कर्मचारियों को अप्रतिदेय अग्रिम

मंजूरी - राजपत्रित अधिकारी और अराजपत्रित अधिकारी

उस कार्यालय के सक्षम प्राधिकारी द्वारा जिससे वह प्रतिनियुक्ति/विदेश सेवा सेवा पर जाते समय जुड़े थे ।

भुगतान -राजपत्रित अधिकारी

यदि प्रतिनियुक्ति राज्य के भीतर हो, तो महालेखाकार द्वारा निकटतम खजाना अधिकारी को अभिदाता को राशि के भुगतान हेतु प्राधिकृत किया जाएगा ।  प्राधिकार की एक प्रति राजपत्रित अधिकारी को पृष्ठांकित की जाएगी जिसको बिल खजाने में प्रस्तुत करना चाहिए ।  यदि प्रतिनियुक्ति राज्य के बाहर हो, तो उस राज्य के महालेखाकार को भुगतान की व्यवस्था हेतु प्राधिकृत किया जाएगा ।

भुगतान -  अराजपत्रित अधिकारी

प्रतिनियुक्ति/विदेश सेवा पर जाते समय वह जिस कार्यालय से जुड़े थे उसके कार्यालय अध्यक्ष द्वारा राशि आहरित करके भुगतान किया जाएगा, जहाँ प्रतिनियुक्ति राज्य के भीतर या बाहर हो ।

  • अस्थायी अग्रिम को अप्रतिदेय अग्रिम में परिवर्तित किया जा सकता है और इसे अप्रतिदेय अग्रिम समझा जाएगा ।  यह इस शर्त के अधीन होगा कि परिवर्तन के प्राधिकार की तारीख से छह/चार महीने की अवधि के भीतर उसी प्रयोजन हेतु अन्य अप्रतिदेय अग्रिम/अस्थायी अग्रिम मंजूर नहीं किया जाना चाहिए ।
  • अस्थायी अग्रिम या अप्रतिदेय अग्रिम हेतु मंजूरी केवल तीन महीने की अवधि तक क्रियात्मक होगी और उसके बाद समाप्त समझा जाएगा जब तक विशेष रूप से नवीकृत नहीं किया जाता है ।

अंतिम प्रत्याहरण (समापन)

  • अभिदाता के सेवा त्यागने (सेवा निवृत्ति, पदच्युति, इस्तीफा, अनिवार्य सेवा निवृत्ति, निष्कासन इत्यादि पर) पर निधि के संचय का अंतिम प्रत्याहरण अनुज्ञप्त है ।
  • सेवा में रहते हुए मृत्यु पर ।

समापन के लिए कैसे आवेदन करे ?

  • समापन के लिए आवेदन फॉर्म ‘ई’ में दायर करें ।
  • अभिदाता/दावेदार(रों) द्वारा विधिवत् भरे गए एवं हस्ताक्षरित आवेदन कार्यालय अध्यक्ष द्वारा अपेक्षित दस्तावेज़ों के साथ महालेखाकार को अग्रेषित करन के लिए विभाग को दिया जाए ।

समापन की शर्तें

  • सेवा के अंतिम तीन महीनों के दौरान अभिदान एवं वापसी बंद कर दिए जाते हैं । (नियम 10)
  • अभिदाता अपने अंतिम वर्ष की सेवा के दौरान कभी भी नियम 30 (ग) के अंतर्गत विकल्प देते हुए खाता बंद करने का चयन कर सकता है ।

भुगतान का तरीका

बही खाता का सत्यापन करने के बाद लेखा अधिकारी खाता बंद कर देता है और राशि के भुगतान के लिए प्राधिकार जारी करता है ।  अराजपत्रित अधिकारियों के मामले में संबंधित आहरण एवं संवितरण अधिकारियों को और राजपत्रित अधिकारियों को सीधे प्राधिकार भेज दिए जाते हैं ।  राजपत्रित अधिकारी किसी भी खजाने का चयन कर सकते हैं ।  यदि, सेवा में रहते हुए या सेवानिवृत्ति के बाद निधि संचय प्राप्त करने से पहले अभिदाता की मृत्यु होती है, तो उक्त अभिदाता को देय निधि संचय उस व्यक्ति/उन व्यक्तियों को देय होगा जिनको नियमानुसार नामांकन के द्वारा राशि प्राप्त करने का अधिकार दिया गया है ।  यदि, सेवा में रहते हुए अभिदाता की मृत्यु होती है और कोई नामांकन न हो, तो विभागीय जांच प्रमाण-पत्र के आधार पर परिवार के पात्र सदस्यों को बराबर हिस्सों में राशि दी जाएगी ।

  • सा.भ.नि. (के) नियमावली महालेखाकार द्वारा प्राधिकार की तारीख के बाद ब्याज की अनुमति नहीं देती ।
  • यदि समापन हेतु आवेदन एक वर्ष की अवधि के भीतर विभाग/महालेखाकार द्वारा प्राप्त किया जाता है तो भ. नि. शेष के भुगतान हेतु प्राधिकार निर्गत होनेवाले माह के पूर्व माह के अंत तक ब्याज अनुमत है ।  यदि सेवा त्यागने/मृत्यु के एक वर्ष के भीतर आवेदन प्रस्तुत नहीं किया जाता है, तो जिस निर्णायक तिथि को खाता बंद करना अनिवार्य होता है उससे एक वर्ष की अवधि तक ही ब्याज स्वीकार्य होती है ।
  • केरल सरकार के परिपत्र सं. 29/87/वित्त दिनांक 24.04.1987 के अनुसार उस अभिदाता के निधि में महँगाई भत्ते का बकाया जमा नहीं किया जाएगा जिन्होनें नियम 10 के परंतुक 3 के अनुसार निधि में आभिदान न करने का चयन किया है ।  ऐसी जमा राशियों, यदि कोई हो तो, को अप्राधिकृत समझा जाएगा और कोई भी ब्याज अनुमत नहीं होगा ।

वार्षिक लेखा विवरण (क्रेडिटकार्ड)

प्रत्येक वित्तीय वर्ष की समाप्ति के बाद महालेखाकार प्रत्येक अभिदाता को वार्षिक विवरण भेजता है, जो उस वर्ष के 1 अप्रैल को आदि शेष, वर्ष के दौरान जमा की गई व निकाली गई कुल राशि, उस वर्ष के 31 मार्च को जमा ब्याज की राशि और उस तिथि का अंतशेष दर्शाता है ।  अभिदाताओं को क्रेडिट कार्ड की यथातथ्यता से स्वयं को संतुष्ट करना होगा और त्रुटियाँ इसकी प्राप्ति के तीन माह के भीतर महालेखाकार के ध्यान में लाई जानी   चाहिए ।

अप्राप्त क्रेडिट

कभी-कभी कई कारणों से खजानों से अनुसूचियाँ/वाउचरें प्राप्त नहीं होती हैं और फलस्वरूप कुछ अभिदान / वापसी/बकाया/प्रत्याहरण खाते में दर्ज नहीं होते ।  आहरण एवं संवितरण अधिकारियों/खजानों द्वारा इस कार्यालय को दिए गए लेखाओं का उचित सत्यापन के बाद, अराजपत्रित अभिदाताओं के मामले में आहरण एवं संवितरण अधिकारियों  द्वारा और राजपत्रित अभिदाताओं के मामले में कोषालय अधिकारियों द्वारा विधिवत् प्रमाणित निम्नलिखित ब्योरे दिए जाने पर, इन अप्राप्त क्रेडिटों/डेबिटों का पता लगाकर अभिदाता के खाते में शामिल किया जा सकता है ।

  • अभिदाता का नाम
  • सा.भ.नि. खाता संख्या
  • आहरण एवं संवितरण अधिकारी जिसके अधीन सेवारत है
  • अभिदान/वापसी/प्रत्याहरण की राशि
  • वेतन माह जिसके लिए विवरण दिया जा रहा है
  • लेखा शीर्ष (विस्तृत शीर्ष तक) जिसके अंतर्गत वेतन लिया गया था
  • खजाना/उप खजाना जहाँ से वेतन लिया गया था
  • खजाना वाउचर संख्या/चालान संख्या
  • क्रेडिट के मामले में सार पर नोट किए अनुसार विशेष वाउचर में संलग्न अनुसूची राशि का योग
  • चालान प्रेषण के मामले में वाउचर के भुगतान/राशि के प्रेषण की तिथि
  • सा.भ.नि. भुगतान वाउचरों की कुल राशि (अग्रिमों के मामले में )

सामान्य भविष्य निधि सहायता केन्द

अभिदाताओं की शिकायतों पर ध्यान देने के लिए महालेखाकार ( ले व ह), तिरुवनंतपुरम के कार्यालय में विशेष कक्ष - सामान्य भविष्य निधि सहायता केन्द खोला गया है ।  सहायता केन्द्र के कर्मचारियों द्वारा अभिदाताओं की मुश्किलों पर प्राथमिकता आधार पर कार्य किया जाता है ।  सभी कार्य दिवसों पर पूर्वाह्न 10.00 से अपराह्न 1.00 और अपराह्न 2.00 से अपराह्न 5.00 बजे तक अभिदाता सहायता केन्द्र से संपर्क कर सकते   हैं । सहायता केन्द उप महालेखाकार (निधि) के पर्यवेक्षण में कार्य करता है ।

सा.भ.नि. विषयों से संबंधित पूछ-ताछ निम्न नंबरों पर फोन मिलाकर भी की जा सकती है - 0471-2525650, 0471-233031 एक्सटेंशन 650

सा.भ.नि. से संबंधित सभी पूछ-ताछ निम्न को संबोधित करें -
वरिष्ठ लेखा अधिकारी
सा.भ.नि. सहायता केंद्र
प्रधान महालेखाकार (ले व ह) केरल का कार्यालय,
तिरुवनंतपुरम - 695001