राजपत्रित हकदारी स्कंध

राज्य के कार्यों के संबंध में काम कर रहे अखिल भारतीय सेवा अधिकारियों, राज्यपाल, उच्च न्यायालय के न्यायाधीश, लोकपाल, केरल लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और सदस्य, जांच आयोग व समितियों जैसे संवैधानिक एवं सांविधिक प्राधिकारियों सहित केरल राज्य के राजपत्रित अधिकारियों का वेतन निर्धारण, वेतन/छुटटी वेतन पर्चियाँ जारी करना, सेवा इतिहास/सेवा कार्डों का रख-रखाव करना आदि कार्य राजपत्रित हकदारी स्कंध का उत्तरदायित्व है ।  गैर-अधिकारियों जैसे मंत्रियों, सभापति, उप सभापति, विधान सभा सदस्यों और मंत्रियों के वैयक्तित कर्मचारियों इत्यादि के वेतन एवं भत्ते भी इस कार्यालय द्वारा प्राधिकृत किए जाते हैं ।  चूंकि राजपत्रित अधिकारियों के सेवा अभिलेखों का रख-रखाव महालेखाकार द्वारा किया जाता है, इसलिए उनके पेंशन संबंधी लाभों का प्रारंभिक प्रसंस्करण भी इसी स्कंध द्वारा किया जाता है ।

उप महालेखाकार रैंक के भा.ले.प.व ले.से. अधिकारी द्वारा कार्यालय के जी ई ग्रुप का नेतृत्व किया जा रहा है ।

वेतन और भत्तों के प्राधिकार के सामान्य सिद्धांत और प्रक्रिया

वेतन एवं भत्तों के प्राधिकार और जाँच का उत्तरदायित्व महालेखाकार (ले व ह) के अधीन है । परिणामस्वरूप संबंधित रिकार्डों, पंजियों, छुटटी लेखाओं इत्यादि का रख-रखाव और राजपत्रित अधिकारियों के वेतन पर्चियाँ, छुट्टी वेतन प्रमाण-पत्र जारी करना, अंतिम वेतन प्रमाण-पत्रों पर प्रति हस्ताक्षर करना आदि कार्य महालेखाकार (ले व ह) की जिम्मेदारी होगी । 

महालेखाकार से प्राधिकार अपेक्षित राजपत्रित अधिकारियों के दावे निम्नलिखित मुख्य श्रेणियों में आते हैं ।

  • वेतन और भत्तों के बकाया सहित वेतन और भत्ते
  • अभ्यर्पण छुटटी वेतन सहित छुटटी वेतन
  • अग्रिम
  • विशेष भत्ते जैसे कि वर्दी भत्ता
  • वेतन पर्चियां/हाल की वेतन पर्चियां/संशोधित वेतन पर्चियां निम्न अवसरों पर आवश्यक होती है

नई वेतन पर्चियां

नई नियुक्ति, सीमित अवधि के लिए नियुक्ति और अराजपत्रित पदों से राजपत्रित पदो पर नई पदोन्नतियां ।

हाल की वेतन पर्चियां

  • जब भी वेतन वृद्धि दी जाती है/बंद करती है ।
  • जब भी वेतन-वृद्धि से अन्य कारण से वेतन में परिवर्तन होता है ।
  • जब भी कोई एक अधिव्याप्ति समयमान से दूसरे में जाता है ।
  • जब भी कोई अस्थायी पदों पर नियुक्त होता है या उससे प्रत्यावर्तित होता है ।
  • जब भी कोई अधिकारी किसी भी प्रकार छुटटी पर जाता है या उससे वापस आता है ।
  • जब भी कोई अधिकारी एक पद से दूसरे पद पर स्थानांतरित होता है जिसमें पदनाम में बदलाव है, यद्यपि परिलब्धियों में कोई बदलाव नहीं है ।
  • जब भी कोई अधिकारी निलंबित होता है जिसके परिणामस्वरूप उसको निर्वाह भत्ता देय होता है ।
  • विदेशी सेवा में प्रतिनियुक्त और जिनके संबंध में अंतिम वेतन प्रमाण-पत्र जारी किए गए हैं, उन अधिकारियों के वेतन और भत्ते सहित वेतन
  • वेतन-वृद्धियों के लिए वेतन पर्चियां देरी से जारी करना, जो परीक्षाएं उर्तीर्ण करने, परिवीक्षा अवधि पूरी होने आदि पर निर्भर नहीं है बल्कि नेमी कारणो से देरी हुई है ।

भुगतान का तरीका

एक सामान्य नियम के रूप में राजपत्रित अधिकारियों के वेतन, छुटटी वेतन और भत्तों के भुगतान की व्यवस्था महालेखाकार द्वारा खजानों पर या लोक निर्माण कार्य/वन प्रभागीय अधिकारियों जैसे दूसरे संवितरण अधिकारियों के माध्यम से की जाती है ।  राजपत्रित अधिकारियों को जारी की गई वेतन पर्चियां और उनकी प्रतिलिपियां, वेतनमान की दर, विशेष वेतन (यदि कोई हो तो) और विनिर्दिष्ट तिथियों से देय भत्ते सूचित करते हुए, खजाना अधिकारियों/प्रभागीय अधिकारियों को पृष्ठांकित की जाती है ।

वेतन पर्चियों की प्राप्ति में विलंब से कैसे बचें

यदि निम्नलिखित अनिवार्य दस्तावेज़/ब्यौरे समय पर महालेखाकार(ले व ह)  के कार्यालय में प्रस्तुत किए जाते हैं तो वेतन पर्चियों की प्राप्ति में विलंब से बचा जा सकता है ।

I.राजपत्रित पद पर पहली नियुक्ति (सीधी भर्ती) पर

  • सक्षम प्राधिकारी द्वारा स्याही से विधिवत् हस्ताक्षरित नियुक्ति आदेश ।
  • जिस पद पर नियुक्ति हुई है उसका पूर्ण विवरण और पद के सृजन के लिए आदेश और अवधि ।
  • कार्यभार ग्रहण करने पर कार्यभार रिपोर्ट, कार्यमुक्त होनेवाले और कार्यमुक्त करनेवाले दोनों अधिकारियों द्वारा हस्ताक्षरित ।
  • राजपत्रित हकदारी पंजी की एक प्रति (जो फार्म व प्रकाशन बेचनेवाले सरकारी प्रैस व दुकानों में उपलब्ध हैं)
  • 01/09/1984 को या उसके पहले सरकारी सेवा में प्रवेश करनेवाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए समूह बीमा योजना का सदस्य बनना अनिवार्य है ।
  • जो कर्मचारी 19.08.1976 को या उसके बाद सरकारी सेवा में प्रविष्ट हुए हैं और जिनकी आयु 50 वर्ष से कम हैं, उनको सेवा में प्रविष्टि के 1 वर्ष की अवधि के भीतर राज्य जीवन बीमा की अधिकारिक शाखा से पॉलिसी लेना होगा ।  प्रारंभिक नियुक्ति के बाद पर प्रथम वेतन वृद्धि लेने के लिए सरकारी कर्मचारी को राज्य जीवन बीमा पालिसी हेतु अभिदान शुरू करना होगा ।
  • जो सीधी भर्ती द्वारा या किसी दूसरी सेवा से स्थानांतरण द्वारा किसी पद पर नियुक्त हुआ है, वह 3 वर्ष की लगातार अवधि के भीतर दो वर्षों की कुल अवधि के लिए परिवीक्षा पर होगा । वेतनवृद्धियों का विनियमन केरल सेवा नियमावली भाग I के नियम 37 ख (आ) (i) के अधीन उपबंधों के शर्तों के तहत करना होगा । 
  • एक परिवीक्षार्थी जिसकी परिवीक्षा की अवधि 2 वर्ष हैं, वह 1 वर्ष की सेवा पूर्ण होने पर पहली वेतनवृद्धि के लिए हकदार होगा ।  दूसरी वेतनवृद्धि उस तारीख से आहरित होगी, जिस तारीख से उसकी परिवीक्षा अवधि पूर्ण घोषित होती है ।  भावी वेतन वृद्धियां सामान्य वेतन वृद्धि तिथियों पर होगी । 
  • नियुक्ति प्राधिकारी, परिवीक्षा की अवधि समाप्त होने से पहले,  यह अवधि 1 वर्ष तक बढा सकता है ।  परिवीक्षा की अवधि को 1 वर्ष से अधिक बढाने  के लिए सरकार की मंजूरी आवश्यक है ।

II . अराजपत्रित से राजपत्रित पद पर या एक राजपत्रित पद से दूसरे राजपत्रित पद पर पदोन्नति

  • सक्षम प्राधिकारी द्वारा स्याही में विधिवत् हस्ताक्षरित नियुक्ति आदेश ।
  • यदि अस्थायी पद है तो पद के सृजन/पद को बनाए रखने के आदेश ।
  • कार्यभार ग्रहण करने पर कार्यभार रिपोर्ट, कार्यमुक्त होनेवाले और कार्यमुक्त करनेवाले दोनों अधिकारियों द्वारा हस्ताक्षरित ।
  • अंतिम संवितरण अधिकारी से अंतिम वेतन प्रमाण-पत्र ।
  • राजपत्रित पद पर पदोन्नति की तिथि तक विधिवत् पूर्ण किए गए छुट्टी लेखे के साथ समुचित साक्ष्यांकन के अधीन सेवा पुस्तक ।
  • यदि निचले पद पर नियुक्ति नियमित नही की गई है, तो नियुक्ति अधिकारी से नियुक्ति को नियमित करने में देरी के कारणों का उल्लेख करते हुए प्रमाण-पत्र और नियमित करने के परिणामस्वरूप अधिक, यदि कोई हो तो,  की वापसी करने के लिए अधिकारी से घोषणा पत्र ।
  • राजपत्रित पद पर पदोन्नति के मामले में राजपत्रित हकदारी पंजी की प्रति ।
  • प्रवरण पदों पर पदोन्नति द्वारा नियुक्तियों के लिए सरकार ने 01.10.1998 से अस्थायी पदोन्नति करने पर प्रतिबंध लगाया है ।  बाद में 30.06.2001 तक अस्थायी पदोन्नति पर रोक उठाया गया और इसलिए के एस व एस एस आर के नियम 31 (क) (i) के अधीन अस्थायी पदोन्नति पर रोक 01.07.2001 से लागू है ।  01.07.2001 से कोई अस्थायी पदोन्नति स्वीकार्य नहीं है, जब तक अस्थायी पदोन्नति पर रोक में छुट देते हुए आदेश जारी नहीं किए जाते हैं ।
  • पदोन्नति द्वारा नियुक्ति के मामले में प्रत्येक व्यक्ति  2 वर्षों की लगातार अवधि में 1 वर्ष के कर्तव्य की अवधि के लिए परिवीक्षा पर होगा ।  के एस व एस एस आर 1958 के नियम 31(क) (i) के अधीन की गई  नियमित पदोन्नति/अस्थायी पदोन्नति के नियमितीकरण के मामले में वेतन वृद्धि का विनियमन नियम 37 ख(ii) के तहत किया जाना है ।  पदोन्नत पद के वेतनमान पर पहली वेतन वृद्धि उस तारीख से ही आहरित होगी जिस तारीख को उसकी परिवीक्षा पूर्ण घोषित होती है ।  तथापि सामान्य नियमों के तहत देय वेतन पुनर्निर्धारण के फलस्वरूप उच्च वेतन परिवीक्षा की अवधि के दौरान अनुमत किया जा सकता है ।

III .( क ) स्थानांतरण पर ( राज्य के भीतर )

  • सक्षम प्राधिकारी द्वारा स्याही से विधिवत् हस्ताक्षरित स्थानांतरण आदेश ।
  • पुराने स्थान से कार्यभार छोड़ने और नए स्थान पर कार्यभार ग्रहण करने पर कार्यभार रिपोर्ट  ।
  • पद के सृजन/पद को बनाए रखने के लिए आदेश ।

( ख ) स्थानांतरण पर ( राज्य के बाहर )

  • सक्षम प्राधिकारी द्वारा स्याही में विधिवत् हस्ताक्षरित स्थानांतरण आदेश ।
  • पुराने स्थान से कार्यभार छोड़ने और नए स्थान पर कार्यभार ग्रहण करने पर कार्यभार रिपोर्ट  ।
  • पिछले स्थान के खजाना अधिकारी/आहरण व संवितरण अधिकारी द्वारा जारी अंतिम वेतन प्रमाण पत्र, दो प्रतियों में ।

IV . अतिरिक्त कार्यभार धारण करने पर

  • अतिरिक्त कार्यभार और कार्यभार भत्ता मंजूर करनेवाले आदेश ।
  • कार्यभार छोड़ने और ग्रहण करने पर कार्यभार रिपोर्ट ।

V .( क ) छुटटी पर जाते समय

  • छुटटी आवेदन पत्र के साथ सक्षम प्राधिकारी से छुटटी के लिए मंजूरी ।
  • कार्यभार छोडने पर कार्यभार रिपोर्ट

( ख ) छुटटी से वापस आने पर

  • छुटटी से वापस आने पर नियुक्ति के आदेश, कार्यभार ग्रहण करने पर कार्यभार रिपोर्ट ।
  • सक्षम प्राधिकारी से प्रतिनियुक्ति के आदेश
  • प्रतिनियुक्ति के निबंधन एवं शर्तें
  • कार्यभार छोड़ने और ग्रहण करने पर कार्यभार रिपोर्ट  ।
  • पिछले स्थान के खजाना अधिकारी/आहरण व संवितरण अधिकारी द्वारा जारी अंतिम वेतन प्रमाण पत्र, दो प्रतियों में ।

VII . पुनर्नियोजन पर

  • पुनर्नियोजन की शर्तें व्यक्त करनेवाले आदेश  ।
  • कार्यभार ग्रहण करने पर कार्यभार रिपोर्ट ।
  • उस पद के ब्यौरे जिससे सेवानिवृत्त हुआ, सेवानिवृत्ति की तारीख एवं पेंशन/मृत्यु सह सेवानिवृति उपदान के ब्यौरे, यदि मंजूर हैं, तो

VIII . अनंतिम / संविदागत नियुक्ति पर

  • नियुक्ति से संबंधित आदेश और निविदा की शर्तें ।
  • कार्यभार ग्रहण करने पर कार्यभार रिपोर्ट ।
  • राजपत्रित हकदारी पंजी की एक प्रति । 
  • संविदा आधार पर नियुक्ति के मामले में निर्धारित मासिक पारिश्रमिक लेने के लिए महालेखाकार (ले व ह) द्वारा कोई वेतन पर्ची जारी नहीं की जाती है जब तक सरकारी आदेश में अन्यथा उल्लेख न  हो ।

IX .  मृत्यु सह सेवानिवृत्ति उपदान के लिए नामांकन

  • राजपत्रित अधिकारियों के संबंध में एक या एक से अधिक व्यक्तियों को उपदान प्राप्त करने का अधिकार प्रदान करने के लिए परिवार के ब्यौरे सहित फॉर्म में मृत्यु सह सेवानिवृत्ति उपदान हेतु नामांकन नियमानुसार महालेखाकार (ले व ह) को भेजना आवश्यक है
  • उन राजपत्रित अधिकारियों के लिए जिनका परिवार है - फार्म 4 ख
  • उन राजपत्रित अधिकारियों के लिए जिनका परिवार नहीं है - 4 घ

X.नियुक्ति प्राधिकारियों और नियंत्रण अधिकारियों को नोट

  • छुटटी मंजूर करते समय मंजूरी आदेश में प्रारंभ में/अंत में जोडने की अनुमति सूचित करें ।
  • जब नियुक्तियां/पदोन्नतियां होती हैं तो तत्संबंधी नियम उद्धृत करते हुए नियुक्ति का प्रकार, वेतनमान,परिवीक्षा की अवधि आदि का स्पष्ट उल्लेख करते हुए आख्यात्मक आदेश जारी  करें ।
  • के एस आर भाग 1 के नियम 88, नियम 91 के तहत बिना भत्ता छुटटी स्वीकार करते समय सेवा लाभ और पेंशन लाभ प्राप्त करने के लिए छुट्टी की अवधि गिने जाने या न गिने जाने के संबंध में आवश्यक सूचना दें ।
  • जब भी किसी अधिकारी की राजपत्रित संवर्ग में पदोन्नति होती है तो छुटटी लेखा सहित सेवा पुस्तिका की प्रविष्टियां अद्यतन की जाए, सेवा सत्यापन प्रमाण-पत्र रिकॉर्ड करें और सेवा पुस्तिका को जल्द से जल्द महालेखाकार के कार्यालय को भेज दें ।

XI .सामान्य

  • यदि सी टी सी पर कार्यमुक्त करनेवाले और कार्यमुक्त होनेवाले, दोनों अधिकारियों द्वारा हस्ताक्षर नहीं किया जा सका, तो इसपर नियंत्रण अधिकारी द्वारा प्रतिहस्ताक्षर करना चाहिए ।
  • महालेखाकार (ले व ह ) से किए जानेवाले सभी पत्र व्यवहारों में पूरा नाम और पदनाम, पत्र व्यवहार के पूरे पते के साथ (पिन कोड सहित) दिया जाए ।
  • दावा किए गए भत्ते स्वीकार करने के लिए दी गई सभी शर्तों की पूर्ति  से संबंधित प्रमाण-पत्र अवश्य  दिया जाना चाहिए ।
  • किसी भी सरकारी कर्मचारी की  परिवीक्षा की घोषणा/इसका विस्तार/इसकी समाप्ति संबंधी कार्रवाई समय पर करने के लिए  विभागाध्यक्ष उत्तरदायी हैं ।
  • राजपत्रित अधिकारी बिना वेतन पर्ची के 3 माह तक अपने वेतन और भत्ते (छुटटी वेतन को छोडकर) निम्नानुसार प्राप्त कर  सकते हैं ।
अराजपत्रित से राजपत्रित या एक राजपत्रित पद से दूसरे पर पदोन्नति पर । अंतिम आहरित वेतन या राजपत्रित पद के न्यूनतम वेतनमान, जो भी अधिक हो, उस पद व स्थान के लिए लागू म.भ., गृ.नि.अ. आदि । 
एक पद से दूसरे पर अलग स्थान में स्थानांतरण  पर । अंतिम आहरित वेतन और उसपर महंगाई भत्ता और नए स्थान के लिए लागू अन्य भत्ते ।
छुटटी से वापस आने पर । छुटटी पर जाने से पूर्व आहरित दरों पर, उस स्थान के लिए लागू गृ.नि.अ. इत्यादि ।
पद की निरंतरता हेतु मंजूरी की समाप्ति पर । पहले की समान दरों पर (वेतन बिल के साथ फार्म टी आर 112 में प्रमाणपत्र संलग्न करें ।)