निलंबन अवधि को छोड़कर अशंदाता निधि में मासिक रूप से अंशदान करेगा ।

अंशदान की ऱाशि का निर्धारण स्वयं अंशदाता द्वारा किया जाएगा । जबकि, उक्त राशि उसकी परिलब्धियों का दस प्रतिशत से कम नहीं हो सकती तथा उसकी कुल परिलब्धियों से अधिक नहीं हो सकती ।

अंशदान की राशि वर्ष के दौरान कभी भी एक बार घटाई जा सकती है या वर्ष के दौरान दो बार बढ़ाई जा सकती है ।