महालेखाकार, ओड़िशा भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (सीएण्डएजी) जो भारतीय लेखा एवं लेखापरीक्षा विभाग का प्रमुख हैं के अंतर्गत कार्य करता है । भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक एक संवैधानिक प्राधिकारी हैं जिसकी नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति  के अधिपत्र द्वारा की जाती है । भारत सरकार (लेखापरीक्षा एवं लेखा) आदेश, 1936, जैसा कि भारत सरकार द्वारा अंगीकृत (अंनतिम संविधान) आदेश, 1947 एवं भारतीय संविधान के अनुछेच्द 149 के अंतर्गत भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक को लेखाओं की लेखापरीक्षा से संबंधित सभी मामलों में जिनके लिए वह उत्तरदायी है, नियमावली बनाने एवं निर्देश देने की शक्ति प्राप्त है । भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक के कार्यों को मुख्यतः भारतीय संविधान के अनुच्छेद-149 से 151 के प्रावधान से लिया गया है ।

भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कर्तव्य, शक्तियां एवं सेवा की शर्तें) अधिनियम, 1971 को संविधान के अनुच्छेद 148(3) एवं 149 के अंतर्गत संसद द्वारा 1971 में पारित किया गया था ।

लेखाओं के रखरखाव के लिए जनादेश

भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कर्तव्य, शक्तियां एवं सेवा की शर्तें) अधिनियम, 1971 भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक के केंद्र, राज्य एवं केंद्रशासित प्रदेश जिसमे विधानसभा होती है के लेखाओं के संकलन संबंधी उत्तरदायित्वों से संबंधित है |

प्रावधानों के अंतर्गत, भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक राज्य के लेखाओं, राज्य के ऐसे जरूरी लेखाओं जिनके विनियोग लेखे औऱ वित्तीय लेखे प्रतिवर्ष तैयार किए जाते हैं, का संकलन करता है ।

विनियोग लेखे एवं वित्तीय लेखे भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक द्वारा हस्ताक्षऱित किए जाते हैं तथा राज्य की विधानसभा के समक्ष रखने के लिए राज्यपाल को प्रस्तुत किए जाते हैं ।