मंडलीय लेखाकार कैडर का संविधान

(नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक के स्थायी आदेश खण्ड-।) के द्वारा अनुच्छेद भारतीय संविधान अनुच्छेद149 के अंतर्गत नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक लोक लेखा व लेखापरीक्षा के संकलन से संबंधित दिए गए दायित्वों की पूर्ति के लिए मंडलीय लेखाकार का एक अलग कैडर में संरचना की गई। नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक के स्थायी आदेश के पारा 234 के तहत इस कैडर का उद्देश्य प्रत्येक लोक निर्माण विभाग में एक प्रशिक्षित लेखाकार प्रदान करना है। मंडलीय लेखाकार कैडर संबंधित राज्यों के महालेखाकार के प्रशासनिक नियंत्रण के अंतर्गत आता है जिसे नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक के स्थायी आदेश के पारा 235 के तहत उन्हें पद का सृजन या अस्थायी या स्थायी रूप से पद को खत्म करने का शक्ति प्रदान की गई है। संबंधित राज्य सरकार मंडलीय लेखाकार के स्थापना के लागत सहित वेतन,भत्ता, यात्रा भत्ता,चिकित्सा भत्ता,संतान शिक्षा भत्ता आदि का वहन करेंगी।

उत्पति, कैडर का विकास-क्रम एवं इतिहास

 उत्पति-मंडल लेखाकारों का वर्तमान कैडर लगभग 100 से अधिक वर्षो से फरवरी 1885 में लोक निर्माण विभाग के अलग विभाग निर्माण के साथ उत्पन्न हुआ।सिविल और मिलिट्री विल्डिंग, सिंचाई, संचार एवं रेलवे मामलों की देखभाल करें।प्रारंभ से ही इस विभाग में खातों के रखरखाव के महत्व  को ध्यान में रखा गया था और तत्कालीन प्रांतो के संबंधित मुख्य अभियंताओं को उनके अधीन असंतुष्ट अधिकारियों द्वारा किए गए खर्च के उचित संकलन और नियंत्रण के लिए जिम्मेदार बनाया गया था। मुख्य अभियंता के अधीन लेखा का एक केंद्रीय कार्यालय प्रत्येतक प्रांत में स्थापित किया गया था, जिसमें संवितरण अधिकारियों को अपने विस्तृत और मूल खातों के साथ साथ सहायक भाउचर और मासिक आंतरिक लेखा परीक्षा और वेतन बिलों के आंतरिक प्री- आडिट की आवश्यकता थी। भा पेश किया।

विकास-क्रम- 1856 के अंत तक मुख्य स्ट्रेची द्वारा लेखा के नियंत्रण अधिकारियों द्वारा किए गए कार्यों की समीक्षा करने पर रिपोर्ट दिया गया कि मुख्य अभियंता सामान्यतः लेखा मामलों को प्रबंध करने में असमर्थ है आगे इस रिपोर्ट का जाँच जून 1885 में भारत सरकार द्वारा नियुक्त की गयी एक समिति द्वरा किया गया,  1880 में मुख्य निरीक्षक एवं नियंत्रक के अंतर्ग एक अलग लोक निर्माण लेखा एवं लेखा-परीक्षा विभाग का गठन किया गया।  1880 में लोक निर्माण विभाग के सचिव से संबंधित लेखा एवं लेखा-परीक्षा से संबंधित मामलों की जिम्मेदारी संभालने के लिए उनके अधीन नियंत्रकों के साथ संल्गन किया गया था। (भारत सरकार लोक निर्माण विभाग अधिसूचना संख्या 278, दिनांक 13.11.1860 के द्वारा) साथ ही साथ एक  लोक कार्य कार्यालय के लेखा के लिए लिए प्रधान अधीनस्थ लेखाकार की स्थापना किया।यह केंद्र सरकार के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत लोक-निर्माण विभागों के लिए अलग-अलग खातों के कैडक की शुरूआत है।