सामान्य भविष्य निधि की जानकारी
- निधि में सम्मिलित होने की योग्यता
- सामान्य भविष्य निधि अंशदान
- नए आवंटन के मामले
- जीपीएफ की शिकायतों के निवारण के लिए संपर्क सूची
- जीपीएफ अंतिम भुगतान चेकलिस्ट
- अग्रिमों
- निकासी
- अंतिम समापन
- लेखा का वार्षिक विवरण
- जीपीएफ अंतिम भुगतान निपटान की स्थिति
- Forwarding of Application
- लापता क्रेडिट का समायोजन
- भविष्य निधि बालांस
- फुल वांट/ पार्ट वांट / अन पोस्टेड मदो की रिपोर्ट
- सामान्य भविष्य निधि जानकारी
- प्रतिक्रिया/शिकायत/ शिका यतों
- अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
पूरा नाम (संक्षिप्त में नहीं) एवं सही सा.भ.नि. खाता संख्या सफिक्स के साथ का उल्लेख सा.भ.नि. अनुसूची, अग्रिम/आहरणों का स्वीकृति आदेश, सा.भ.नि. से धन आहरण देयक एवं सा.भ.नि. से संबंधित अन्य पत्राचारों में किया जा सकता है ।
पूरा नाम एवं सही खाता संख्या को नकल की त्रुटी से बचाने के लिए अनुसूची के साथ मुद्रित या चक्रलिपित एवं आवधिक रूप से बदला जा सकता है ।
अनुसूची में खाता संख्या को क्रमानुसार आरोही क्रम में व्यवस्थित किया जा सकता है।
अलग सफिक्सेज जैसे कि जीए(ओ), इडीएन(ओ) वाले अंशदाताओं हेतु अलग से भ.नि. अनुसूचियाँ तैयार की जा सकती हैं ।
अन्य कार्यालयों में कार्यभार ग्रहण करने या वहाँ से स्थानांतरित होने वाले अंशदाताओं के मामले में इस तथ्य को सा.भ.नि. अनुसूची के अभियुक्ति कॉलम में उल्लेखित किया जा सकता है I
अंशदान की दर में परिवर्तन को अनुसूची के अभियुक्ति कॉलम में रिकार्ड किया जा सकता है ।
अग्रिमों की वसूली को सा.भ.नि. अनुसूची के एक अलग कॉलम में दिखाया जा सकता है ।
जब सा.भ.नि. धन राजकोष में जमा किया जाए तब पूर्ण विवरण अर्थात पूरा नाम, सही खाता संख्या, अंशदान, वापसी, प्रत्येक अंशदाता के मामले में कुल का उल्लेख चालान में किया जा सकता है ।
सा.भ.नि. से धन आहरण करने वाले बिल के साथ लेटेस्ट सा.भ.नि. खाता पर्ची की प्रति एवं स्वीकृति आदेश की एक प्रति लगायी जा सकती है ।
महालेखाकार, ओड़िशा द्वारा जारी किए गए खाता पर्ची को अंशदाता को सौंपने से पहले जाँच किया जा सकता है । लोप/त्रुटी यदि कोई पायी जाती है तो उसे महालेखाकार, ओड़िशा की जानकारी में तीन महीने के अंदर लाया जा सकता है । खाता पर्ची के आहरण कॉलम में यदि कोई लोप हो गया हो तो उस पर विशेष ध्यान दिया जाए । गलत आहरण की सूचना समय पर महालेखाकार के संज्ञान में लाने में असफल होने के परिणामस्वरूप अंशदाता के खाते के शेष राशि में से कटौती की जाएगी जो सेवानिवृत्ति के बाद परेशानी का कारण बन सकता है ।
अंतिम अदायगी आवेदन पत्र अंशदाता की सेवानिवृत्ति से पहले समय से प्रस्तुत किया जाए ।