परिचय

भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक की सलाह पर लेखे को जिन प्रपत्रों में रखरखाव करना है, यह भारत के राष्‍ट्रपति द्वारा निर्धारित किया जाता है।

नियंत्रक-महालेखापरीक्षक (सेवा के कर्तव्‍य, शक्तियॉं तथा शर्ते) अधिनियम, 1971 में भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक के कार्यों तथा शक्तियों की विस्‍तृत जानकारी है। अधिनियम की निम्‍नांकित उपधाराएं राजय सरकार के लेखे के संकलन से संबंधित है।

उपधारा 10 – लेखे का संकलन
उपधारा 11 – राज्‍यपाल को प्रस्‍तुतिकरण
उपधारा 12 – जानकारी की पूर्ति करना

भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक के प्रतिनिधि होने के नाते, राज्‍य स्‍तर पर लेखे के संकलन कार्य का निवर्हन प्रधान महालेखाकार (लेखा व हकदारी) द्वारा किया जाता है।

लेखे को मासिक तथा वार्षिक भी तैयार किया जाता है।

वर्ष के शुरूआत में राज्‍य विधान-मंडल द्वारा बजट पारित किया जाता है तथा योजना के कार्यान्‍वयन के लिए निधि उपलबध कराई जाती है। जिला तथा तहसिल स्‍तर पर कार्यरत सरकारी खजानों से बिलों के माध्‍यम से सरकार द्वारा नामनिर्दिष्‍ट ‘आहरण व संवितरण अधिकारियों’ द्वारा धन का आहरण किया जाता है। जब खजानों द्वारा बिल पारित किया जाता है, योजना के कार्यान्‍वयन के लिए धन आहरण व संवितरण अधिकारियों को दिया जाता है तथा लेखे के संकलन के लिए खजाना कार्यालयों द्वारा प्रारंभिक लेखे के साथ वाऊचर (पारित बिल) प्रधान महालेखाकार कार्यालय को भेजे जाते हैं। उसी प्रकार सरकारी प्राप्ति भी खजानों में जमा की जाती है तथा लेखे के संकलन के लिए प्राप्ति के लेखे प्रधान महालेखाकार कार्यालय को भेजे जाते हैं।