लेखापरीक्षा प्रबंधन समूह-I (लेखापरीक्षा क्षेत्र)

*यह पता लगाना कि पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा प्राप्त की गयी प्राप्तियों (Receipts) और व्यय दोनों के मामले में संबंधित अधिनियमों, नियमों, विनियमों और आदेशों का अनुपालन किया गया है या नहीं।

* खामियों का पता लगाना, यदि कोई हो।

* निम्नलिखित विभागों के संबंध में समुचित लेखा नीति के पालन की जांच करना:

  • कृषि
  • कृषि विपणन
  • पशु संसाधन विकास
  • खाद्य प्रसंस्करण उद्योग और बागवानी
  • मत्स्योद्योग
  • खाद्य और आपूर्ति
  • उपभोक्ता मामले
  • सहयोग

लेखापरीक्षा कार्य को आगे निम्नलिखित श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है

  • वित्तीय लेखापरीक्षा
  • अनुपालन लेखापरीक्षा
  • निष्पादन लेखापरीक्षा।

 

लेखापरीक्षा प्रबंधन समूह-II

नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कर्तव्य, शक्तियां और सेवा शर्तें) अधिनियम, 1971 की धारा 23 के तहत लेखापरीक्षा का कार्यक्षेत्र भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (सी&एजी) द्वारा निर्धारित किया जाएगा।

  1. लेखापरीक्षा अधिदेश के अंतर्गत, नियंत्रक-महालेखापरीक्षक ही एकमात्र प्रधिकारी है जो अपने द्वारा या अपनी ओर से किये जाने वाले लेखापरीक्षा का कार्यक्षेत्र तथा सीमा तय करता है। ऐसे प्रधिकारी लेखापरीक्षा के उद्देश्य की पूर्ति की सुनिश्चिति के अलावा और किसी भी विवेचना की परिसीमा में नहीं आते।

अधिदेश का प्रयोग करते हुए नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक द्वारा निष्पादित लेखापरीक्षा कार्यो को सामान्य तौर पर वित्तीय लेखापरीक्षा, अनुपालन लेखापरीक्षा और निष्पादन लेखापरीक्षा के रूप में वर्गीकृत किया जाता है, जैसा कि क्रमशः अध्याय 5, 6 और 7 में दर्शाया गया है।

 

लेखापरीक्षा के कार्यक्षेत्र में लेखापरीक्षा इकाइयों में आंतरिक नियंत्रण का मूल्याकंन समाविष्ट है। ऐसा मूल्यांकन लेखापरीक्षा के एक अभिन्न घटक के रूप में या एक पृथक लेखापरीक्षा मूल्यांकन के रूप में किया जा सकता है।

इसके अतिरिक्त, नियंत्रक-महालेखापरीक्षक अधिदेश की संतुष्टि तथा लेखापरीक्षा के उद्देश्यों की पूर्ति हेतु किसी लेनदेन, कार्यक्रम या संगठन की कोई अन्य प्रकार की लेखापरीक्षा निष्पादित करने का निर्णय ले सकता है।

लेखापरीक्षा के कार्यक्षेत्र में, राज्य सरकार के वित्तीय नियमों/विभागीय संहिताओं/नियमावली में निहित प्रावधानों और एमएसओ (लेखापरीक्षा) तथा एमएसओ (ले. & ह.) तथा लेखापरीक्षा और लेखा विनियम में उपलब्ध नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक के आदेशों के अनुसार वित्तीय लेखापरीक्षा, निष्पादन लेखापरीक्षा और अनुपालन लेखापरीक्षा करने में, लेखापरीक्षित इकाई के संबंध में शामिल की जाने वाली लेखापरीक्षा की अवधि शामिल है।

 

लेखापरीक्षा प्रबंधन समूह-III

इससे संबंधित चिंतन वार्षिक लेखापरीक्षा योजना या रोलिंग ऑडिट प्लान (Rolling Audit Plan) के माध्यम से लेखापरीक्षा योग्य संस्थाओं और विषयों के चयन से प्रारंभ होता है। लेखापरीक्षा का कार्यक्षेत्र लेखापरीक्षा योजना के जोखिम विश्लेषण कार्य और क्षेत्र लेखापरीक्षा के दौरान निर्धारित किया जाता है। लेखापरीक्षा के लिए चयनित सभी इकाइयों में औचित्य संबंधी मुद्दे दृष्टिगत होने चाहिए। हालांकि, नियमितता लेखापरीक्षा (Regularity Audit) के लिए चयनित विशिष्ट विषय-वस्तु लेखापरीक्षा के दायरे को परिभाषित करेगी और मानदंड भी निर्धारित करेगी। उक्त मूल्यांकन या तो लेखापरीक्षा के एक अभिन्न घटक के रूप में या फिर एक विशिष्ट लेखापरीक्षा कार्य के तौर पर किया जा सकता है। किसी भी लेखापरीक्षा योग्य संस्था में प्रतिदर्श निर्णयों के माध्यम से लेखापरीक्षा निष्पादन में लेन-देन, क्षेत्रों, आदि का चयन पीडब्ल्यूडी संहिता, पश्चिम बंगाल सरकार, लेखा संहिता खंड-III और राज्य सरकार के वित्तीय नियमों/विभागीय कोड/मैनुअल तथा एमएसओ (ऑडिट) और एमएसओ (ले. & ह.), लेखापरीक्षा और लेखा विनियम 2020 और कंपनी अधिनियम 2013 में निहित नियंत्रक-महालेखापरीक्षक के आदेशों में निहित प्रावधानों के अनुसार वित्तीय लेखापरीक्षा, निष्पादन लेखापरीक्षा और अनुपालन लेखापरीक्षा निष्पादित करने के दौरान किसी लेखापरीक्षित संस्था के संबंध में व्याप्त लेखापरीक्षा के दायरे को परिभाषित करने के लिए निर्णायक होगा जिसमें संबंधित लेखापरीक्षा की अवधि भी शामिल होगी। लेखापरीक्षा इकाइयों के मामले में, लेखापरीक्षा की अवधि साधारणत: पिछली लेखापरीक्षा की अवधि से वर्तमान लेखापरीक्षा की अवधि तक होनी चाहिए। हालांकि, ऐसी विशिष्ट परिस्थितियां उत्पन्न हो सकती हैं जहां वर्तमान के जोखिम मूल्यांकन द्वारा ऐसे चिंतन-क्षेत्र उभर सकते हैं जिनके संबंध में पिछली लेखापरीक्षा(ओं) में व्याप्त अवधि की आवश्यकता हो।

 

 

 

लेखापरीक्षा प्रबंधन समूह-IV

लेखापरीक्षा प्रबंधन समूह-IV (एएमजी-IV) द्वारा पश्चिम बंगाल सरकार के अधीन चार विभागों (परिवहन विभाग, विद्युत विभाग, गैर-पारंपरिक और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत विभाग तथा सूचना प्रौद्योगिकी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग) की अनुपालन लेखापरीक्षा, वित्तीय प्रमाणित लेखापरीक्षा और निष्पादन लेखापरीक्षा निष्पादित की जाती है। उक्त लेखापरीक्षा भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक द्वारा जारी किए गए लेखापरीक्षा मानकों के अनुरूप की जाती है।

 

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