1947 यह कार्यालय हिमाचल प्रदेश लाहौर से पंजाब और फिर शिमला में स्थापित किया गया I
01-11-1966 राज्यों के पुनर्गठन के बाद महालेखाकार कार्यालय पंजाब का नाम महालेखाकार कार्यालय पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश एवं चंडीगढ़ किया गया I  
01-03-1969 महालेखाकार कार्यालय हिमाचल प्रदेश स्वतंत्र रूप से आस्तित्व में आया I
01-03-1984 नवीनीकरण के कारण कार्यालय को भारतीय लेखा परीक्षा और लेखा विभाग में द्विशाखित किया गया I लेखा परीक्षा के अंतर्गत दो कार्यालय महालेखाकार लेखा परीक्षा एवं वरिष्ठ उप-महालेखाकार  (लेखा एवं हकदारी ) प्रशासनिक नियन्त्रण में आये I
31-08-2004 महालेखाकार कार्यालय(लेखा परीक्षा) के अंतर्गत वरिष्ठ उप-महालेखाकार  (एल० बी० ए० एंड ए०) आस्तित्व में आया I
12-11-2007 वरिष्ठ उप-महालेखाकार कार्यालय (लेखा एवं हकदारी) को उन्नत (अपग्रेड) करके महालेखाकार कार्यालय(लेखा एवं हकदारी) हिमाचल प्रदेश किया गया I
17-01-2008 महालेखाकार कार्यालय(लेखा परीक्षा) को उन्नत (अपग्रेड) करके प्रधान महालेखाकार कार्यालय(लेखा परीक्षा) हिमाचल प्रदेश किया गया I
15-07-2011 प्रधान महालेखाकार कार्यालय(लेखा परीक्षा) को अवनत (डिग्रेड) करके महालेखाकार कार्यालय(लेखा परीक्षा) हिमाचल प्रदेश किया गया I
02-04-2012 वरिष्ठ उप-महालेखाकार  (एल० बी० ए० एंड ए०) को महालेखाकार कार्यालय(लेखा परीक्षा) हिमाचल प्रदेश में विलय किया गया I
16-07-2012 महालेखाकार कार्यालय(लेखा परीक्षा) को उन्नत (अपग्रेड) करके प्रधान महालेखाकार कार्यालय(लेखा परीक्षा) हिमाचल प्रदेश किया गया I

महालेखाकार कार्यालय हिमाचल प्रदेश पहाड़ी के शीर्ष पर गोर्टन कैसल भवन में स्थित है I गोर्टन कैसल की प्रभावशाली वास्तविक संरचना 19 वी० शताब्दी में बनाई गई और इसका नाम इसके मालिक में नाम पर, मिस्टर गोर्टन रखा गया जो 1840 में भारतीय प्रशासनिक सेवा में थे I यह भव्य इमारत (बिल्डिंग) कई लोगो के स्वामित्व से गुजरी और अंतत: सर जेम्श वाल्कर के स्वामित्व में आयी I उनकी इच्छा यहा अस्पताल बनवाने की थी परन्तु जगह की अनउपयुक्तता के कारण प्रस्ताव रद कर दिया गया I तब सन 1900 ई० में इस भव्य इमारत को भारत सरकार ने 1,20,000 रूपये में खरीदा I वर्तमान राज्य में इस नई इमारत का निर्माण 1901-1904 में 11 लाख रु की लागत से मेजर एच० एफ० चैसनी, स्थानीय निवासी अभियंता की देख-रेख में इम्पीरियल सिविल सचिवालय बनाने के लिए किया गया I इसके शानदार पत्थर संरचना, निर्माण संरचना, गौथिक स्थापत्यकला के राज्यस्थानी स्थापत्यकला कीविशेषताओं जेसे:- बाल्कोनिया, छज्जे, बलुआ पत्थर और जालिया इत्यादि इस इमारत को अनूठा स्थापत्यकला रूप देती है I वर्तमान में इस इमारत में  प्रधान महालेखाकार कार्यालय(लेखा परीक्षा) एवं महालेखाकार कार्यालय(लेखा एवं हकदारी) कार्यरत है I एक शताब्दी से भी अधिक समय से  इस भवन ने विशाल घिस-पिट, भूकंप, प्रतिकूल मौसम  की परिस्थितिया सहन की है और इस इमारत को सेवाओ ने इस इमारत को अधिक समय तक टिकाये रखा है । भारत की नियंत्रक एवं महालेखा-परीक्षक कार्यालय  ने सराहनिय कार्य करते हुये सन 2001 में इस इमारत का जीर्णोद्धार करवाया और इस इमारत की सुन्दरता व् भव्यता पुन: स्थापित  की गई I यह चुनौती पूर्ण कार्य केन्द्रीय सार्वजनिक निर्माण विभाग की इकाई शिमला द्वारा इस इमारत के वैभव, वास्तविक विशेषताओ एवं स्थापत्यकला की विशेषताओ को ध्यान में रखते हुए अत्यंत सावधानी से ध्यानपूर्वक पूर्ण किया गया I यह निर्माण कार्य सन 2001 में आरम्भ हुआ और सितम्बर, 2003 में पूर्ण   हुआ I अब यह इमारत शिमला की सुन्दरतम एवं गगनचुंबी इमारत है I सभी सुख-सुविधाओ से सुसज्जित यह इमारत कार्यालय कार्य के लिए उपयुक्त है I हिमाचल प्रदेश सरकार ने इस इमारत को संन 2003 में नेशनल हेरीटेज बिल्डिंग (राष्ट्रिय विरासत इमारत) घोषित कर दिया I