ए.एम.जी.-05 समूह द्वारा निम्नलिखित क्लस्टर की लेखापरीक्षा का कार्य सम्पादित किया जाता है:-


•    सामान्य प्रशासन क्लस्टर


    सामान्य प्रशासन
    कलेक्ट्रेट (भू-राजस्व सहित)
    आतिथ्य
    संपदा
    कार्मिक
    राजपत्र
    राज्यपाल
    विधान सभा सचिवालय
    मुद्रण एवं लेखन सामग्री
    सूचना एवं जनसम्पर्क
    लोक प्रशासन संस्थान 
    सूचना आयोग
    निर्वाचन
    आपदा प्रबंधन
    अग्निशामक एवं आपातकाल

1. सामान्य प्रशासन विभाग : 
सामान्य शासन विभाग राज्य शासन का एक वृहद् विभाग है. विभाग के कार्यों में नीति सम्बन्धी विषय, प्रशासनिक अधिकारीयों की पदस्थापना एवं सेवाएँ, शासकीय सेवकों की सेवाओं से सम्बंधित नियम/निर्देश एवं सतर्कता से सम्बंधित कार्य मुख्य है।इसमें आतिथ्य, कार्मिक, राजपत्र, राज्यपाल, लोक प्रशासन संस्थान, सूचना आयोग और राज्य चुनाव आयोग से संबंधित इकाइयाँ भी शामिल हैं।

2. राजस्व विभाग : 
  इस विभाग का प्रमुख उद्देश्य मध्‍यप्रदेश भू–राजस्‍व संहिता, 1959 के विभिन्न प्रावधानों का कार्यान्वयन करना है, जिसमें एक प्रगतिशील भूमि राजस्व व्यवस्था को  सुनिश्चित करना; सभी प्रकार की भूमि धारणों के संबंध में सही और उचित भूमि रिकॉर्ड बनाए रखना, कमजोर एवं दलित वर्गों के हितों की रक्षा के लिए भूमि सुधारों को लागू करना, बाढ़, चक्रवात, तूफान, सूखा, कीट आक्रमण, भूकंप, युद्ध, अग्नि आदि जैसे प्राकृतिक और अन्य आपदाओं से प्रभावित लोगों को राहत प्रदान करना। विभाग मध्‍यप्रदेश राजपत्र के प्रकाशन, राज्य सरकार के विभागों को स्‍टेशनरी की आपूर्ति एवं प्रिंटिंग आवश्‍यकताओं के लिए उत्तरदायी है।

3. जनसंपर्क विभाग :
सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग शासन एवं जनता के बीच सेतु की भूमिका निभाता है। इस विभाग का महत्वपूर्ण दायित्व शासन के विकास सम्बन्धी विभिन्न कार्यक्रमों, योजनाओं आदि की जानकारी विभिन्न संचार माध्यमों से जनता तक पहुँचाना है।

4. संसदीय कार्य विभाग :
भारत के संविधान द्वारा मंत्रि-परिषद् की संयुक्त रूप से विधान-मण्डल के प्रति उत्तरदायी होने की व्यवस्था की गई है । वस्तुत: ऐसी व्यवस्था कर सरकार के संसदीय स्वरूप की संकल्पना की गई । विधान-मण्डल एक अत्यन्त व्यस्त निकाय होता है । इसमें न केवल सरकारी तथा गैर-सरकारी सदस्यों के विधेयक प्रस्तुत किए जाते है वरन् सदस्यगण नाना प्रकार से जनता की समस्याओं की ओर सदन का ध्यान आकर्षित करते है और सरकार के विभिन्न कार्यकलापों को प्रशनगत करते है । शासन को इन सब का निर्धारित समयावधि में समुचित उत्तर देना आवश्यक होता है । इस वृहद् और बहुविध संसदीय कार्य का निष्पादन दक्षतापूर्वक किया जाए, इसके लिए विधान-मण्डल और सरकार के बीच समन्वय की आवश्यकता महसूस की गई । तदनुसार केन्द्र तथा अन्य राज्यों की भांति इस राज्य में भी स्वतत्र रूप से एक संसदीय कार्य विभाग की स्थापना वर्ष 1986 में हुई ।


5. लोक सेवा प्रबंधन :
मध्यप्रदेश लोक सेवा के प्रदान की गारंटी अधिनियम 2010 के तहत अधिसूचित सेवाओं को समय सीमा में निराकरण की व्यवस्था हेतु संस्थागत, नीतिगत एवं प्रक्रियागत सुधार करने की दिशा में मार्गदर्शन करना इस विभाग का कार्य है।


6. गृह विभाग :
इस विभाग के अंतर्गत राज्य संपदा, आपदा प्रबंधन एवं अग्नि व शामक की इकाईयों की लेखापरीक्षा की जाती है, जिनमें क्रमशः शासकीय आवासों का आवंटन, आपदा एवं आग लगने की स्थिति में बचाव व शामक संबंधी कार्य किया जाता है।  

7. विधि एवं विधायी कार्य विभाग :
इस विभाग के अंतर्गत आने वाली सामान्य निर्वाचन की इकाई कार्यालय मुख्य निर्वाचन अधिकारी (संचालनालय) द्वारा चुनाव (सामान्य निर्वाचन) संबंधी कार्यों का संपादन किया जाता है। 


लेखापरीक्षा योग्य इकाइयों की सूची:-
•    सामान्य प्रशासन विभाग के अंतर्गत लेखापरीक्षा योग्य इकाइयों की सूची
•    राजस्व विभाग के अंतर्गत लेखापरीक्षा योग्य इकाइयों की सूची
•    जनसंपर्क विभाग के अंतर्गत लेखापरीक्षा योग्य इकाइयों की सूची
•    संसदीय कार्य विभाग के अंतर्गत लेखापरीक्षा योग्य इकाइयों की सूची
•    लोक सेवा प्रबंधन विभाग के अंतर्गत लेखापरीक्षा योग्य इकाइयों की सूची
•    गृह विभाग के अंतर्गत लेखापरीक्षा योग्य इकाइयों की सूची
•    विधि एवं विधायी कार्य विभाग के अंतर्गत लेखापरीक्षा योग्य इकाइयों की सूची

 

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