1. विधान सभा के प्रथम सत्र के आंरभ के तुरंत बाद लोक लेखे पर इस नियम के प्रावधान के अधीन एक समिति गठित की जाएगी।

2. समिति का कार्य मध्य प्रदेश सरकार के व्ययों की पूर्ति के लिए विधान सभा द्वारा संस्वीकृत राशि के विनियोग को दर्शाते हुए लेखों की जांच करना तथा विधान सभा के समक्ष रखे गए ऐसे लेखे, जो समिति उचित समझें की जांच करना होगा।

3. लोक लेखा समिति में नौ सदस्य, इससे अधिक नहीं; होगें जो कि विधान सभा द्वारा उसके मध्य के सदस्यों में से साधारण, हस्तांतरणीय वोट के माध्यम से समानुपात प्रतिनिधित्व के सिद्वांत के अनुसार निवार्चित किए जाएंगें।

4. समिति के सदस्यों के कार्यालय का कार्यकाल एक वर्ष होगा।

5. समिति में आकस्मिक रिक्तियां उत्पन्न होने के साथ ही पूर्वोक्त तरीके से भरी जाएंगी तथा ऐसी रिक्तियों को भरने के लिए निर्वाचित कोई भी व्यक्ति कार्यालय को उस अवधि के लिए धारण करेगा, जिसके लिए वह व्यक्ति इस नियम के प्रावधानों के अधीन धारण करता, जिसके स्थान पर वह निर्वाचित किया गया है।

6. समिति की बैठक बुलाने के लिए निर्देशित संख्या होगी।

7. समिति का अध्यक्ष सभापति द्वारा समिति के सदस्यों के बीच से नियुक्त किया जाएगा।

.. बशर्ते कि यदि उप सभापति समिति का सदस्य है, वह समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया जाएगा।

.. बशर्ते तथापि यदि समिति का अध्यक्ष पूर्ववर्ति वित्त वर्ष के दौरान दो वर्ष से कम के लिए अध्यक्ष रहा हो तथा वह समिति का सदस्य निर्वाचित किया गया हो, सभापति प्रथम नियम या  नियम 206 (1) के बावजूद उसे समिति का अध्यक्ष नियुक्त कर सकता है।

.. यदि अध्यक्ष किसी कारण से कार्य करने में असमर्थ है तो सभापति इसी प्रकार उसके स्थान पर अन्य अध्यक्ष नियुक्त कर सकता है।

यदि अध्यक्ष समिति की किसी बैठक में अनुपस्थित है तो समिति बैठक के लिए अन्य सदस्य को अध्यक्ष के रूप में चुन सकती है।

8. किसी भी प्रकरण पर वोटों की समानता की स्थिति में, अध्यक्ष के पास दूसरा या निर्णायक वोट होगा।

 

9. समिति एक या अधिक उप- समिति नियुक्त कर सकती है, प्रत्येक के पास उन्हें सौपे/संदर्भित प्रकरणों की जांच करने के लिए अंखंडित समिति की शक्तियां होंगी तथा ऐसी उप-समितियों के प्रतिवेदन संपूर्ण समिति का प्रतिवेदन माना जाएगा, यदि ये प्रतिवेदन संपूर्ण समिति के बैठक में अनुमोदित होती है।

 

10. समिति, यदि सही समझे, अपने प्रतिवेदन का कोई भी संपूर्ण भाग प्रस्तुती से पूर्व सरकार को उपलब्ध करा सकती है; ऐसे प्रतिवेदन, जब तक सदन में प्रस्तुत नहीं किए जाते है; गोपनीय माने जाएंगें।

11. समिति जांच के अधीन लेखों से संबंधित अधिकारियों की सुनवाई या साक्ष्य ले सकती है। यह समिति की समझ पर होगा कि उसके समक्ष प्रस्तुत किए गए किसी भी साक्ष्य को राज या गोपनीय रखना है।

 

12.(अ) सभापति, समय - समय पर समिति के अध्यक्ष को ऐसे निर्देश जारी करेगा; जो वह अपने कार्य के संगठन एवं प्रक्रिया के विनियमन के लिए आवश्यक समझें।

12.(ब) यदि प्रक्रिया के किसी बिंदु पर या अन्यथा कोई संदेह उत्पन्न होता है, तो अध्यक्ष, यदि उचित समझे, उस बिंदू को सभापति को संदर्भित कर सकता है जिसका निर्णय अंतिम होगा।

 

13. समिति के पास सभापति के विचार करने के लिए प्रक्रियाओं के प्रकरण पर प्रस्ताव पारित करने की शक्ति होगी। सभापति, प्रक्रियाओं में ऐसे परिवर्तन कर सकता है, जैसा वो आवश्यक समझें।

 

14. समिति, सभापति के अनुमोदन के साथ, इन नियमों में समाहित प्रस्तावों को अनुपूरित करने के लिए प्रक्रियाओं के विस्तृत नियम बनाएगी।

 

लोक लेखे पर समिति के कार्य

1. मध्य प्रदेश सरकार के विनियोग लेखों एवं उस पर नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक के प्रतिवेदनों की समीक्षा में लोक लेखों पर समिति का कर्त्तव्य होगा कि वह स्वयं को संतुष्ट करें।

(क) कि लेखों में दिखाई गई वितरित राशि/ पूंजी विधिक रूप से सेवाओं या उद्देश्य के लिए  उपलब्ध एवं लागू है, जिसके लिए वे आवेदित या भारित है।

(ख) कि व्यय प्राधिकारी के अनुरूप है, जो उसे नियंत्रित करता है; और

(ग) कि प्रत्येक किए गए पुर्नविनियोग सक्षम प्राधिकारी द्वारा बनाए गए नियमों के अंतर्गत इस संबंध में बनाए गए प्रावधानों के अनुसार है।

 

बशर्ते कि उपर्युक्त धारा (ब) में किया गया  प्रावधान वर्ष 1950 से पूर्व के किसी लेखे पर लागू नहीं होगा।

 

2. समिति का यह भी कर्त्तव्य होगाः-

(क) कि वो ऐसे व्यापार, विनिर्माण तथा लाभ एवं हानि लेखे और तुलन पत्र की जांच करें, यथा सरकार को तैयार करना अपेक्षित हो तथा उस पर नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक के प्रतिवेदन की भी जांच करें।

 

(ख) उन प्रकरणों में नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक के प्रतिवेदनों पर विचार करे, जांच राज्यपाल को आवश्यकता हो कि वो किसी प्राप्ति का संचालन या लेखापरीक्षा करें या स्टोर एवं स्टॉक की जांच करें।

सार्वजनिक उपक्रम पर समिति

कार्य

अनुसूची (|V) में निर्दिष्ट सार्वजनिक उपक्रमों के कार्या की जांच करने के लिए सार्वजनिक उपक्रम पर एक समिति होगी। समिति के कार्य होंगे:-

 

(क) अनुसूची (|v) में निर्दिष्ट सार्वजनिक उपक्रमों के लेखों एवं प्रतिवेदनों की जांच करें तथा ऐसे किसी भी सार्वजनिक उपक्रमों की जांच करे जो समिति को सभापति द्वारा जांच हेतु संदर्भित की जाए।

 

(ख) सार्वजनिक उपक्रमों पर नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक के प्रतिवेदन यदि कोई हो; की जांच करे;

(ग) सार्वजनिक उपक्रमों की दक्षता एवं स्वत्व के संदर्भ में जांच करे कि क्या सार्वजनिक उपक्रमों के मामले / कार्य स्वस्थ व्यवसायी सिद्वातों एवं मित्व्ययी वाणिज्यिक प्रथाओं के अनुसार संचालित किए जा रहें हैं; और

(घ) ऐसे अन्य कार्य करे जो लोक लेखे पर समिति को सौंपे जाएं तथा सार्वजनिक उपक्रमों के संबंध में आंकलनों पर समिति को सभापति द्वारा समय - समय पर आंबटित किए जाएं जो उपर्युक्त धारा (क) , (ख) एवं (ग) में नहीं होः

बशर्ते समिति निम्नलिखित किसी की भी जांच या छान-बीन नहीं करेगी, नामतः-

 

1. सार्वजनिक उपक्रमों के वाणिज्यिक कार्या या व्यवसाय से भिन्न बडी शासकीय निति के प्रकरण;

2. प्रशासन के दिनं-दिन प्रकरण; और

3. प्रकरण जिस पर विचार करने के लिए किसी विशिष्ट कानून द्वारा कोई तंत्र स्थापित की जाती है जिसके अंतर्गत कोई विशेष सार्वजनिक उपक्रम स्थापित की जाती है।

समिति का गठन-

लोक लेखा समिति में नौ सदस्य होगें जो कि विधान सभा द्वारा उसके मध्य के सदस्यों में से साधारण, हस्तांतरणीय वोट के माध्यम से समानुपात प्रतिनिधित्व के सिद्वांत के अनुसार निवार्चित किए जाएंगें।

 

समिति का कार्यकाल

समिति के सदस्यों के कार्यालय का कार्यकाल एक वर्ष होगा।

 

समिति की निर्दिष्ट संख्या-

 

समिति की बैठकों की  निर्दिष्ट संख्या 03  होगी|

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