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संविधान के अनुच्छेद 151 के अंतर्गत तैयार 31 मार्च 2020 को समाप्त हुए वर्ष हेतु झारखण्ड सरकार के राज्य वित्त पर भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक का प्रतिवेदन झारखण्ड के राज्यपाल को 14.09.2021 को समर्पित किया गया। प्रतिवेदन विधानसभा में 22.12.2021 को प्रस्तुत किया गया।
प्रतिवेदन में उल्लिखित महत्वपूर्ण बिंदुओं के सारांश नीचे इंगित किये गये हैं :
अध्याय-1 प्रतिवेदन और अंतर्निहित डेटा का आधार, दृष्टिकोण और सरकारी लेखों की संरचना का अवलोकन है।
वर्ष 2009-10 और 2014-15 को छोड़कर वर्ष 2006-07 से राज्य राजस्व अधिशेष राज्य था। 2019-20 के दौरान, राजस्व अधिशेष ₹1,960 करोड़ था । हालांकि, इस अधिशेष को राज्य सरकार द्वारा आवश्यक कारणों में योगदान न करने और पूंजी श्रेणी के तहत राजस्व मदों के गलत वर्गीकरण के आलोक में देखा जाना चाहिए। इन्हें शामिल करने से राज्य को 2019-20 के दौरान ₹ 440.16 करोड़ का राजस्व अधिशेष होता।
एफ.आर.बी.एम लक्ष्य और एफ.एफ.सी. मानदण्ड तीन प्रतिशत के विरुद्ध राज्य का राजकोषीय घाटा मार्च, 2020 के अंत तक स.रा.घ.उ. का 2.45 प्रतिशत था।
कंडिका- 1.5.1
अध्याय-2 राज्य के वित्त का एक व्यापक परिप्रेक्ष्य, पिछले वर्ष के सापेक्ष प्रमुख राजकोषीय समुच्चय में महत्वपूर्ण परिवर्तनों का विश्लेषण प्रस्तुत करता है।
राज्य के कुल व्यय में राजस्व व्यय 85 प्रतिशत था, जिसका 42.74 प्रतिशत वेतन, सब्सिडी, ब्याज और पेंशन भुगतान पर खर्च किया गया।
कंडिका- 2.4.1
सामाजिक सेवाओं पर 11 प्रतिशत और आर्थिक सेवाओं पर 13 प्रतिशत के कम व्यय के कारण पिछले वर्ष की तुलना में वर्ष 2019-20 के दौरान पूँजीगत व्यय में ₹ 833 करोड़ की कमी हुई।
कंडिका- 2.4.3
झारखण्ड राज्य विद्युत बोर्ड (जे.एस.ई.बी.) को ₹ 7,222 करोड़ की राशि का ऋण सरकारी लेखाओं में बोर्ड से प्राप्य के रूप में दर्शाया जाना जारी है, यद्यपि बोर्ड जनवरी 2014 में अलग-अलग कंपनियों में विभाजित कर दिया गया था। इस प्रकार, राज्य की संपत्ति ₹ 7,222 करोड़ की सीमा तक बढ़ गई थी।
कंडिका- 2.4.5
अध्याय-3 राज्य के विनियोग लेखों और राज्य सरकार के विनियोग और आबंटन प्राथमिकताओं की समीक्षा और बजटीय प्रबंधन से संबंधित संवैधानिक प्रावधानों से विचलन पर आधारित है।
वर्ष 2019-20 के दौरान कुल बचत ₹ 23,984.71 करोड (कुल बजट का 25.31 प्रतिशत) अनियमित बजट अनुमान का द्योतक हैI आगे, इन अनुदानों में अंतिम चार वर्षों के दौरान कम से कम ₹ 6,184.28 करोड की सतत बचत हुई।
कंडिका- 3.1.1
वर्ष के दौरान 58 मामलों (प्रत्येक मामले में ₹ 0.50 करोड़ या उससे अधिक) में प्राप्त कुल ₹ 9,272.22 करोड (99.37 प्रतिशत) के अनुपूरक प्रावधान अनावश्यक साबित हुए क्योंकि व्यय मूल प्रावधानों के स्तर तक भी नहीं आया।
कंडिका- 3.3.4
वर्ष 2001-02 से 2017-18 तक के अनुदान/विनियोग पर ₹ 3,015.37 करोड की राशि का अत्यधिक संवितरण का राज्य विधानमंडल द्वारा नियमित किया जाना शेष है। इसके अतिरिक्त, वर्ष 2019-20 के दौरान एक अनुदान एवं एक विनियोग में ₹ 313.32 करोड का अधिक व्यय किया गया।
कंडिका- 3.3.8
अध्याय-4 सरकार के विभिन्न प्राधिकरणों द्वारा प्रदान किए गए लेखों की गुणवत्ता और निर्धारित वित्तीय नियमों और विनियमों के अनुपालन नहीं करने के मुद्दों पर टिप्पणी करता है।
मार्च 2020 तक एकत्रित ₹ 550.18 करोड़ राशि का श्रम उपकर को श्रम कल्याण बोर्ड (अक्टूबर, 2020) में स्थानांतरित नहीं किया गया जिससे राजस्व अधिशेष बढ़ा और राजकोषीय घाटे में कमी हुई और यह राज्य की अलेखित दायित्वों को दर्शाता है।
कंडिका- 4.1
राज्य में 31 मार्च, 2020 तक ₹ 69,702.99 करोड़ राशि के 29,358 उपयोगिता प्रमाणपत्र (यू.सी) 2019-20 तक विभिन्न विभागों द्वारा बकाया थे।
कंडिका- 4.5
31 मार्च 2020 तक, 2019-20 तक निकालें गए आकस्मिक विपत्र के विरुद्ध भारी मात्रा में विस्तृत विपत्र (18,219) की राशि ₹ 6,444.44 करोड़ जमा नहीं की गई थी।
कंडिका- 4.6