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कार्यालय का इतिहास
यह कार्यालय देश के पुरातन कार्यालयों में से एक है। अप्रैल, 1912 में ‘बंगाल विभाजन’ के व्युत्क्रमण के उपरांत, राजधानी पटना के साथ एक नये प्रांत बिहार एवं उड़ीसा के गठन पर, पटना में स्थान एवं आवासन की कमी के कारण, सरकार के मुख्यालय अस्थायी तौर पर रॉंची में ही स्थापित किये गए। महालेखाकार का कार्यालय, बिहार एवं उड़ीसा ने 20 मई 1912 से रॉंची में कार्य करना प्रारंभ किया, जब डब्ल्यू-अल्डेर महोदय, भारतीय सिविल सेवा ने महालेखाकार बिहार एवं उड़ीसा के रूप में पदभार ग्रहण किया। पूर्ववर्ती कार्यालय “महालेखाकार, पूर्वी बंगाल एवं असम, ढ़ाका” से अधिशेष कर्मचारी, शिलांग कार्यालय (असम की राजधानी) एवं कलकत्ता कार्यालय (बंगाल की राजधानी) से स्वैच्छिक कर्मचारियों को अप्रैल-मई 1912 में रॉंची कार्यालय लाया गया, और उन्होंने नवगठित कार्यालय के प्रारंभिक कर्मचारी-दल का संस्थापन किया। कार्यालय डोरंडा स्थित एक खपरैल झोपड़ीनुमा आवास में स्थापित की गयी, जो तब एक सैन्य छावनी हुआ करती थी। सन 1966 तक कार्यालय इसी परिसर में चलती रही, जब तक कि इससे सटे एक नयी बहुमंजिली इमारत नहीं बना ली गयी। हालांकि, 1999-2000 तक कुछ अनुभाग इन्हीं झोपड़ीनुमा आवास में कार्य करते रहे।
1.2 अप्रैल 1936 में, एक अलग “उड़ीसा प्रांत” के निर्माण के फलस्वरूप उड़ीसा कार्यालय को अलग किया गया और अंतत: अप्रैल 1956 में भुवनेश्वर में प्रतिस्थापित कर दिया गया।
1.3 राज्य सरकार के अधिकारियों के व्यक्तिगत दावों के त्वरित निपटारे को सुनिश्चित करने के क्रम में, बिहार कार्यालय फरवरी 1973 में दो अलग कार्यालयों में विभाजित किए गए, अर्थात:-
।) महालेखाकार -।, बिहार - मुख्यालय रॉंची में स्थित एवं
।।) महालेखाकार -।।, बिहार - मुख्यालय पटना में स्थित
उप महालेखाकार (परियोजना) का तत्कालीन कार्यालय भी महालेखाकार-।।, बिहार, पटना के अधीन कर दी गयी।
1.4 भारतीय लेखा एवं लेखापरीक्षा विभाग के पुनर्संरचना के बाद, लेखापरीक्षा से संबंधित क्रियाकलाप लेखा व हकदारी से अलग किये गए एवं चार अलग-अलग कार्यालयों ने मार्च, 1984 से कार्य करना प्रारंभ किया, अर्थात:-
(i) महालेखाकार (लेखा एवं हक.)-।, बिहार, रॉंची,
(ii) महालेखाकार (लेखा एवं हक.)-।।, बिहार, पटना,
(iii)महालेखाकार (लेखापरीक्षा)-।, बिहार, पटना,
(iv)महालेखाकार (लेखापरीक्षा)-।।, बिहार, रॉंची
1.5 जुलाई 1985 में महालेखाकार (लेखा एवं हक.)-। बिहार, रॉंची का पद ‘’प्रधान महालेखाकार’’ के स्तर पर पदोन्नत किया गया। बाद में महालेखाकार (लेखा एवं हक.)-। का कार्यालय, बिहार, रॉंची का नाम बदल कर मार्च 1990 से प्रधान महालेखाकार (लेखा एवं हक.) -। का कार्यालय, बिहार, रॉंची किया गया।
1.6 15 नवम्बर 2000 को बिहार राज्य को बिहार एवं राजधानी रॉंची के साथ झारखण्ड राज्य में द्विविभाजित किया गया। परिणामस्वरूप कार्यालयों के पुन: नाम बदलकर क्रमश: प्रधान महालेखाकार (लेखा एवं हक.)-।, बिहार एवं झारखण्ड, रॉंची, महालेखाकार (लेखा एवं हक.)-।।, बिहार एवं झारखण्ड, पटना, महालेखाकार (लेखापरीक्षा)-।, बिहार एवं झारखण्ड, पटना एवं महालेखाकार (लेखापरीक्षा)-।।, बिहार एवं झारखण्ड, रॉंची के कार्यालय रखे गए।
1.7 1 अप्रैल 2003 को कार्यालय का नाम पुन: बदला गया और यह महालेखाकार (लेखा एवं हक.), झारखण्ड का कार्यालय, रॉंची हो गया।
1.8 आगे दिनांक 29.6.2011 से प्रभावी होकर, कार्यालय पुन: अपग्रेड की गयी एवं दिनांक 29.7.2011 से नाम बदलकर प्रधान महालेखाकार (लेखा एवं हक.) का कार्यालय, झारखण्ड, रॉंची किया गया।
बिहार राज्य के विभाजन के बाद की स्थिति
बिहार राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 2000, के अनुसार 15.11.2000 को रॉंची राजधानी के साथ, एक नया राज्य झारखण्ड अस्तित्व में आया।
इस विभाजन के फलस्वरूप पूर्ववर्ती बिहार में स्थित महालेखाकार कार्यालय का भी विभाजन हुआ। 15.11.2000 से प्रधान महालेखाकार/महालेखाकार के कार्यालय, बिहार का नामकरण प्रधान महालेखाकार/महालेखाकार, बिहार एवं झारखण्ड हो गया जिसे पुन: बदलकर 01.04.03 से क्रमशः महालेखाकार, झारखण्ड एवं महालेखाकार, बिहार कहा जाने लगा। पुन: 29.07.2011 से इसका नामकरण प्रधान महालेखाकार (लेखा एवं हक.) का कार्यालय, झारखण्ड, रॉंची किया गया।
महालेखाकार के कार्यालय में लेखा कार्य दो भागों में बॉट दिया गया था। प्रथमतः संयुक्त बिहार के लेखे 14.11.2000 तक बंद कर दिये गए एवं 15.11.2000 से बिहार एवं झारखण्ड के लेखे अलग-अलग संकलित किये जाने लगे। दिसम्बर माह से झारखण्ड के लेखे समान्तर हस्त संकलन के स्थान पर वी.एल.सी. पद्धति के द्वारा किये जाने लगे। जबकि अप्रैल 2001 से बिहार लेखे वी.एल.सी. पद्धति के द्वारा किये गए।
फरवरी 2003 में झारखण्ड राज्य के अराजपत्रित कर्मचारियों के पेंशन सत्यापन कार्य के पटना से रॉंची स्थानान्तरण पर, 03.02.2003 से इस कार्यालय ने इन पेंशनों के पेंशन सत्यापन पर कार्य प्रारंभ किया। झारखण्ड राज्य के उच्चाधिकारियों/अधिकारियों/कर्मचारियों के जी.ई. एवं राजपत्रित पेंशन कार्य दो चरणों में 15 सितम्बर, 2006 एवं 15 दिसंबर 2006 को पटना से रॉंची स्थानान्तरित हुई।
पटना एवं रॉंची में स्थित महालेखाकार (लेखापरीक्षा) के बीच कार्यों के पुन: आवंटन के पश्चात, 22 जुलाई 2002 से महालेखाकार (लेखापरीक्षा)-।।, बिहार एवं झारखण्ड का पुन: नामकरण महालेखाकार (लेखापरीक्षा) झारखण्ड, रॉंची किया गया। दोनों लेखापरीक्षा कार्यालयों में कर्मचारियों का आवंटन पुन: 17 जुलाई 2003 से हुआ एवं स्थानीय लेखा परीक्षा के मामले में यह 01 अक्टूबर 2003 तक सम्पन्न हुआ। बिहार एवं झारखण्ड के लेखापरीक्षा कार्यालयों के पुनर्गठन के पहले लेखापरीक्षा प्रतिवेदन (सिविल) एवं लेखापरीक्षा प्रतिवेदन (व्यावसायिक) तैयार करना महालेखाकार (लेखापरीक्षा)-। बिहार, पटना की जिम्मेदारी थी एवं राजस्व प्राप्तियों पर जारी लेखापरीक्षा प्रतिवेदन महालेखाकार (लेखापरीक्षा)-।। बिहार, रॉंची की जिम्मेदारी थी जबकि, 2001-2002 से आगे, बिहार के लिए ये सभी तीन प्रतिवेदनों को तैयार करने का कार्य महालेखाकार (लेखापरीक्षा) बिहार, पटना को सौंपा गया है एवं झारखण्ड के लिए यह महालेखाकार (लेखापरीक्षा) झारखण्ड, राँची को।
कार्यालय ने मई 2012 में 100 वर्ष पूरे किए।
भारतीय लेखा एवं लेखापरीक्षा विभाग में लेखापरीक्षा व्यवस्थाओं की पुनर्संरचना हेतु तय किये गये योजना के अनुसार लेखापरीक्षा कार्यालय को विभिन्न क्षेत्र समूहों में पुनर्गठित किया गया अर्थात् (i) प्रशासन स्कंध (ii) सामाजिक क्षेत्र – I एवं II (iii) आर्थिक एवं सामान्य क्षेत्र (iv) राजस्व क्षेत्र एवं झारखण्ड में अवस्थित केन्द्र सरकार के उपक्रम (स्वायत्त निकायों सहित) के लेखापरीक्षा का दायित्व 02.04.2012 से प्रधान निदेशक (केन्द्रीय) लेखापरीक्षा, लखनऊ के शाखा कार्यालय, रॉंची को स्थानांतरित कर दिया गया।