राजपूताना प्रान्तों के एकीकरण के पश्चात नये राजस्थान राज्य का गठन 30 मार्च, 1949 को हुआ था।

कार्यालय महालेखाकार राजस्थान ने 1 अक्टूबर, 1949, को सिटी पैलेस, जलेब चौंक के एक हिस्से में कार्य करना शुरू किया एवं अचरोल हाउस के नाम से प्रसिद्ध ख्वासजी की हवेली में जोधपुर में उप महालेखाकार प्रभारी के अधीन एक शाखा कार्यालय सहित आवास किराये पर लिया। श्री रंग बिहारी लाल प्रथम महालेखाकार थे। वर्ष 1949-50 की दूसरी छःमाही में राजस्थान का प्रथम समेकित लेखा रक्षा, रेलवे व डाक विभाग के लेनदेन को सम्मलित करते हुये तैयार किया गया।

ज्यादा दूरी पर स्थित कई भवनों में कार्यालयों के फैलाव एवं भीड़ की समस्या का निराकरण करने एवं पर्याप्त आवास स्थान की व्यवस्था करने के उद्येश्य से इसके वर्तमान भवन का शिलान्यास 17 फरवरी 1955 को तत्कालीन सरमन्द राज राजेन्द्र श्री महाराजाधिराज सर साई मानसिंह बहादुर जी.सी.एस.आई., जी.सी.आई.ई., एल.एल.डी.जयपुर के महाराजा एवं राजस्थान के राजप्रमुख ने किया।

बाद में, कार्यालय अप्रैल 1982 में दो कार्यालयों महालेखाकार-I व महालेखाकार-II दो भागों में बांट दिया गया। पहले वाले कार्यालय को राज्य के संव्यवहार के लेखांकन व सिविल लेखा परीक्षा का कार्य सौंपा गया। बाद वाले कार्यालय को राज्य सरकार की कम्पनियों, निगमों व वाणिज्य उपक्रमों की लेखापरीक्षा और प्राप्तियों (दोंनों केन्द्र व राज्य) की लेखा परीक्षा का कार्य सौंपा गया।

आगे मार्च, 1984, में कार्यालय को दो विभिन्न कार्यात्मक श्रेणियों क्रमश: महालेखाकार (लेखा व हक) व महालेखाकार (लेखा परीक्षा) में पुनर्गठित किया गया। श्री वी दौरेस्वामी महालेखाकार (लेखा व हक) व श्री एस.सी. आनन्द महालेखाकार (लेखा परीक्षा) थे।

10 जुलाई, 1989 को कार्यालय महालेखाकार (महालेखा परीक्षा) को कार्यात्मक आधार पर आगे दो कार्यालयों महालेखाकार (लेखा परीक्षा)-I व महालेखाकार (लेखा परीक्षा)-II में पुनर्गठित किया गया। पहले वाले कार्यालय को राज्य सिविल लेखा परीक्षा प्रतिवेदन की तैयारी व निश्चयात्मकता व कार्मिकों के संवर्ग प्रबंधन का कार्य सौंपा गया। बाद वाले कार्यालय ने लेखा परीक्षा प्रतिवेदन (वाणिज्य) व लेखा परीक्षा प्रतिवेदन (राजस्व प्राप्ति) तैयार किया व अन्तिम रुप प्रदान किया। श्री पी.के.ब्रहम महालेखाकार (लेखा परीक्षा)-I व श्री एन सुन्दर राजन महा लेखाकार (लेखा परीक्षा)-II थे।

20, सितम्बर 2002, को कार्यालय को कार्यालय प्रधान महालेखाकार (लेखा परीक्षा)-I के रुप में प्रोन्नत किया गया। श्री आनन्द शंकर प्रथम प्रधान महालेखाकार (लेखा परीक्षा) नवम्बर, 2002 में कार्यालय प्रधान महालेखाकार को सम्पदा प्रबंधन का उत्तरदायित्व भी सौंप दिया गया।

सितंबर 2004 से कार्यालय का नाम प्रधान महालेखाकार (सिविल लेखापरीक्षा), राजस्थान रखा गया है।

वर्तमान में महालेखाकार भवन ’में स्थित, कार्यालय का नाम फिर से लेखापरीक्षा कार्यालयों के क्षेत्रवार पुनर्गठन के कारण दिनाँक 18 मई 2020 से कार्यालय प्रधान महालेखाकार (लेखापरीक्षा- I) राजस्थान, जयपुर और कार्यालय महालेखाकार (लेखापरीक्षा-II) राजस्थान, जयपुर रखा गया है।

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