प्रकाशन व प्रतिवेदन
संविधान के तहत जिन नियमों और प्रक्रियाओं को बनाया या अपनाया गया है, उनका अनुसरण विधायिका लेखों की जाँच और राज्य की पीएसी के रुप में जाने जाने वाली विधायिका की समिति द्वारा प्रदान की गई रिपोर्टों के अवलोकन में करती है। प्रधान महालेखाकार/महालेखाकार लेखा परीक्षा रिपोर्टों के परीक्षण में समिति की सहायता करते हैं।
जैसे ही लेखापरीक्षा प्रतिवेदन को विधानमंडल में रखा जाता है, प्रशासनिक विभाग रिपोर्ट में उल्लिखित अनियमितताओं को सुधारने के लिए तुरंत कार्यवाही करता है और की गई कार्यवाही को लेखापरीक्षा द्वारा विधिवत संविक्षा के उपरांत विधानसभा सचिवालय द्वारा पीएसी को विचारार्थ प्रस्तुत की जाती है। ऐसे जवाब प्रस्तुत करने की समय सीमा 03 महीने है। पीएसी द्वारा मौखिक साक्ष्य और विस्तृत चर्चा के लिए कुछ ऑडिट पैराग्राफ का चयन किया जाता है।
प्राप्त अंतिम उत्तरों के आधार पर, एक विस्तृत एमआईपी (महत्वपूर्ण बिंदुओं का ज्ञापन) समिति के सदस्यों के लिए तैयार किया जाता है जो मौखिक साक्ष्य के लिए तैयार मार्गदर्शिका या स्मृति-पत्र ’ का कार्य करता है। प्रधान महालेखाकार /महालेखाकार को समिति की बैठकों में उपस्थित रहने के लिए आमंत्रित किया जाता है जब मौखिक साक्ष्य लिया जाता है। मौखिक साक्ष्यों के दौरान, प्रधान महालेखाकार /महालेखाकार मुद्दे के परीक्षण में अध्यक्ष महोदय की सहायता करते हैं।
चर्चा के दौरान मौखिक साक्ष्यों और ऑडिट पैराग्राफ पर विभाग से प्राप्त जबाब का परीक्षण करने के बाद पीएसी सिफारिश रिपोर्ट (आरआर) के रूप में ऑडिट पैराग्राफ पर अपनी सिफारिशों को अंतिम रूप देती है। रिपोर्ट को विधानमंडल में रखा जाता है।
सरकार और संबंधित विभाग को पीएसी की सिफारिशों पर त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई करनी होती है और समिति को की गई कार्यवाही की प्रति (एटीएन) प्रस्तुत करनी होती हैं।
विभागों द्वारा की गई कार्यवाही (एटीएन) की प्रधान महालेखाकार/महालेखाकार द्वारा संविक्षा की जाती है जो समितियों की सिफारिशों पर विभागों द्वारा की गई कार्रवाई पर करीबी नजर रखते हैं। समिति विभाग द्वारा की गई अनुवर्ती कार्रवाई पर भी निगरानी करती है और यदि कुछ बिंदुओं पर कार्रवाई अपर्याप्त होती है तो मौखिक साक्ष्य के लिए संबंधित विभाग के सचिव को बुलाया जाता है। विभाग द्वारा की गई कार्रवाई की जांच के बाद, पीएसी अपना अंतिम मत रिपोर्ट अर्थात एटीआर (की गई कार्यवाही रिपोर्ट) के रुप में देती है। रिपोर्ट को विधानमंडल में भी रखा जाता है।