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झारखंड

प्रतिवेदन संख्या 3 वर्ष 2022 - 31 मार्च 2020 को समाप्त हुए वर्ष के लिए झारखण्ड में ग्रामीण विद्युतीकरण योजनाओं के कार्यान्वयन पर प्रतिवेदन

दिनांक जिस पर रिपोर्ट की गई है:
Thu 04 Aug, 2022
शासन को रिपोर्ट भेजने की तिथि:
सरकार के प्रकार:
राज्य
क्षेत्र बिजली एवं ऊर्जा

अवलोकन

भारत के संविधान के अनुच्छेद 151 के अंतर्गत तैयार भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक का 31 मार्च 2020 को समाप्‍त हुए वर्ष के लिए “झारखण्ड में ग्रामीण विद्युतीकरण योजनाओं के कार्यान्वयन” (झारखण्ड सरकार) पर यह लेखापरीक्षा प्रतिवेदन झारखण्ड के राज्यपाल को दिनांक 27 जून 2022 को प्रेषित की गई। यह प्रतिवेदन राज्य के विधानसभा के पटल पर दिनांक 04 अगस्त 2022 को रखा गया।

भारत सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारें भी शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युत उपलब्धता में विद्यमान कमी के उन्मूलन के उद्देश्य से कई ग्रामीण विद्युतीकरण योजनाओं का कार्यान्वयन करती रही हैं यथा- दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना (डीडीयुजीजेवाई), राजीव गाँधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना (आरजीजीवीवाई), प्रधानमंत्री सहज हर घर बिजली योजना (सौभाग्या), अटल ग्राम ज्योति योजना (एजीजेवाई) तिलका मांझी कृषि पम्प योजना (टीएमकेपीवाई) तथा झारखण्ड सम्पूर्ण बिजली आच्छादन योजना (जेएसबीएवाई)।
राज्य में ग्रामीण विद्युतीकरण योजनाओं के कार्यान्वयन का आकलन करने के उद्देश्य से 2015-20 की अवधि को आच्छादित करते हुए 2019-20 में झारखण्ड में ग्रामीण विद्युतीकरण योजनाओं के कार्यान्वयन पर एक निष्पादन लेखापरीक्षा की गई।
नियोजन
झारखण्ड बिजली वितरण निगम लिमिटेड (जेबीवीएनएल) ने उपभोक्ता डाटाबेस के अलावा ग्रामीण विद्युतीकरण की स्थिति से संबंधित डाटाबेस का संधारण नहीं किया। नमूना-जाँचित सात जिलों में विद्युतीकरण कार्य शुरु करने से पूर्व किये गए फील्ड सर्वेक्षण में टर्न-की संवेदकों (टीकेसी) ने पाया कि डीपीआर में 260 विद्युतीकृत एवं 678 अविद्यमान ग्रामों को शामिल किया गया था।  
चतरा, गढ़वा, लातेहार और पलामू जिलों में आरजीजीवीवाई (X पंचवर्षीय योजना) के अपूर्ण रहने, जेबीवीएनएल के द्वारा दुमका और पश्चिमी सिंहभूम में बचे हुए बीपीएल घरों के विद्युतीकरण का मुद्दा नहीं उठाने तथा सिमडेगा जिला के डीपीआर को अपलोड नहीं करने के कारण जेबीवीएनएल भारत सरकार के ₹ 182.68  करोड़ के अनुदान से वंचित रहा।
ग्राम एवं गृह विद्युतीकरण 
यद्यपि, नमूना-जांचित सात जिलों में पूर्ण विद्युतीकरण के लक्ष्य जुलाई 2019 से दिसम्बर 2019 की अवधि में ही निर्धारित कर दिए गए थे, डीडीयुजीजेवाई के अंतर्गत 7,925 ग्रामों में से चयनित 819 (10 प्रतिशत) ग्रामों का विद्युतीकरण मार्च 2020 तक भी पूर्ण नहीं हो पाया। इसके अतिरिक्त, विभिन्न योजनागत बाधाओं के कारण आरजीजीवीवाई (XII पंचवर्षीय योजना) एवं डीडीयुजीजेवाई के अंतर्गत मार्च 2020 तक क्रमशः 1,15,629 में से 23,951 (21 प्रतिशत) विद्युत-संबंध तथा 2,15,605 में से 68,417 (32 प्रतिशत) विद्युत-संबंध प्रदान नहीं किए जा सके।  
एजीजेवाई को 3.64 लाख एपीएल घरों के लक्ष्य के विरुद्ध 1.86 लाख एपीएल घरों को निःशुल्क विद्युत-संबंध प्रदान करने के उपरांत समय से पहले बंद कर दिया गया क्योंकि जेबीवीएनएल टर्न-की संवेदकों (टीकेसी) को लाभुकों की सूची उपलब्ध नहीं करा पायी। 
डीडीयुजीजेवाई के अंतर्गत 56,954 एपीएल विद्युत-संबंध नियम विरुद्ध निःशुल्क निर्गत करने के कारण जेबीवीएनएल ने ₹ 15.85 करोड़ का परिहार्य व्यय किया। 
सौभाग्या के अंतर्गत नमूना-जांचित सात जिलों में 4,06,196 विद्युत-संबंध प्रदान करने के कार्यादेश के विरुद्ध 2,84,485 विद्युत-संबंध, निःशुल्क विद्युत-संबंध के योग्य लाभुकों का आकलन सुनिश्चित किए बिना ही निर्गत किए गए।  
यद्यपि, विभाग ने अप्रैल 2015 में टीएमकेपीवाई के अंतर्गत 3.04 लाख कृषि विद्युत-संबंध प्रदान करने का लक्ष्य निर्धारित किया था, किन्तु मुख्यतः सिंचाई हेतु नजदीकी जल स्रोतों में जल के अभाव के कारण कृषकों से कृषि विद्युत-संबंध के लिए कोई आवेदन प्राप्त नहीं हुआ। योजना कोई भी विद्युत-संबंध निर्गत किये बिना अक्टूबर 2018 में बंद कर दी गई।  
केंद्र प्रायोजित योजनाओं के अंतर्गत नमूना-जांचित सात जिलों में निर्गत कुल 5,23,295 विद्युत-संबंधों में से मात्र 2,93,334 उपभोक्ताओं को बिल दिया जा रहा था। 
431 उपभोक्ताओं की समीक्षा से यह उजागर हुआ कि बिलिंग में विद्युत-संबंध निर्गत करने की तिथि से दो महीने से लेकर 27 महीनों तक का विलम्ब हुआ। पुनः, मीटर विहीन/त्रुटिपूर्ण मीटर वाले 200 उपभोक्ताओं, जिनके मीटर बदले गए थे, की समीक्षा से उजागर हुआ कि 182 उपभोक्ताओं को मीटर परिवर्तन होने के आठ माह से लेकर 23 माह के बाद भी औसत आधार पर बिलिंग किया जा रहा था। 
2018-19 और 2019-20 के दौरान ग्रामीण उपभोक्ताओं से उर्जा शुल्क का संग्रहण झारखण्ड सरकार से प्राप्त सब्सिडी के अतिरिक्त क्रमशः 15.46 एवं 13.98 प्रतिशत, डीएस-।(ए)1 एवं 46.77 और 38.81 प्रतिशत, डीएस-।(बी)2 के अंतर्गत था। जेबीवीएनएल के सकल संग्रहण कुशलता (85 और 90 प्रतिशत के मध्य) की तुलना में यह काफी कम था। 
जेबीवीएनएल 2018-19 तक 15 प्रतिशत समग्र तकनीकी एवं वाणिज्यिक (एटीसी) ह्रास को हासिल करने में विफल रही जैसा कि उज्ज्वल डिस्कॉम एश्योरेंस योजना (उदय) में परिलक्षित था और 2019-20 के दौरान एटीसी ह्रास 33.49 प्रतिशत था। एटीसी ह्रास को ऊर्जा मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा निर्धारित सीमा के अन्दर रखने में विफल रहने के परिणामस्वरूप जेबीवीएनएल ऋणों को अनुदान में परिवर्तित करने के अवसर से वंचित रहेगा। 
फीडरों का पृथक्करण
यद्यपि, कृषि फीडरों के पृथक्करण के अंतर्गत 47 फीडर एवं 1,981.29 सर्किट किमी कृषि विद्युत लाइनें बिछाई गई, परन्तु इनमें से कोई भी चार्ज नहीं की जा सकी। इनमें से ₹ 90.61 करोड़ की लागत से देवघर, धनबाद और राँची जिलों में स्थापित 40 फीडर एवं 1,840.71 सर्किट किमी कृषि विद्युत लाइनों को 2,966 डीटीआर स्थापित होने के बाद भी उपयोग में नहीं लाया जा सका जबकि इन जिलों में 16,406 कृषि उपभोक्ता पूर्व से ही विद्यमान थे। 
उप-संचरण एवं वितरण संरचना का सुदृढीकरण 
डीडीयुजीजेवाई के अंतर्गत 235 मेगा वोल्ट एम्पियर (एमवीए) के 29 विद्युत शक्ति केंद्र (पीएसएस) निर्मित किये गए। इनमें से मात्र 70 एमवीए के आठ पीएसएस ही चार्ज किए जा सके, जबकि तीन से 29 माह के बाद भी 21 पीएसएस मुख्यतः ग्रीड उप केन्द्रों (जीएसएस) के अपूर्ण रहने (तीन मामले), आवश्यक 33 केवी अथवा 11 केवी लाइनों के नहीं बिछने (16 मामले) के साथ ही इन पीएसएस के संचालन के लिए प्रशिक्षित मानवबल के अभाव (दो मामले) के कारण निष्क्रिय (जून 2020) पड़े थे। 
पीएसएस तथा निर्मित फीडरों में जेबीवीएनएल ने ऊर्जा मीटर नहीं लगाए। यद्यपि वितरण ट्रांसफार्मरों (डीटीआर) में मीटर लगाए गए परन्तु, हानियों पर नियंत्रण रखने के लिए डीटीआर-वार ऊर्जा लेखांकन नहीं किया जा रहा था। अतः मुख्य उद्देश्यों में से एक, अर्थात एटीसी ह्रास की कमी, अप्राप्त रही।
वित्तीय प्रबंधन 
जेबीवीएनएल ने आरजीजीवीवाई (XII पंचवर्षीय योजना) से सम्बंधित कार्यों का समय से पूर्ण कराना सुनिश्चित नहीं किया परिणामस्वरूप परियोजना अनुश्रवण  अभिकरण (पीएमए) को सितम्बर 2020 तक शुल्क भुगतान के मद में ₹ 3.43 करोड़ का परिहार्य व्यय हुआ। 
जेबीवीएनएल नियत समय से पूर्व कार्य समाप्ति सुनिश्चित करने, एटीसी ह्रास को 2018-19 तक निर्धारित 15 प्रतिशत तक रखने तथा मीटर-युक्त बीलिंग के अभाव में झारखण्ड सरकार से स्वीकार्य राजस्व सब्सिडी की मांग करने में विफल रहा। अतः जेबीवीएनएल ऋण के 50 प्रतिशत अर्थात् ₹ 558.32 करोड़ को अतिरिक्त अनुदान में परिवर्तित करने में सक्षम नहीं रह पाएगा। 
संविदा प्रबंधन 
ग्रामीण विद्युतीकरण के कार्यान्वयन हेतु छः एजेंसियों को 18 पैकेज में कार्य प्रदान किए गए। एजेंसियों में से कोई भी निविदा के योग्य होने के तकनीकी मानदंडों को पूर्ण नहीं करता था। इसके अतिरिक्त, नमूना-जाँचित 304 मामलों में, रॉयल्टी की कटौती नहीं करने, इकरारनामों के संपादन में विलम्ब, वेंडरों को खुली निविदा को अधिसूचित करने तथा संविदा/कार्य प्रदान करने में वित्तीय शक्तियों के प्रत्यायोजन (डीओएफपी) के उल्लंघन के उद्धरण पाए गए।
अनुश्रवण 
जिला विद्युत समिति (डीईसी) को विद्युत आपूर्ति की गुणवत्ता, उपभोक्ताओं की संतुष्टि की समीक्षा तथा ऊर्जा कुशलता एवं ऊर्जा संरक्षण को प्रोत्साहन देने के लिए प्रत्येक तीन माह में एक बार बैठक करनी थी। नमूना-जांचित सात जिलों में अप्रैल 2015 से मार्च 2020 तक की अवधि में अपेक्षित 20 बैठकों के विरुद्ध डीईसी मात्र एक बार ही बैठक कर पाई, जिसका कारण अभिलेखों में उपलब्ध नहीं था। अतः परियोजना निर्देशिका में निर्धारित डीईसी के द्वारा पर्यवेक्षी निरीक्षण अनुपस्थित था।

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