26 जनवरी 1950 को संविधान लागू होने के साथ ही संविधान के अनुच्छेद 343 के अनुसार हिंदी भारत संघ की राजभाषा बन गई। भारत सरकार को अनुच्छेद 351 के तहत हिंदी भाषा के प्रसार और विकास को बढ़ावा देने का कार्य सौंपा गया ताकि हिन्दी भारत की समग्र संस्कृति में सभी के लिए अभिव्यक्ति का एक माध्यम बन सके। इसी के अनुसरण में, संसद द्वारा राजभाषा अधिनियम, 1963 अधिनियमित किया गया था और इसके बाद राजभाषा नियम, 1976 लाया गया।

संवैधानिक प्रावधानों के अनुसरण में, यह कार्यालय राजभाषा नियम, 1976 के उप-नियम 10 (4) के तहत अधिसूचित किया जाता है और  इस कार्यालय से भारत की राजभाषा नीति को लागू करने की अपेक्षा की जाती है। राजभाषा नियमों के अनुपालन में, यह कार्यालय विभिन्न वार्षिक कार्यक्रम और विभिन्न भाषा प्रशिक्षण, हिंदी टाइपिंग/आशुलिपि कार्यक्रमों का आयोजन करता है। हिंदी में काम करने के लिए हिंदी टाइपिंग भी जरूरी है। इसलिए हिंदी में कंप्यूटर पर काम करने में मदद करने के लिए कार्मिकों को हिंदी टाइपिंग प्रशिक्षण भी दिया जाता है।

  • राजभाषा नियमों के अनुपालन में, यह कार्यालय राजभाषा कार्यान्वयन समिति की त्रैमासिक बैठक का आयोजन करता है  जिसका नेतृत्व कल्याण अधिकारी, विभागाध्यक्ष की तरफ से करते है। इसमें पिछली तिमाही में हिंदी में किए गए कार्य की समीक्षा की जाती है। हिंदी में किए गए समग्र कार्य की समीक्षा के लिए वार्षिक मूल्यांकन रिपोर्ट भी नियमित रूप से तैयार की जा रही है। ये कार्यक्रम राजभाषा अधिनियम, 1963 और राजभाषा नियम, 1976 में निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करते हैं।
  • हिंदी कार्यशालाएं नियमित रूप से आयोजित की जा रही हैं। कार्यशाला में अधिकारी, प्रतिभागियों को राजभाषा अधिनियम, 1963 और राजभाषा नियम, 1976 के नियमों और नीतियों से अवगत करवाया जाता हैं।
  • हिंदी दिवस (14 सितंबर ) के अवसर पर,कार्यालय में हिंदी पखवाड़ा मनाया जाता है। इन विभिन्न कार्यक्रमों के दौरान हिंदी टिप्पण, प्रारुपण, प्रश्नोत्तरी, शब्दावली परीक्षण आदि का आयोजन किया जाता है।
  • यह कार्यालय नियमित रूप से नराकास (नगर राजभाषा कार्यान्वयन समित) की बैठकों में भाग लेता है।
  • राजभाषा नीति के अनुसार, कार्यालय के कुल अनुभागों में से 25 प्रतिशत का हिंदी भाषा में किए गए कार्य की स्थिति की जांच करने के लिए निरीक्षण किया जाता है। निरीक्षण दल की सहायता के लिए मुख्यालय निरीक्षण से संबंधित कार्य भी किया जाता है।

हमारे कार्यालय द्वारा अर्धवार्षिक हिंदी पत्रिका ''लेखापरीक्षा अर्चना''  प्रकाशित की जाती है। सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को हिंदी में लिखने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। कविताएँ, कहानियाँ, रोचक संस्मरण, यात्रा-वृत्तांत, नाटक-लेखन और अनुभव इत्यादि पत्रिका में शामिल  किए जाते हैं जो हिंदी भाषा और साहित्य के प्रति रुचि को बढ़ाते हैं। सभी लेख अर्धवार्षिक हिंदी पत्रिका में प्रकाशित होते हैं और देश भर के कार्यालयों में भेजे जाते हैं।

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