लेखापरीक्षकों की लेखापरीक्षा कौन करता है?
भारत के सीएजी कार्यालय में एक आंतरिक निरीक्षण विंग है जो समय-समय पर देश में स्थित लेखा परीक्षा और लेखा कार्यालयों का निरीक्षण करता है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उनके पास पर्याप्त प्रशासनिक और तकनीकी नियंत्रण हैं और वे उनका प्रभावी ढंग से अनुपालन करते हैं। इसके अतिरिक्त, सीएजी में 'पीयर रिव्यू ’ की एक प्रणाली है अर्थात् एक इकाई द्वारा एक समान स्टैंड की एक अन्य इकाई द्वारा किए गए कार्य की समीक्षा। लेखापरीक्षा कार्यालयों की पीयर रिव्यू, अन्य समान लेखा परीक्षा कार्यालयों के प्रमुखों द्वारा की जाती है। यह सुनिश्चित करता है कि लेखापरीक्षा कार्य को प्रभावी ढंग से और योजनाबद्ध तरीके से निष्पादित किया जाता है और लेखापरीक्षा प्रोडक्ट, संगठन के बैंचमार्क और हितधारकों की जरूरतों को पूरा करते है।
भारतीय लेखापरीक्षा एवं लेखा विभाग कैसे संगठित किया जाता है?
सीएजी का कार्यालय, नई दिल्ली लेखापरीक्षा, लेखा और आईएएंडएडी के हकदारी कार्यों से संबंधित सभी गतिविधियों को निर्देशित, मॉनीटर और नियंत्रित करता है। क्षेत्रीय स्तर पर अनेक कार्यालय है जैसेः • प्रत्येक राज्य में महालेखाकार (लेखापरीक्षा) का कार्यालय लेखापरीक्षा के लिए उत्तरदायी है, • राज्य लेखे के संकलन के लिए एवं हकदारी कार्यों का पालन करने के लिए महालेखाकार (लेखा एवं हक.) का कार्यालय, • सभी सिविल मंत्रालयों और विभागों रक्षा, रेलवे, डाक और दूरसंचार सहित संघीय गतिविधियों की लेखापरीक्षा हेतु प्रधान निदेशक, लेखापरीक्षा उत्तरदायी है, • केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों की लेखापरीक्षा का कार्य सदस्य, लेखापरीक्षा बोर्ड के कार्यालय को सौंपा गया है। • विदेशों में भारतीय मिशन की लेखापरीक्षा के लिए विदेश स्थित कार्यालय।
सीएजी अपनी भूमिका कैसे निभाता है?
सीएजी का अपनी संविधानात्मक भूमिका को निभाने के लिए भारतीय लेखा तथा लेखापरीक्षा विभाग (आईएएंडएडी) द्वारा सहायता प्रदान की जाती है। आईएएंडएडी के शीर्ष और मध्यम प्रबंधकीय स्तर पर, भारतीय लेखा और लेखापरीक्षा सेवा (आईएएंडएएस) के अधिकारी हैं। उन्हें या तो यूपीएससी द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा द्वारा सीधे नियुक्त किया जाता है या ग्रुप बी (पर्यवेक्षण स्टाफ) से पदोन्नत कर शामिल किया जाता है। कुछ अधीनस्थ संवर्ग भी है जिनमें राजपत्रित पर्यवेक्षण संवर्ग (ग्रुप ए) में वरिष्ठ लेखापरीक्षा अधिकारी और सहायक लेखापरीक्षा अधिकारी (ग्रुप बी) तथा सहायक स्टाफ संवर्ग (ग्रुप सी) शामिल हैं।
पीएसी/सी.ओ.पी.यू./एल.बी. की बैठकों में सीएजी का क्या भूमिका है?
सीएजी और उसके अधिकारी राज्य विधानसभाओं की पीएसी के कामकाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उनकी रिपोर्ट आम तौर पर समितियों के काम करने का आधार बनती है। सीएजी या उनके अधिकारी गहन परीक्षण के लिए ऑडिट पैराग्राफ के चयन में समिति के सदस्यों की सहायता करते हैं। वह उन विभागीय प्रत्युत्तर की जांच करते है जो विभाग समितियों को सौंपते हैं। वे समितियों को विभाग द्वारा किए गए प्रस्तुतिकरण की सत्यता की जांच करने में मदद करते हैं और उनकी मसौदा प्रतिवेदन में तथ्यों और आंकड़ों की शुद्धता की जांच करने में भी उनकी मदद करते हैं।
लेखापरीक्षा प्रतिवेदनों का क्या होता है?
संघ के मामलें में सीएजी के प्रतिवेदन राष्ट्रपति को और राज्य मामलों में राज्यपाल को प्रस्तुत किये जाते हैं जो उन्हें सदन के समक्ष प्रस्तुत करता है। एक बार सदन में प्रस्तुत किये जाने के बाद, प्रतिवेदन लोक लेखा समिति (पीएसी)/लोक उपक्रम समिति (कोपू) की केंद्रीय और राज्य स्थाई समितियों को स्थाई रूप से संदर्भित हो जाते हैं। ये विशेषज्ञ समितियां वार्षिक लेखे और उनपर लेखापरीक्षा प्रतिवेदनों की समयबद्ध और गहन संवीक्षा उपलब्ध करवाने के लिए गठित की गई हैं। समितियां लोक हित के सर्वाधिक महत्वपूर्ण निष्कर्षों और सिफारिशों को हमारे प्रतिवेदनों से चुनते है और उन पर अपनी सुनवाई रखते हैं। हम इस कार्य में इन समितियों को अपनी तकनीकी सहायता प्रदान करते हैं। समितियों की सुनवाई के समय, कार्रवाई/गैर कार्रवाई के लिए जिम्मेदार कार्यकारी को बुलाया जा सकता है। उनकी जांच के आधार पर, समिति अपने प्रतिवेदन तैयार करती है और विधान मंडल को प्रस्तुत करती है जो समिति की सुनवाईयों, कार्यकारी द्वारा की गई कार्रवाई और प्रशासनिक प्रथाओं और कार्यप्रणालियों को सुधारने के लिए की गई सिफारिशों को शामिल कर सारबद्ध करती है।
मसौदा पैराग्राफ क्या हैं?
लेखापरीक्षा निरीक्षण से उत्पन्न होने वाले मुख्य लेखापरीक्षा निष्कर्षों को सीएजी की लेखापरीक्षा प्रतिवेदन, जिसे विधान सभा में प्रस्तुत करना होता है में शामिल करने के लिए मसौदा पैराग्राफ के रूप में संसाधित किया जाता है। लेखापरीक्षा कार्यालय, प्रस्तावित मसौदा पैराग्राफ को राज्य सरकार के संबंधित विभागाध्यक्षों को उनके नाम से भेजते है जिसका छह सप्ताह की अवधि के भीतर सरकार द्वारा उत्तर देना होता हैं। मसौदा पैराग्राफ को अंतिम रूप देने से पहले सरकार के उत्तरों पर विचार किया जाता है। उन मामलों में जहां उत्तर संतोषजनक हैं, मसौदा पैराग्राफ को लेखापरीक्षा प्रतिवेदन में शामिल नहीं किया जाता हैं।
क्या लेखापरीक्षा कार्यालयों द्वारा निरीक्षण प्रतिवेदन में शामिल आक्षेपों का अनुसरण किया गया है? यदि हां, तो कैसे?
निरीक्षण प्रतिवेदन के प्रत्युत्तर में लेखापरीक्षित इकाइयों से प्राप्त उत्तरों की लेखापरीक्षा कार्यालयों में जांच की जाती है और संतोषजनक पाए जाने पर आक्षेपों का निपटान किया जाता है। लेखापरीक्षा कार्यालयों द्वारा बकाया निरीक्षण प्रतिवेदनों/आक्षेपों के संबंध में समय-समय पर अनुस्मारक जारी किए जाते हैं। लेखापरीक्षा समिति की बैठकों के दौरान लेखापरीक्षा आक्षेपों पर लेखापरीक्षा कर्मियों और ऑडिट के प्रतिनिधियों के बीच चर्चा की जाती है और उनका निपटान किया जाता है। आगामी लेखापरीक्षा के समय भी, ऐसे आक्षेप जिनका निपटान नहीं हुआ, की लेखापरीक्षा दल दवारा समीक्षा की जाती है। संक्षेप में, निरीक्षण प्रतिवेदन में शामिल लेखापरीक्षा आक्षेपों का उनके अंतिम निपटान होने तक अनुसरण किया जाता है।
निरीक्षण प्रतिवेदन क्या है?
लेखापरीक्षा निरीक्षण के परिणामों से एक प्रतिवेदन, जिसे निरीक्षण प्रतिवेदन के रूप में जाना जाता है, संबंधित लेखापरीक्षित इकाई के प्रभारी अधिकारी को एक निर्धारित समय अवधि के भीतर लेखापरीक्षा निष्कर्षों पर लिखित उत्तर प्रस्तुत करने के अनुरोध के साथ औपचारिक रूप से अवगत करवाया जाता है।
लेखापरीक्षा योजना क्या है? यह कैसे तैयार की जाती है?
लेखापरीक्षा योजना एक वार्षिक लेखापरीक्षा कार्यक्रम है, जो कि वर्ष के दौरान लेखापरीक्षा संसाधनों की उपलब्धता के आधार पर आगामी वित्तीय वर्ष के दौरान लेखापरीक्षित की जानी वाली इकाइयों और योजनाओं/कार्यक्रमों को निर्दिष्ट करता है। प्रतिवर्ष, प्रत्येक लेखापरीक्षा कार्यालय विस्तृत जोखिम विश्लेषण के आधार पर एक औपचारिक लेखापरीक्षा योजना तैयार करता है जिसमें व्यय की मात्रा, आंतरिक नियंत्रण का स्तर, पिछले लेखापरीक्षा आक्षेप, मीडिया रिपोर्ट, विभागों द्वारा की गई योजनाएँ और अन्य मापदंड शामिल होते हैं। योजना में लेखापरीक्षा और लेखापरीक्षा संसाधनों के आवंटन के लिए प्रस्तावित लेखापरीक्षित इकाइयों की पहचान की जाती है। लेखा परीक्षा योजना के उद्देश्य हैं:  हितधारकों को उचित आश्वासन प्रदान करना कि लेखापरीक्षा प्राथमिकताओं को तय करते समय सभी उचित जोखिमों को शामिल किया गया है;  वर्तमान मुद्दों और दबाव क्षेत्रों पर विशेष जोर देने के साथ अनिवार्य और उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों/उपक्रमों (विभागों, कार्यक्रमों/योजनाओं/परियोजनाओं आदि) को शामिल करने के लिए लेखापरीक्षा कार्य को प्राथमिकता देना;  यदि आवश्यक हो, विशेषज्ञों की सेवाओं का उपयोग करके पर्याप्त पर्यवेक्षण और मार्गदर्शन प्रदान करके लेखापरीक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना;  लेखापरीक्षा माहौल में बदलाव के कारण लेखापरीक्षा के लिए नई और उभरती चुनौतियों पर विशेष ध्यान देना।
हमारे प्रतिवेदन का केन्द्र बिन्दु क्या है?
लेखापरीक्षा प्रतिवेदन में अंतिम, पूर्णत: संपुष्ट लेखापरीक्षा निष्कर्ष होते हैं। ये विभाग द्वारा स्वीकृत की गई है और/या तथ्यातत्मक रूप से साबित की गई और विधानमंडल के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए काफी महत्वपूर्ण है। हमारी लेखापरीक्षा का उद्देश्य प्रबंधन में सुधार करना और सरकारी गतिविधियों और कार्यक्रमों को संचालित करना है। हम पहचानी गई त्रुटियों की प्रकृति को सुनिश्चित करते हैं कि वे एकाकी या पुनरावर्ती प्रकार की हैं। हम न केवल सुधारात्मक कार्रवाई को प्रेरित करना चाहते हैं अपितु यह भी सुनिश्चित करना चाहते हैं कि दोबारा गलती न दोहराई जाये। हम कार्यप्रद्धति, प्रक्रिया और प्रसंस्करणों को सुधारने के लिए उचित, सूचित और कार्यान्वयन योग्य सिफारिशें करते हैं।
सीएजी किस प्रकार के प्रतिवेदन प्रस्तुत करता है?
संसद और राज्य विधान मंडलों में प्रस्तुत की गई सीएजी की लेखापरीक्षा प्रतिवेदनों में राजस्व संग्रहण और सरकार के व्यय को कवर करते हुए अनुपालना और निष्पादन लेखापरीक्षा प्रतिवेदन, विधान द्वारा प्रावधान किए गए कुछ स्वायत्त निकायों की कार्य प्रणाली पर पृथक लेखापरीक्षा प्रतिवेदन, संघ और राज्य सरकारों की वित्तीय स्थिति पर प्रतिवेदन और संसद और विधान मंडलों द्वारा पारित किये गये विनियोजन अधिनियमों के अनुपालन पर प्रतिवेदन शामिल होते हैं। सीएजी राज्य विधान मंडलों में राज्यों के प्रमाणित वार्षिक लेखे भी प्रस्तुत करता है जिन्हें वित्त और विनियोजन लेखे कहा जाता है।
हम कितने प्रकार के लेखापरीक्षा करते हैं?
लेखापरीक्षा के उद्देश्यों के आधार पर हम सीएजी द्वारा लेखापरीक्षा को निम्नलिखित में वर्गीकृत करते है: 1. अनुपालन लेखापरीक्षा इस बात पर केंद्रित है कि क्या कोई विशेष विषय मापदंड के अनुपालन में है। अनुपालन अंकेक्षण यह निर्धारित करके किया जाता है कि क्या गतिविधियाँ, वित्तीय लेनदेन और सूचनाएं सभी महत्वपूर्ण पहलुओं में लागू प्राधिकार के अनुरुप हैं जिसमें संविधान, अधिनियम, कानून, नियम और विनियम, बजट संकल्प, नीति, संविदा, करार, स्थापित कोड, आपूर्ति आदेश, तय शर्ते या ठोस लोक उपक्रम वित्तीय प्रबंधन और लोक कार्मिकों के आचरण को शासित करने वाले सामान्य सिद्धांत शामिल हैं। 2. वित्तीय साक्ष्य लेखापरीक्षा यह निर्धारित करने पर बल देता है कि किसी इकाई की वित्तीय सूचना लागू वित्तीय रिपोर्टिंग और नियामक ढांचे के अनुसार प्रस्तुत की गई है। यह लेखापरीक्षक को राय व्यक्त करने में सक्षम बनाने के लिए पर्याप्त और उचित लेखापरीक्षा साक्ष्य प्राप्त करने के द्वारा पूरा किया जाता है कि क्या वित्तीय सूचनाएं धोखाधड़ी या त्रुटि के कारण तात्विक अशुद्ध कथन से मुक्त हो। 3. निष्पादन लेखा परीक्षा इस बात पर केंद्रित है कि क्या हस्तक्षेप, कार्यक्रम और संस्थान मितव्ययी, दक्षता और प्रभावशीलता के सिद्धांतों के अनुसार निष्पादन कर रहे हैं और क्या सुधार की गुंजाइश है। निष्पादन की जाँच उचित मानदंड के अनुसार की जाती है और उन मानदंडों या अन्य समस्याओं से विचलन के कारणों का विश्लेषण किया जाता है। निष्पादन लेखापरीक्षा का उद्देश्य प्रमुख लेखापरीक्षा प्रश्नों का उत्तर देना और सुधार के लिए सिफारिशें प्रदान करना है। इन पारंपरिक ऑडिट के अलावा, हमने सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) प्रणाली और पर्यावरण के मुद्दों पर सफलतापूर्वक कई लेखापरीक्षा की हैं।
हम किसकी लेखापरीक्षा करते हैं?
सभी संघ और राज्य सरकार के विभागों, सरकारी कंपनियों और निगमों, स्वायत्त निकायों और संघ या राज्यों के स्वामित्व या नियंत्रण वाले प्राधिकरण, संघ से पर्याप्त रूप से वित्तपोषित निकायों और प्राधिकरणों जैसे स्थानीय निकायों और पंचायती राज संस्थाओं जो विकास कार्यक्रमों के कार्यावयन और सेवाऐं प्रदान करने के लिए महत्वपूर्ण आरंभिक स्तर की एजेंसियाँ हैं।
अपनी भूमिका निभाने के लिए सीएजी की क्या शक्तियां हैं?
उनके विस्तृत लेखापरीक्षा अधिदेश का प्रयोग निर्बाध रूप से करने के क्रम में अधिनियम प्रावधान करता है:  उनके लेखापरीक्षा के अधीन किसी कार्यालय या संगठन के निरीक्षण करने की शक्ति। सभी लेन-देनों की जांच और कार्यकारी से प्रश्न करने की शक्ति।  किसी भी लेखापरीक्षित सत्त्व से कोई भी रिकार्ड, पेपर, दस्तावेज मांगने की शक्ति।  लेखापरीक्षा की सीमा और स्वरूप पर निर्णय लेने की शक्ति।
सीएजी के क्या कर्तव्य हैं?
जैसा संविधान के अनुच्छेद 149 में उल्लेखित है संसद ने 1971 में सीएजी के कर्तव्य, शक्तियां और सेवा की शर्तें अधिनियम नामक एक विस्तृत विधान को अधिनियमित किया जो उनके अधिदेश का वर्णन करता है और सरकार (केंद्र और राज्य) के लगभग प्रत्येक व्यय, राजस्व संग्रहण या सहायता/अनुदान प्राप्त करने वाली इकाई उनकी लेखापरीक्षा के अंतर्गत आती हैं। उनका कर्तव्य अग्रलिखित की लेखापरीक्षा करना और उस पर रिपोर्ट तैयार करना है:  संघ और राज्य सरकार की समेकित निधि से संबंधित सभी प्राप्तियां और इससे किये गये व्यय।  आकस्मिक व्यय (आकस्मिक निधि) और केंद्र सहित राज्य स्तर पर लोक लेखा में सरकार द्वारा धारित लोक धन से संबंधित सभी लेन-देन।  किसी भी सरकारी विभाग में रखे गये सभी व्यापारिक, विनिर्माण, लाभ और हानि खाते, तुलन पत्र और अन्य सहायक खाते।  सभी सरकारी कार्यालयों और विभागों के सभी स्टोर और स्टॉक खाते। सभी सरकारी कंपनियों और निगमों के खाते।  सरकारी धन प्राप्त करने वाले सभी स्वायत्त निकाय और प्राधिकरण के खाते।  राष्ट्रपति/राज्यपाल के अनुरोध या उनकी अपनी पहल पर किसी निकाय या प्राधिकरण के खाते।  अधिनियम, राज्य सरकारों द्वारा संधारित सहायक खातों से राज्य सरकारों के खातों के संकलन का प्रावधान करता है।
सीएजी की स्वतंत्रता कैसे सुनिश्चित की गई है?
संविधान निम्नलिखित रुप से सीएजी को लेखापरीक्षा की स्वतंत्र और निष्पक्ष प्रकृति के लिए सक्षम बनाता है। भारत के राष्ट्रपति द्वारा सीएजी की नियुक्ति, पद से हटाने हेतु विशेष प्रक्रिया (जैसे सर्वोच्च न्यायालय के न्यायधीश), भारत की समेकित निधि से वेतन और प्रभारित व्यय (दत्तमत्त नहीं), उनकी कार्य अवधि समाप्त होने के बाद किसी अन्य सरकारी कार्यालय में कार्य करने की अनुमति न होना।
हम कौन है ?
भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (सीएजी) और भारतीय लेखा तथा लेखापरीक्षा विभाग (आईएएडी), भारतीय संविधान के अंतर्गत कार्य करते हुए भारतीय सर्वोच्च लेखापरीक्षा संस्था (साईं) को गठित करते हैं। भारत के संविधान ने हमें राष्ट्र के लेखापरीक्षक के रूप में अधिदेशित किया है। इस प्रकार हम जिम्मेदारी सुनिश्चित करने के लिए एक यंत्र हैं। सविधान का अनुच्छेद 149-151 सीएजी की विशेष भूमिका निर्धारित करता है।
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