महालेखाकार का कार्यालय, त्रिपुरा ने 1967 से महालेखाकार का कार्यालय, असम के शाखा कार्यालय के रूप में कार्य किया। 18 नवंबर 1974 से यह एक स्वतंत्र कार्यालय के रूप में कार्य कर रहा है। 1984 में कैडरों के पुनर्गठन के बाद, महालेखाकार (लेखापरीक्षा) का कार्यालय, त्रिपुरा को लेखापरीक्षा का कार्य एवं ग्रुप सी और ग्रुप डी के कर्मचारियों का कैडर नियंत्रण सौंपा गया था और उप महालेखाकार (ले व हक) के कार्यालय, त्रिपुरा को लेखा एवं हकदारी के कार्य सौंपे गए थे। 2004 में वरिष्ठ उप महालेखाकार (स्थानीय निकाय लेखापरीक्षा और लेखा), त्रिपुरा का एक नया कार्यालय स्थानीय निकायों और संस्थानों के ऑडिट के लिए बनाया गया था। 2006 में ग्रुप बी अधिकारियों के कैडरों के अलग होने के परिणामस्वरूप कैडर नियंत्रण महालेखाकार (लेखापरीक्षा) के कार्यालय, त्रिपूरा में निहित है। अप्रैल, 2012 में वरिष्ठ उप महालेखाकार (स्थानीय निकाय लेखापरीक्षा और लेखा) का कार्यालय, त्रिपुरा को महालेखाकार (लेखापरीक्षा), त्रिपुरा के कार्यालय में मिला दिया गया है।

महालेखाकार (लेखापरीक्षा) का कार्यालय, त्रिपुरा –

  • वाणिज्यिक और राजस्व विभागों, राज्य स्वायत्त निकायों के साथ-साथ स्थानीय निकायों (पंचायती राज संस्थान और शहरी स्थानीय निकायों) और भारत के संविधान की छठी अनुसूची के तहत बनाई गई स्वायत्त जिला परिषदों के अनुपालना ऑडिट और निष्पादन ऑडिट करना।
  • महालेखाकार (ले व हक), त्रिपुरा के माध्यम से ट्रेजरी, लोक निर्माण विभाग और वन प्रभागों से प्राप्त विभागीय वाउचर का ऑडिट करना।
  • विश्व बैंक परियोजनाओं, केंद्र प्रायोजित योजनाओं, केंद्रीय/राज्य योजना स्कीम और वह संस्थाएं जो सीएजी (डीपीसी) अधिनियम 1971 की धारा 19 और 20 के तहत लेखापरीक्षित हैं को ऑडिट प्रमाण पत्र जारी करना।
  • भारत के सीएजी की मंजूरी के लिए महालेखाकार (ले व हक), त्रिपुरा द्वारा तैयार किए गए राज्य वित्त खातों और विनियोग खातों के लिए ऑडिट प्रमाण पत्र जारी करना।
  • सामान्य, आर्थिक (गैर-पीएसयू और पीएसयू) और राजस्व क्षेत्रों पर स्टेट ऑडिट रिपोर्ट, स्थानीय निकायों पर वार्षिक तकनीकी निरीक्षण रिपोर्ट (एटीआईआर), स्वायत्त जिला परिषदों पर रिपोर्ट और राज्य स्वायत्त निकायों के लिए अलग ऑडिट रिपोर्ट (एसएआर) तैयार करना।
  • संघ सरकार की लेखा परीक्षा रिपोर्ट में शामिल करने के लिए सामग्री का योगदान करना।
  • राज्य विधानमंडल की लोक लेखा समिति (PAC), सार्वजनिक उपक्रमों की समिति (COPU) और स्थानीय निधि लेखा समिति (LFAC) को ऑडिट रिपोर्ट पर चर्चा करने में सहायता करना।
  • हितधारकों के साथ स्टेट ऑडिट एडवाइजरी बोर्ड (SAAB) के फोरम के माध्यम से हितधारकों और ऑडिट के बीच संबंधों को मजबूत करने के लिए बातचीत करता है और शेष पैराग्राफ और अन्य ऑडिट मुद्दों के निपटान में तेजी लाने के लिए राज्य सरकार के विभागों के साथ भी चर्चा करना।
Back to Top