1. पूर्ववर्ती लेखापरीक्षा प्रतिवेदन पर अनुवर्ती कार्रवाई 
    1. व्याख्यात्मक टिप्पणियां प्रस्तुत नहीं की गई

लेखापरीक्षण में देखी गई गंभीर अनियमितताओं को सीएजी के प्रतिवेदन में शामिल किया गया है और राज्य विधानमंडल के समक्ष प्रस्तुत किया गया है। जुलाई 1993 में वित्त विभाग, त्रिपुरा सरकार द्वारा जारी किए गए निर्देशों के अनुसार, प्रशासनिक विभागों को विधान मंडल में अपनी प्रस्तुति के 3 महीने के अंदर लेखापरीक्षा प्रतिवेदन में शामिल अनुच्छेद/निष्पादन लेखापरीक्षा पर व्याख्यात्मक टिप्पणियां प्रस्तुत करने की आवश्यकता थी।

  1. लोक लेखा समिति

वर्ष 2001-02, 2004-05 से 2017-18 तक लेखापरीक्षा प्रतिवेदन से  संबंधित, लोक लेखा समिति (पीएसी) से चर्चा के लिए लेखापरीक्षा प्रतिवेदन के 93 अनुच्छेद (64 अनुच्छेद और 29 निष्पादन लेखापरीक्षा) में, 18 में से 15 विभागों ने नवम्बर 2019 तक 68 अनुच्छेद (46 अनुच्छेद और 22 निष्पादन लेखापरीक्षा) पर व्याख्यात्मक टिप्पणियां नहीं जमा किया था। पिछले  5 वर्षों के दौरान पीएसी द्वारा चर्चा का  इंतजार कर रखे अनुच्छेद/निष्पादन  लेखापरीक्षा पर स्वत: संज्ञान के जवाब के लंबित होने की स्थिति तालिका 1.1 में दर्शायी गई है।

तालिका  1.1 : पीएसी द्वारा चर्चा की  प्रतीक्षा कर रहे लेखापरीक्षा प्रतिवेदनों के अनुच्छेद/निष्पादन लेखापरीक्षा पर लंबित स्वत: संज्ञान के जवाब

वर्ष

चर्चा के इंतजार में कुल अनुच्छेद/निष्पादन परीक्षण

स्वत: संज्ञान से जवाब मिला

स्वत: संज्ञान से जवाब नहीं मिला

2013-14

4

2

2

2014-15

13

3

10

2015-16

9

1

8

2016-17

10

0

10

2017-18

13

0

13

 

तालिका 1.1, वर्ष 2013-14 से 2017-18 की अवधि के लिए पीएसी द्वारा लंबित चर्चा के अनुच्छेद/निष्पादन लेखापरीक्षा से संबंधित प्राप्त/प्राप्त नहीं किए गए स्वत: संज्ञान उत्तरों की स्थिति प्रस्तुत करती है। व्याख्यात्मक टिप्पणियां नहीं जमा करने के लिए जिम्मेदार विभाग थे – सार्वजनिक निर्माण विभाग (सड़क और भवन) (21), कृषि विभाग (5), वित्त विभाग (11), लोक निर्माण विभाग (जल संसाधन) (3), ग्रामीण विकास विभाग (4) एवं परिवहन विभाग।

लेखापरीक्षा अनुच्छेद के लिए स्वत: संज्ञान से उत्तरों को प्रस्तुत करने में लंबित करने का मुद्दा अध्यक्ष, पीएसी, त्रिपुरा विधान सभा और वित्त विभाग, त्रिपुरा सरकार द्वारा उठाया गया था (जून 2018)। यह ठोस कदम उठाया गया था ताकि इससे संबंधित विभाग स्वत: संज्ञान से उत्तरों को प्रस्तुत कर सकें और लंबित होने की स्थिति को कम किया जा सके।

 

  1. सार्वजनिक उपक्रम समिति

वर्ष 2011-12 से 2017-18 तक लेखापरीक्षा प्रतिवेदन से संबंधित, सार्वजनिक उपक्रमों पर समिति से चर्चा के लिए लेखापरीक्षा प्रतिवेदन के 20 अनुच्छेदों (14 अनुच्छेदों तथा 6 निष्पादन लेखापरीक्षा)  में से 2 विभागों ने नवम्बर 2019 तक 12 अनुच्छेदों (9 अनुच्छेदों तथा 3 निष्पादन लेखापरीक्षा) पर व्याख्यात्मक टिप्पणियां नहीं सौंपी थीं। अनुच्छेदों पर व्याख्यात्मक टिप्पणियां न सौंपने के जिम्मेदार विभाग थे – बिजली विभाग (5), उद्योग और वाणिज्य विभाग (4)। इसके साथ ही निष्पादन लेखापरीक्षा न सौंपने वाले विभाग उद्योग और वाणिज्य विभाग (2) और बिजली विभाग (1) थे।

लेखापरीक्षा अनुच्छेद के लिए स्वत: संज्ञान से उत्तरों को प्रस्तुत करने में लंबित करने का मुद्दा अध्यक्ष, सार्वजनिक उपक्रमों पर समिति, त्रिपुरा विधान सभा और वित्त विभाग, त्रिपुरा सरकार द्वारा उठाया गया था (जून 2018)। यह ठोस कदम उठाया गया था ताकि इससे संबंधित विभाग स्वत: संज्ञान से उत्तरों को प्रस्तुत कर सकें और लंबित होने की स्थिति को कम किया जा सके।

1.2   लोक लेखा समिति/सार्वजनिक उपक्रम समिति की सिफारिशों पर विभागों की प्रतिक्रिया

वित्त विभाग, त्रिपुरा सरकार ने (जुलाई 1993) सभी विभागों को पीएसी/सीओपीयू की विभिन्न सिफारिशों पर एक्शन टेकेन नोट्स (एटीएन) जारी करने के निर्देश दिए। इसके तहत सभी विभागों को 6 महीने के अंदर पीएसी/सीओपीयू के प्रतिवेदनों को विधानमंडल के समक्ष प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। पीएसी/सीओपीयू के प्रतिवेदन और सिफारिश वे विशिष्ट तत्व हैं जिनके द्वारा विधान मंडल अपने प्रति कार्यकारी की वित्तीय जवाबदेही लागू करता है और यह उचित है कि वे एटीएन के रूप में विभागों से समय-समय पर प्रतिक्रिया प्राप्त करें।

 

  1. लोक लेखा समिति

अक्टूबर 2019 तक, 2010-11 और 2018-19 के बीच पीएसी की 147 सिफारिशों पर जारी किए गए एटीएन संबंधित प्रशासनिक विभागों से प्रतिक्षित थे, जिनमें से वित्त ( आबकारी  और कराधान) विभाग से 55, सार्वजनिक निर्माण (सड़क और भवन) विभाग से 19, समाज कल्याण और सामाजिक शिक्षा विभाग से 11, शहरी विकास विभाग से 9, शिक्षा (उच्च) विभाग, उद्योग और वाणिज्य विभाग और सार्वजनिक निर्माण (पेयजल और स्वच्छता) विभाग प्रत्येक से 6, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग से 5, मत्स्य विभाग से 4 एवं 26 एटीएन अन्य विभागों से संबंधित थे। इन सभी विभागों को बिना देरी के पीएसी को एटीएन जमा करने में तेजी लाने की आवश्यकता है।

  1. सार्वजनिक उपक्रम समिति

नवम्बर 2019 तक, 2011-12 और 2015-16 के बीच सीओपीयू की 28 सिफारिशों पर जारी किए गए एटीएन संबंधित प्रशासनिक विभागों से प्रतिक्षित थे, जिनमें से बिजली विभाग (त्रिपुरा राज्य विद्युत निगम लिमिटेड) से 13, उद्योग और वाणिज्यिक विभाग से 10 (जिनमें त्रिपुरा जूट मिल्स लिमिटेड से 6 तथा त्रिपुरा लघु उद्योग निगम लिमिटेड से 4 हैं), वन विभाग से 3 (त्रिपुरा वन विकास और बागान निगम लिमिटेड) और परिवहन विभाग (त्रिपुरा सड़क परिवहन निगम) तथा आदिवासी कल्याण विभाग (वृक्षारोपण में आदिवासी पुनर्वास और विशेष रूप से कमजोर आदिवासी समूह) प्रत्येक से 1-1 एटीएन संबंधित थे। चीजों को तार्किक अंत तक ले जाने हेतु इन सभी विभागों/कम्पनियों को आगे  देरी किए बिना एटीएन जमा करने की आवश्यकता है।

  1. निगरानी

लेखापरीक्षा प्रतिवेदन और पीएसी/सीओपीयू सिफारिशों पर अनुवर्ती कार्रवाई की निगरानी के लिए सरकारी स्तर पर निम्नलिखित समितियों का गठन किया गया था।

  1. 2.1. विभागीय जांच समिति

लेखापरीक्षा प्रतिवेदन और पीएसी/सीओपीयू सिफारिशों पर अनुवर्ती कार्रवाई की निगरानी करने केलिए विभागीय सचिवों की अध्यक्षता में सरकार के सभी विभागों द्वारा विभागीय जांच समिति का गठन (अप्रैल 2002) किया गयाथा। विभागीय जांच समिति को मासिक बैठके आयोजित करनी थी और हर महीने इस मुद्दे पर प्रगति रिपोर्ट वित्त विभाग को भेजनी थी।

वर्ष 2018-19 केदौरान विभागीय जांच समितिकी बैठकों के बारे में विवरण मांगा गया था (सितम्बर 2019) परंतु वित्त विभाग द्वारा प्रस्तुत नहीं किया गया था (नवंबर 2019)।

  1. 2.2.    शीर्ष समिति

लेखापरीक्षा प्रतिवेदन और पीएसी/सीओपीयू सिफारिशों पर अनुवर्ती कार्रवाई की निगरानी करने के लिए मुख्य सचिव की  अध्यक्षता में राज्य स्तर पर एक  शीर्ष समिति  का गठन किया  गया  था (अप्रैल 2002)।

वर्ष 2018-19 के दौरान शीर्ष समिति की बैठकों के विषय में विवरण मांगा  गया था (सितम्बर 2019) लेकिन वित्त विभाग  द्वारा प्रस्तुत नहीं किया  गया था।

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