लेखापरीक्षा का दायरा

राज्य लेखापरीक्षा कार्यालयों के क्लस्टर आधारित क्षेत्राधिकार पुनर्गठन के परिणामस्वरूप इस कार्यालय के कार्य (लेखापरीक्षा योजना वर्ष 2020-21 से)

  • सात समूहों के अंतर्गत आने वाले सभी विभागों के अंतर्गत पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा किए गए व्यय की लेखापरीक्षा, अर्थात्:
  1. स्वास्थ्य और कल्याण
  2. शिक्षा, कौशल विकास और रोजगार
  3. वित्त
  4. ग्रामीण विकास
  5. कृषि, खाद्य और संबद्ध उद्योग
  6. जल संसाधन
  7. कानून और व्यवस्था
  • मूलतः सरकार द्वारा वित्तपोषित स्वायत्त निकायों/प्राधिकरणों (उपर्युक्त सात समूहों के अंतर्गत) के खातों की लेखापरीक्षा।
  • उपरोक्त सात समूहों (अर्थात् माल एवं सेवा कर, स्टाम्प शुल्क एवं पंजीकरण, राज्य उत्पाद शुल्क, व्यवसाय कर, विद्युत शुल्क, मनोरंजन कर, आदि) के अंतर्गत विभागों द्वारा एकत्रित राज्य सरकार की राजस्व प्राप्तियों की लेखापरीक्षा
  • उन समूहों से संबंधित स्वायत्त निकायों/प्राधिकरणों के खातों की लेखापरीक्षा, जो हालांकि मूलतः वित्तपोषित नहीं हैं, लेकिन सी.ए.जी. (डी.पी.सी.) अधिनियम के तहत लेखापरीक्षा को आकर्षित करते हैं या जिनकी लेखापरीक्षा सी.ए.जी. को सौंपी गई है।
  • इन सात क्लस्टरों के अंतर्गत राज्य के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के लेखों की लेखापरीक्षा।
  • महालेखाकार (लेखा एवं हक.), पश्चिम बंगाल के कार्यालय द्वारा संकलित राज्य सरकार के वार्षिक खातों (वित्त खातों और विनियोग खातों) की लेखापरीक्षा और उनका प्रमाणीकरण।
  • भारत के संविधान के अनुच्छेद 151 के अनुसार पश्चिम बंगाल सरकार पर भारत के सी.ए.जी. (राज्य वित्त) की रिपोर्ट तैयार करना और उसे राज्यपाल को प्रस्तुत करना।
  • इस कार्यालय के लेखापरीक्षा क्षेत्राधिकार के अंतर्गत पश्चिम बंगाल सरकार के क्लस्टरों/विभागों पर भारत के सी.ए.जी. की रिपोर्ट तैयार करना और उसे भारत के संविधान के अनुच्छेद 151 के अनुसार राज्यपाल को प्रस्तुत करना।
  • भारत के सी.ए.जी. के प्रतिवेदनों की जांच में पश्चिम बंगाल विधान सभा की लोक लेखा समिति (पी.ए.सी.) और सार्वजनिक उपक्रम समिति (सी.ओ.पी.यू.) की सहायता करना।
  • भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक के कार्यालय द्वारा सौंपे गए कार्य के अनुसार विश्व बैंक और अन्य बाहरी सहायता प्राप्त परियोजनाओं (ई.ए.पी.) पर व्यय का प्रमाणन। साथ ही केंद्र प्रायोजित योजनाओं और राज्य योजना स्कीमों पर व्यय का प्रमाणीकरण।
  • पंचायती राज संस्थाओं (जिला परिषद, पंचायत समिति और ग्राम पंचायत) की लेखापरीक्षा।
  • अन्य स्थानीय निकायों (न्यास निधि सहित) की लेखापरीक्षा जो इस कार्यालय के लेखापरीक्षा क्षेत्राधिकार के अंतर्गत विभागों से प्रशासनिक रूप से संबद्ध हैं।
  • पंचायती राज संस्थाओं (पी.आर.आई.एस.) पर स्थानीय खातों के परीक्षक के प्रतिवेदनों का प्रकाशन।
  • इसके अलावा, उपरोक्त कार्यों को मोटे तौर पर दो श्रेणियों में विभाजित किया गया है, जैसे कि  केंद्रीय लेखापरीक्षा और स्थानीय लेखाएपरीक्षा।
  • केंद्रीय लेखापरीक्षा स्कंध (वित्तीय लेखापरीक्षा स्कंध के रूप में नामित) में, प्रधान महालेखाकार (लेखा एवं हक.), पश्चिम बंगाल के कार्यालय से प्राप्त वाउचर की जांच उचित प्राधिकारी द्वारा संस्वीकृति के संदर्भ में व्यय की शुद्धता के लिए की जाती है, आदि।
  • सरकारी कार्यालयों के स्थानीय लेखापरीक्षा के दौरान लेखा अभिलेखों की जांच यह देखने के लिए की जाती है कि क्या उनका रखरखाव सही ढंग से किया जाता है।

इसके अलावा, उपरोक्त कार्यों को मोटे तौर पर दो श्रेणियों में विभाजित किया गया है; अर्थात् केंद्रीय लेखापरीक्षा और स्थानीय लेखापरीक्षा।

  • केन्द्रीय लेखापरीक्षा स्कंध मे, प्रधान महालेखाकार (लेखा एवं हक.), पश्चिम बंगाल के कार्यालय से प्राप्त वाउचर की जांच उचित प्राधिकारी द्वारा संस्वीकृति के संदर्भ में व्यय की शुद्धता के लिए की जाती है, आदि।
  • सरकारी कार्यालयों के स्थानीय लेखापरीक्षा के दौरान लेखा अभिलेखों की जांच यह देखने के लिए की जाती है कि क्या उनका रखरखाव सही ढंग से किया जाता है।

लेखापरीक्षा कार्य को आगे दो श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है

  • वित्तीय लेखापरीक्षा (प्रमाणन लेखापरीक्षा के रूप में भी जाना जाता है)।
  • अनुपालन लेखापरीक्षा।
  • निष्पादन लेखापरीक्षा।
इस कार्यालय के कार्य (लेखापरीक्षा योजना वर्ष 2019-20 और लेखापरीक्षा रिपोर्ट 2018-19 तक
  • सामान्य एवं सामाजिक क्षेत्र के अंतर्गत पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा किए गए व्यय की लेखापरीक्षा।
  • मूलतः सरकार द्वारा वित्तपोषित स्वायत्त निकायों/प्राधिकरणों (सामान्य एवं सामाजिक क्षेत्र के अंतर्गत) के खातों की लेखापरीक्षा।
  • स्वायत्त निकायों/ प्राधिकरणों के खातों की लेखापरीक्षा, जो हालांकि मूलतः वित्तपोषित नहीं है, लेकिन सी.ए.जी. (डी.पी.सी.) अधिनियम के तहत लेखापरीक्षा को आकर्षित करती है या जिसकी लेखापरीक्षा सी.ए.जी. को सौंपी गई है।
  • सामान्य एवं सामाजिक क्षेत्र के अंतर्गत राज्य के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के लेखों की लेखापरीक्षा।
  • महालेखाकार (लेखा एवं हक.), पश्चिम बंगाल के कार्यालय द्वारा संकलित राज्य सरकार के वार्षिक खातों (वित्त खातों और विनियोग खातों) की लेखापरीक्षा और उनका प्रमाणीकरण।
  • पश्चिम बंगाल सरकार पर भारत के सी.ए.जी. (सामान्य और सामाजिक क्षेत्र) की रिपोर्ट तैयार करना और उसे भारत के संविधान के अनुच्छेद 151 के अनुसार राज्यपाल को प्रस्तुत करना।
  • भारत के संविधान के अनुच्छेद 151 के अनुसार पश्चिम बंगाल सरकार पर भारत के सी.एजी. (राज्य वित्त) की रिपोर्ट तैयार करना और उसे राज्यपाल को प्रस्तुत करना।
  • भारत के सी.ए.जी. के प्रतिवेदनों की जांच में पश्चिम बंगाल विधान सभा की लोक लेखा समिति (पी.ए.सी.) और सार्वजनिक उपक्रम समिति (सी.ओ.पी.यू.) की सहायता करना।
  • विश्व बैंक और अन्य बाहरी सहायता प्राप्त परियोजनाओं (ई.ए.पी.) पर व्यय का प्रमाणन। साथ ही केंद्र प्रायोजित योजनाओं और राज्य योजना स्कीमों पर व्यय का प्रमाणीकरण।
  • पंचायती राज संस्थाओं (जिला परिषद, पंचायत समिति और ग्राम पंचायत) की लेखापरीक्षा
  • शहरी स्थानीय निकायों और अन्य स्थानीय निकायों की लेखापरीक्षा
  • स्थानीय लेखों के परीक्षक की प्रतिवेदनों का प्रकाशन (पंचायती राज संस्थाओं एवं शहरी स्थानीय निकायों हेतु पृथक प्रतिवेदन)।
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