इतिहास
अप्रैल, 1936 तक नियंत्रक ओडिशा, महालेखाकार कार्यालय बिहार और ओडिशा  का हिस्सा था I अप्रैल,1936 में 
ओड़िशा प्रान्त का गठन हुआ और रांची में मुख्यालय के साथ नियंत्रक के अंतर्गत एक पृथक लेखापरीक्षा एवं लेखा 
कार्यालय का आरम्भ हुआ। निर्माण विभाग संव्यवहार के निपटान हेतु दिनांक 26 अप्रैल, 1948 को पुरी में एक शाखा 
कार्यालय आरम्भ किया गया ।

अक्टूबर, 1949 में दो उपमहालेखाकार की सहायता से, एक रांची में  और अन्य एक पुरी में कार्यालय को महालेखाकार के स्तर पर

अपग्रेड किया गया था। महालेखाकार का कार्यालय दिनांक 4 मई 1956 को कुछ अनुभागों के साथ भुवनेश्वर में स्थानांतरित हो गया

और यह राज्य सरकार के स्वामित्व वाले तीन अस्थायी एस्बेस्टस छत वाले हॉल में स्थित था। वर्ष 1957 की शुरुआत में सभी शाखाएँ अंततः

भुवनेश्वर चली गईं। अप्रैल 1960 में नया कार्यालय काम्प्लेक्स स्थापित किया गया और कार्यालय नए परिसर में स्थानांतरित हो गया।

कार्यालय को मई 1982 में दो इकाईयों प्रधान महालेखाकार-I और महालेखाकार-II में पुनःसंगठित किया गयाI मार्च 1984 में कार्यात्मक

आधार पर इन कार्यालयों को कार्यालय महालेखाकार (लेखा एवं हकदारी ) एवं महालेखाकार (लेखापरीक्षा) में पुनः संगठित किया गया I                                                                                                                                                    

5 जुलाई 1985 से कार्यात्मक आधार पर कार्यालय महालेखाकार (लेखापरीक्षा) को दो कार्यालयों महालेखाकार (लेखापरीक्षा-I) और

महालेखाकार (लेखापरीक्षा-II) में विभाजित कर दिया गया I महालेखाकार (लेखापरीक्षा-I) को दिनांक 5 जुलाई 1985 से दोनों कार्यालयों

के विभिन्न संवर्गों के संवर्ग का नियंत्रक कार्यालय घोषित किया गया था। लेखापरीक्षा-I कार्यालय दिनांक 11.10.2002 से प्रधान महालेखाकार (लेखापरीक्षा-I)

 के अधीन है।

भारतीय लेखापरीक्षा और लेखा विभाग को वर्ष 2012 के दौरान पुनर्गठित किया गया था, तब से महालेखाकार (सामान्य और सामाजिक क्षेत्र लेखापरीक्षा),

ओडिशा को सामान्य और सामाजिक क्षेत्र के तहत सभी इकाइयों का लेखा-जोखा सौंपा गया था। प्रधान महालेखाकार (आ. एवं रा.क्षे.लेप.), ओडिशा को

आर्थिक और राजस्व क्षेत्र के तहत सभी इकाइयों का लेखा-जोखा एवं  प्रधान निदेशक लेखापरीक्षा (केंद्रीय), हैदराबाद के प्रशासनिक नियंत्राधीन उप

निदेशक (सीआरए), भुवनेश्वर  को सभी केंद्रीय इकाइयों का लेखा-जोखा सौंपा गया था।

 

                 

 

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