परिचय

कार्यालय महालेखाकार (लेखापरीक्षा) छत्तीसगढ़ की स्थापना मार्च 2003 में की गई थी। लेखापरीक्षा और लेखा कार्यालय जून 2008 तक एक संयुक्त कार्यालय में संचालित था और जुलाई 2008 से कार्यालय को लेखापरीक्षा और लेखा एवं हकदारी कार्यालयों में विभाजित किया गया था। कार्यालय महालेखाकार (मध्य प्रदेश) ग्वालियर से विभाजन के उपरांत वाणिज्यिक लेखा परीक्षा विंग अगस्त 2005 से अस्तित्व में आया। कार्यालय दो समूह अधिकारियों- वरिष्ठ उपमहालेखाकार (प्रशासन, सामान्य क्षेत्र, सामाजिक क्षेत्र और स्थानीय निकाय) और उपमहालेखाकार (आर्थिक, वाणिज्यिक और राजस्व क्षेत्र) के साथ कार्यरत है। इस कार्यालय का मुख्यालय जीरो पॉइंट, रायपुर है ।

कार्य और जिम्मेदारियां

महालेखाकार (लेखापरीक्षा), छत्तीसगढ़, रायपुर के वैधानिक कर्तव्यों में छत्तीसगढ़ सरकार के खाते का लेखापरीक्षा करना है, जिसमें निम्नलिखित सम्मिलित हैं-

  • समेकित निधि से प्राप्ति और व्यय।
  • आकस्मिकता निधि और लोक लेखे से संबंधित लेनदेन।
  • छत्तीसगढ़ सरकार के किसी भी विभाग में रखे गए ट्रेडिंग, विनिर्माण, लाभ और हानि खाते और बैलेंस शीट और अन्य सहायक खाते।
  • सरकारी संगठन में रखे गए स्टोर और स्टॉक के खाते।
  • सरकारी कंपनियों, सांविधिक निगम के खाते।
  • राज्य के समेकित निधि से पर्याप्त रूप से वित्तपोषित अधिकरण और निकाय।
  • राष्ट्रपति / राज्यपाल के अनुरोध पर कोई भी निकाय या प्राधिकरण भले ही समेकित निधि से पर्याप्त रूप से वित्तपोषित नहीं है।
  • सरकार द्वारा विशिष्ट प्रयोजनों के लिए दिए गए अनुदान और ऋण से संबंधित निकायों और प्राधिकरणों के खाते।

भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक के कार्य, कर्तव्य और शक्तियाँ

नियंत्रक-महालेखापरीक्षक(सीएजी) एक संवैधानिक पदाधिकारी हैं जो संसद/विधानमण्डल और कार्यकारी वर्ग से स्वतंत्र है। नियंत्रक-महालेखापरीक्षक निम्नलिखित के लिए उत्तरदायी हैं -

  1. भारत सरकार और राज्य सरकारों के विभागों और मंत्रालयों की लेखा परीक्षा।
  2. केन्द्रीय और राज्य सरकार के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और स्वायत्त निकायों तथा प्राधिकारियों की लेखापरीक्षा जिन्हें सरकारी निधि से वित्तपोषित किया जाता हैं।
  3. संघ या राज्यों की प्राप्तियो की लेखापरीक्षा।
  4. स्कन्ध एवं स्टॉक लेखाओं की लेखापरीक्षा।
  5. कम्पनियों और निगमों की लेखापरीक्षा।

नियंत्रक-महालेखापरीक्षक राज्य सरकार के खातों के संकलन, कर्मचारियों की चयनित श्रेणियों के पेंशनरी लाभ का प्राधिकार पत्र, अधिकांश राज्य सरकारों के राज्य सरकार के कर्मचारियों के भविष्यनिधि खातों के रखरखाव के लिए भी उत्तरदायी है।

यह लेखापरीक्षा और लेखा जोखा कार्य भारतीय लेखा और लेखापरीक्षा विभाग (आइए एंड एडी) द्वारा किया जाता हैं जो भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक के अधीन कार्य करता है।

लेखापरीक्षा के सम्बन्ध में नियंत्रक-महालेखापरीक्षक की भूमिका -

नियंत्रक-महालेखापरीक्षक संविधान में निर्धारित एकमात्र प्राधिकारी है जिसे राज्यों के संघ के लेखाओं की लेखापरीक्षा का उत्तरदायित्व सौंपा गया है। नियंत्रक-महालेखापरीक्षक का यह कर्तव्य है कि वह संघ और प्रत्येक राज्य तथा संघ शासित प्रदेशों की प्राप्तियों और व्यय की लेखापरीक्षा करे। नियंत्रक-महालेखापरीक्षक की लेखापरीक्षा रिपोर्ट संसद या राज्य या संघ शासित प्रदेश जैसा भी मामला हो के विधानमण्डल के समक्ष रखी जाती है। नियंत्रक-महालेखापरीक्षक के कर्तव्यों का विस्तार विधायिका द्वारा बनाए गए कानूनों और उसके तहत बनाए गए नियमों के अनुसार सरकारी कंपनियों, निगमों तथा निकायों और प्राधिकरणों की लेखापरीक्षा के लिये भी किया गया ।

लेखापरीक्षा के व्यापक उद्देश्य

लेखापरीक्षा का व्यापक उद्देश्य वित्तीय प्रबंधन और सार्वजनिक प्रशासन की वैधता, नियमितता, मितव्ययता, दक्षता और प्रभावशीलता को मुख्य रूप से मूल्यांकन के माध्यम से सुनिश्चित करना है :

  1. क्या वित्तीय विवरण सही तरीके से तैयार किए गए हैं, सभी प्रकार से परिपूर्ण है तथा पर्याप्त प्रकटीकरण (वित्तीय लेखापरीक्षा) के साथ प्रस्तुत किए गए हैं ;
  2. क्या संविधान के प्रावधानो , लागू कानूनों, इसके अधीन बनाए गए नियमो और विनियमो तथा सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी किए गए विभिन्न आदेशो और निर्देशों का अनुपालन किया जा रहा है (अनुपालन लेखापरीक्षा) ; तथा
  3. जिस सीमा तक एक गतिविधि, कार्यक्रम या संगठन आर्थिक रूप से, कुशलतापूर्वक और प्रभावी ढंग से कार्य करता है (निष्पादन लेखापरीक्षा)।
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