भारतीय लेखा एवं लेखापरीक्षा विभाग (IA&AD) भारत सरकार के प्राचीनतम विभागों में से एक है । विभाग का गठन 1860 में हुआ था तथा श्री एडमण्ड ड्रमण्ड 16 नवंबर 1935 को प्रथम “महालेखापरीक्षक” बने थे । सन् 1919 में महालेखापरीक्षक को वैधानिक दर्जा दिया गया तथा 1935 में इसके स्थिति में पुनः सुधार किया गया । सन् 1950 में जब देश में संविधान लागू हुआ, तब महालेखापरीक्षक को “भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक” के रूप में पदनामित किया गया । संविधान के अनुच्छेद 149 से 151 द्वारा प्राधिकार प्राप्त “भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कर्तव्य, शक्तियाँ एवं सेवा की शर्तें) अधिनियम" जिसे सन् 1971 में अधिनियमित किया गया था,  भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक के कर्तव्यों एवं शक्तियों का वर्णन करता है ।

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