विधान के साथ इंटरफ़ेस
अध्याय V
148. भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक
- भारत का एक नियंत्रक-महालेखापरीक्षक होगा जिसे राष्ट्रपति द्वारा अपने हस्ताक्षर और मुद्रा सहित अधिपत्र द्वारा नियुक्त किया जाएगा और वह केवल उसी रीति से और उन्हीं आधारों पर उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पद से हटाया जाएगा।
- भारत का नियंत्रक-महालेखापरीक्षक नियुक्त प्रत्येक व्यक्ति, अपना पद ग्रहण करने से पहले, राष्ट्रपति या उसके द्वारा इस निमित्त नियुक्त व्यक्ति के समक्ष, तीसरी अनुसूची में इस प्रयोजन के लिए दिए गए प्रारूप के अनुसार, शपथ लेगा या प्रतिज्ञान करेगा और उस पर अपने हस्ताक्षर करेगा।
- नियंत्रक-महालेखापरीक्षक के वेतन और सेवा की अन्य शर्तें वे होंगी जो संसद विधि द्वारा, अवधारित करे और जब तक वे इस प्रकार अवधारित न हो जाएँ तब तक वे दूसरी अनुसूची में विनिर्दिष्ट होंगी:
बशर्ते कि न तो नियंत्रक और महालेखा परीक्षक का वेतन और न ही अनुपस्थिति की छुट्टी, पेंशन या सेवानिवृत्ति की आयु के संबंध में उसके अधिकार उसकी नियुक्ति के बाद उसके नुकसान के लिए भिन्न होंगे।
- नियंत्रक-महालेखापरीक्षक अपना पद समाप्त कर देने के पश्चात्, भारत सरकार के अधीन या किसी राज्य की सरकार के अधीन आगे के पद के लिए पात्र नहीं होगा।
- इस संविधान के और संसद द्वारा बनाई गई किसी विधि के उपबंधों के अधीन रहते हुए, भारतीय लेखापरीक्षा और लेखा विभाग में सेवारत व्यक्तियों की सेवा शर्तें और नियंत्रक-महालेखापरीक्षक की प्रशासनिक शक्तियाँ वे होंगी जो नियंत्रक-महालेखापरीक्षक से परामर्श करने के पश्चात् राष्ट्रपति द्वारा बनाए गए नियमों द्वारा विहित की जाएँ।
- नियंत्रक-महालेखापरीक्षक के पद के प्रशासनिक व्यय, जिसके अंतर्गत उस पद में सेवारत व्यक्तियों को या उनके संबंध में देय सभी वेतन, भत्ते और पेंशनें भी हैं, भारत की संचित निधि पर भारित होंगे।
149. नियंत्रक-महालेखापरीक्षक के कर्तव्य और शक्तियाँ
नियंत्रक-महालेखापरीक्षक संघ और राज्यों के लेखाओं के संबंध में और किसी अन्य प्राधिकारी या निकाय के लेखाओं के संबंध में ऐसे कर्तव्यों का पालन और ऐसी शक्तियों का प्रयोग करेगा जो संसद द्वारा बनाई गई किसी विधि द्वारा या उसके अधीन विहित की जाएँ और, जब तक इस निमित्त इस प्रकार उपबंध नहीं किया जाता है तब तक संघ और राज्यों के लेखाओं के संबंध में ऐसे कर्तव्यों का पालन करेगा और ऐसी शक्तियों का प्रयोग करेगा जो क्रमशः भारत डोमिनियन और प्रान्तों के लेखाओं के संबंध में इस संविधान के प्रारंभ से ठीक पहले भारत के महालेखापरीक्षक को प्रदान की गई थीं या प्रयोक्तव्य थीं।
150. संघ और राज्यों के लेखाओं का प्रारूप
संघ और राज्यों के लेखे ऐसे प्रारूप में रखे जाएंगे जो राष्ट्रपति, भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक की सलाह पर विहित करे।
151. लेखापरीक्षा रिपोर्ट
(1) संघ के लेखाओं के संबंध में भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक के प्रतिवेदनों को राष्ट्रपति के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा जो उन्हें संसद के प्रत्येक सदन के समक्ष रखवाएगा।
(2) किसी राज्य के लेखाओं के संबंध में भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक के प्रतिवेदनों को उस राज्य के राज्यपाल के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा, जो उन्हें उस राज्य के विधान-मंडल के समक्ष रखवाएगा।