भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक का यह प्रतिवेदन हरियाणा सरकार के सरकारी विभागों, स्वायत्त निकायों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की अनुपालन लेखापरीक्षा से उत्पन्न मामलों से संबंधित है। अनुपालन लेखापरीक्षा का तात्पर्य लेखापरीक्षित संस्थाओं के व्यय और राजस्व की जांच से है ताकि यह पता लगाया जा सके कि भारत के संविधान के प्रावधानों, लागू कानूनों, नियमों, विनियमों और सक्षम अधिकारियों द्वारा जारी किए गए विभिन्न आदेशों और निर्देशों का अनुपालन किया जा रहा है या नहीं।
इस प्रतिवेदन का प्राथमिक उद्देश्य लेखापरीक्षा के महत्वपूर्ण परिणामों को राज्य विधानमंडल के ध्यान में लाना है। लेखापरीक्षा के परिणामों से कार्यपालक को सुधारात्मक कार्रवाई करने तथा नीतियों एवं निर्देशों को तैयार करने में सक्षम बनाने की अपेक्षा की जाती है जिससे संगठनों की परिचालन दक्षता और वित्तीय प्रबंधन में सुधार होगा, इस प्रकार बेहतर शासन में योगदान होगा।
भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक (सी.ए.जी.) का यह प्रतिवेदन ऊर्जा और विद्युत, उद्योग और वाणिज्य तथा शहरी विकास के तीन क्लस्टरों के अंतर्गत सात विभागों, 17 सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और सात स्वायत्त निकायों की अनुपालन लेखापरीक्षा से उत्पन्न मामलों से संबंधित है। अध्याय 1 एक परिचयात्मक अध्याय है, जिसमें राज्य की वित्तीय रूपरेखा, बजट और वास्तविक व्यय का विवरण, योजना और लेखापरीक्षा का संचालन और इन तीन क्लस्टरों के संबंध में पिछले लेखापरीक्षा प्रतिवेदनों में दर्शाए गए मुद्दों का पालन शामिल है। अध्याय 2, 3 और 4 में क्रमशः ऊर्जा और विद्युत, उद्योग और वाणिज्य तथा शहरी विकास के क्लस्टरों से संबंधित सरकारी विभागों, स्वायत्त निकायों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में अनुपालन लेखापरीक्षा से उत्पन्न अभ्युक्तियां शामिल हैं।