भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कर्त्तव्य, शक्तियाँ एवं सेवा की शर्तें) अधिनियम, 1971 की धारा 13 से 21, 23 और 24 के साथ पठित संविधान के अनुच्छेद 148 से 151 के अनुसार प्रधान महालेखाकार (लेखापरीक्षा) बिहार, पटना भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक के तत्वाधान के अंतर्गत कार्य करते हैं तथा सभी तरह के व्यय की लेखापरीक्षा के साथ-साथ बिहार सरकार की प्राप्तियों के साथ ही साथ सभी सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों तथा इसके प्रशासनिक नियंत्रक के अधीन स्वायत्त निकायों की लेखापरीक्षा के लिए उत्तरदायी होतो हैं । इसके अतिरिक्त, इन्हें स्थानीय प्राधिकारों तथा राज्य सरकार के निकायों की लेखापरीक्षा सौंपी गयी है ।

प्रधान महालेखाकार (लेखापरीक्षा) बिहार को निम्नलिखित संवैधानिक लेखापरीक्षा कर्त्तव्य सौंपे गये हैं ।

सीएजी के डीपीसी अधिनियम, 1971 की धारा 13, 14, 15, 16, 19 के अधीन राज्य सरकार के व्यय तथा राजस्व की लेखापरीक्षा ।

राज्य वित्त पर रिपोर्ट, राज्य लेखापरीक्षा (सिविल), राज्य लेखापरीक्षा रिपोर्ट (राजस्व प्राप्तियाँ) तथा भारत के नियंत्रक एवं लेखापरीक्षक की राज्य लेखापरीक्षा सिविल (वाणिज्यिक) स्थानीय निकाय रिपोर्ट तैयार करना ।

भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक की राज्य लेखापरीक्षा रिपोर्ट (सिविल/ स्थानीय निकायों) तैयार करना ।

बिहार सरकार के वित्त एवं विनियोजन लेखाओं तथा विश्व बैंक परियोजनाओं के लेखाओं को प्रमाणित करना ।

राज्य वित्त पर रिपोर्ट के पैरा की जाँच में राज्य विधा-मण्डल के लोक लेखा समिति (पीएसी) की सहायता करना, राजस्व प्राप्तियों पर लेखापरीक्षा सिविल, लेखापरीक्षा रिपोर्ट तथा राज्य सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों के कार्यों पर लेखापरीक्षा रिपोर्ट (वाणिज्यिक) के पैरा की जाँच में राज्य विधान मण्डल की सार्वजनिक उपक्रमों पर समिति (सीओपीयू) की भी सहायता करना ।

 

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