निष्‍पादन
उत्तर प्रदेश

भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक का ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण (जीनीडा) में भूमि अर्जन एवं परिसम्पत्तियों के आवंटन पर प्रतिवेदन, उत्तर प्रदेश सरकार, वर्ष 2023 का प्रतिवेदन संख्या-4 (निष्पादन लेखापरीक्षा)

दिनांक जिस पर रिपोर्ट की गई है:
Wed 13 Aug, 2025
शासन को रिपोर्ट भेजने की तिथि:
सरकार के प्रकार:
राज्य
क्षेत्र उद्योग एवं वाणिज्य

अवलोकन

उत्तर प्रदेश सरकार (उ.प्र. सरकार) ने औद्योगिक क्षेत्र के नियोजित विकास को सुनिश्चित करने के मुख्य उद्देश्य हेतु ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण (जीनीडा) का गठन जनवरी 1991 में किया। जुलाई 2017 में, उ.प्र. सरकार ने भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (सीएजी) को जीनीडा की लेखापरीक्षा का कार्य सौंपा।

इस निष्पादन लेखापरीक्षा का प्राथमिक उद्देश्य भूमि अर्जन एवं परिसम्पत्तियों के आवंटन के लिए जीनीडा द्वारा अपनायी गयी नीतियों एवं प्रक्रियाओं की प्रभावशीलता और पारदर्शिता का आँकलन करना था।

‘ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण में भूमि अर्जन एवं परिसम्पत्तियों के आवंटन’ पर निष्पादन लेखापरीक्षा 2005-06 से 2017-18 की अवधि को आच्छादित करती हैं । लेखापरीक्षा परिणामों को अप्रैल 2021 तक अद्यतन किया गया है । 2020-21 के बाद की अवधि से सम्बन्धित दृष्टान्तों को भी, जहाँ आवश्यक है, सम्मिलित किया गया है ।

प्रतिवेदन में छः अध्याय यथा सामान्य, नियोजन, भूमि का अर्जन, परिसम्पत्तियों का मूल्य निर्धारण, परिसम्पत्तियों का आवंटन एवं आन्तरिक नियंत्रण सम्मिलित हैं । अध्याय I लेखापरीक्षा का कार्य सौंपे जाने, लेखापरीक्षा उद्देश्य, लेखापरीक्षा कसौटियाँ, लेखापरीक्षा क्षेत्र एवं लेखापरीक्षा कार्यविधि का वर्णन करता है। अन्य पाँच अध्यायों में लेखापरीक्षा परिणाम हैं। अध्याय V, ‘परिसम्पत्तियों का आवंटन’ पुनः छः उप-अध्यायों में विभाजित है यथा औद्योगिक भूखण्डों का आवंटन, बिल्डर/ग्रुप हाउसिंग भूखण्डों का आवंटन, वाणिज्यिक परिसम्पत्तियों का आवंटन, स्पोर्ट्स सिटी एवं रिक्रिएशनल एंटरटेनमेंट पार्क भूखण्डों का आवंटन, संस्थागत एवं आईटी भूखण्डों का आवंटन तथा फार्म हाउस भूखण्डों का आवंटन ।

लेखापरीक्षा ने नियोजन, भूमि अर्जन, परिसम्पत्तियों के मूल्य निर्धारण एवं परिसम्पत्तियों के आवंटन के क्षेत्र में जीनीडा द्वारा अपनायी गयी प्रक्रियाओं में पारदर्शिता के अभाव एवं आवंटन में महत्वपूर्ण कमियाँ पाई । जीनीडा के बोर्ड ने नियमित रूप से योजनाओं के नियम एवं शर्तों का संज्ञान न लेने और महत्वपूर्ण शर्तों में बदलाव और/या केवल कार्योत्तर अनुमोदन के लिए रखे जाने पर अपने अधिकार को गंभीरता से न लिए जाने पर आपत्ति नहीं की।

इन सभी तथ्यों ने जीनीडा के उद्देश्यों को प्राप्त करने में विफलता, जीनीडा की योजनाओं में अपनी जीवन पर्यन्त बचत का निवेश करने वाले गृह क्रेताओं जैसे अंतिम उपभोग वाले हितधारकों हेतु परेशानी तथा जीनीडा एवं सरकार को हजारों करोड़ रुपये की हानि के रूप में प्रतिबिंबित किया ।

 

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