इतिहास

यह कार्यालय 1 अक्टूबर, 19551 को तत्कालीन बिहार राज्य के रांची जिले में वाणिज्यिक लेखा परीक्षा हेतु एक स्वतंत्र क्षेत्रीय कार्यालय के रूप में स्थापित किया गया था और इसे मुख्य लेखापरीक्षक (वाणिज्यिक लेखा) पूर्वी क्षेत्र के कार्यालय के रूप में पदनामित किया गया था। इसके बाद, प्रशासनिक सुधार आयोग की रिपोर्ट के परिणामस्वरूप, वाणिज्यिक लेखापरीक्षा का एक वृहत विस्तार हुआ और भारत के तत्कालीन नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक श्री एस. रंगनाथन के कार्यकाल के दौरान 01 अप्रैल, 1969 से ऑडिट बोर्ड सिस्टम लागू किया गया, जिसके परिणामस्वरूप सदस्य ऑडिट बोर्ड और वाणिज्यिक लेखापरीक्षा निदेशक के रूप में नामित नौ नए कार्यालयों का निर्माण किया गया। दिनांक 28 फरवरी, 1990 को कार्यालय, सदस्य लेखा-परीक्षा बोर्ड एवं पदेन निदेशक, वाणिज्यिक लेखा-परीक्षा, रांची  को प्रधान निदेशक, वाणिज्यिक लेखा-परीक्षा तथा पदेन सदस्य, लेखा-परीक्षा बोर्ड, रांची का कार्यालय के रूप में पदनामित किया गया। तत्तपश्चात भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक कार्यालय के द्वारा वाणिज्यिक लेखापरीक्षा स्कंध (विंग) को क्लस्टर के रूप में पुनर्गठित किया गया और इस कार्यालय को दिनांक 1 जून, 2020 से महानिदेशक लेखापरीक्षा (इस्पात), रांची के रूप में पदनामित किया गया व मुख्यालय नईं दिल्ली के आदेशानुसार दिनांक 31 मार्च 2021 से यह कार्यालय पुनः प्रधान निदेशक लेखा परीक्षा (इस्पात), रांची  के रूप में पदनामित किया गया। मुख्यालय नईं दिल्ली के आदेशानुसार दिनांक 01 जुलाई 2022 से यह कार्यालय पुनः महानिदेशक लेखा परीक्षा (इस्पात), रांची  के रूप में पदनामित किया गया। 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

फुटनोट; 1 श्री आर चंद्रशेखरन, भारत के पूर्व नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक द्वारा लिखित "भारतीय लेखापरीक्षा और लेखा विभाग (आईए और एडी) का इतिहास" के अनुसार संदर्भित

 

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