व्यय लेखा-परीक्षा - अनुदान-सहायता

व्यय लेखापरीक्षा सहायता अनुदान

सहायता अनुदानों की लेखापरीक्षा का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना होता है कि अनुदानों का उस प्रयोजन के लिए उपयोग किया गया है जिसके लिए ये दिए गए हैं और ऐसे अनुदानों में से व्यय करते समय सुदृढ़ मितव्ययी वित्तीय प्रबन्धन पद्धतियों का विधिवत अनुपालन किया गया है। लेखापरीक्षा को अपव्यय, विफलताओं, प्रणाली दोषों और कमियों के दृष्टांतो को भी प्रकाश में लाना होता है जिनके परिणामस्वरूप निष्फल व्यय हुआ।

सहायता अनुदान की लेखापरीक्षा लागू है(i) स्वयं मूल अनुदान पर और(ii)व्यय जो अनुदानग्राही द्वारा इसमें से तदनन्तर किया जाता है।

जीएफआर, 2017 का नियम 228 अनुबंध करता है कि सामान्य सिद्धांत के अनुसार, किसी व्यक्ति या किसी सार्वजनिक निकाय या किसी संस्था जिसका विशिष्ट ान दिया जा सकता है जिसका विषिकानूनी अस्तित्व हो, को सहायता अनुदान दिया जा सकता है। इस प्रकार, किसी प्राधिकारी द्वारा छात्रावृत्ति सहित सहायता अनुदान इनको स्वीकृत किए जा सकते हैं जो वित्तीय शक्ति प्रत्यायोजन नियमावली के तहत ऐसा करने के लिए सक्षम होः-

(ए) किसी विशिष्ट संविधि के तहत एक स्वायत्त संगठन के रूप में या सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 या भारतीय न्यास अधिनियम, 1882 या अन्य संविधियों के तहत पंजीकृत सोसाइटी के रूप में स्थापित संस्थाएं या संगठन।

(बी) सरकारी कल्याण योजनाओं और कार्यक्रमों को बढ़ावा देने के कार्यों में लगे स्वैच्छिक  संगठनों या गैर-सरकारी संगठनों का चयन, वित्तीय एवं अन्य संसाधनों, उनकी विश्वसनीयता और किए गए कार्यों के स्वरूप के संबंध में सुपरिभाषित मानदंडों के आधार पर किया जाना चाहिए।

(सी) छात्रों के लिए छात्रवृत्तियों या वृत्तिका के रूप में शैक्षणिक एवं अन्य संस्थाएं।

(डी) शहरी और ग्रामीण स्थानीय स्व-शासन संस्थाएं।

(ई) सहकारी समितियां।

(एफ) मनोरंजन के अवसरों के रूप में सामाजिक, सांस्कृतिक और खेलकूद क्रियाकलापों को बढ़ावा देने के लिए सरकारी कर्मचारियों द्वारा स्थापित सोसाइटियां या क्लब।

नियम 236 वही आगे प्रावधान करता है कि सभी अनुदानग्राही संस्थाओं या संगठनों के लेखे, संस्वीकृति प्राधिकारी द्वारा निरीक्षण के लिए और भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कर्तव्य, शक्तियां और सेवा की शर्तें) अधिनियम, 1971 के उपबंध के तहत भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक द्वारा लेखापरीक्षा और मंत्रालय या विभाग के प्रधान लेखा कार्यालय द्वारा आंतरिक लेखापरीक्षा, दोनों के लिए खुले रहेंगे, जब भी संस्था या संगठन से ऐसा करने के लिए कहा जाए तथा सहायता अनुदान के सभी संस्वीकृति आदेशों में इस आशय का एक प्रावधान अनिवार्यतः शामिल किया जाना चाहिए।

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