वित्तीय
उत्तर प्रदेश

31 मार्च 2020 को समाप्त हुए वर्ष के लिए राज्य सरकार के वित्त पर लेखापरीक्षा प्रतिवेदन वर्ष 2021 का प्रतिवेदन संख्या-4

दिनांक जिस पर रिपोर्ट की गई है:
Fri 17 Dec, 2021
शासन को रिपोर्ट भेजने की तिथि:
सरकार के प्रकार:
राज्य
क्षेत्र वित्त

अवलोकन

उत्तर प्रदेश सरकार का राज्य के वित्त पर आधारित लेखापरीक्षा प्रतिवेदन वर्ष 2019-20 के दौरान राज्य के वित्तीय प्रदर्शन का आकलन करने एवं  वित्तीय आकड़ों के लेखापरीक्षा विश्लेषण पर आधारित आगतों को राज्य विधानमण्डल को प्रस्तुत करने का प्रयोजन रखता है। इस विश्लेषण को उचित परिप्रेक्ष्य में रखने हेतु, उत्तर प्रदेश राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन (संशोधन) अधिनियम 2016, चौदहवें  वित्त आयोग का प्रतिवेदन एवं 2019-20 के बजट अनुमानों में परिकल्पित लक्ष्यों के सापेक्ष व्यापक तुलनात्मक अध्ययन का प्रयास किया गया है।  इस प्रतिवेदन में पांच अध्याय हैं:

अध्याय I प्रतिवेदन के आधार एवं दृष्टिकोण तथा अन्तर्निहित आंकड़ों का वर्णन करता है एवं शासकीय लेखे की संरचना, बजटीय प्रक्रियाओं, प्रमुख सूचकांकों के सूक्ष्म राजकोषीय विश्लेषण एवं घाटे/अधिशेष सहित राज्य के राजकोषीय स्थिति का विहंगावलोकन प्रस्तुत करता है।

अध्याय II राज्य के वित्त का एक व्यापक परिप्रेक्ष्य प्रदान करता है एवं  विगत वर्ष की तुलना में प्रमुख राजकोषीय समुच्चयों में महत्वपूर्ण परिवर्तनों, 2015-16 से 2019-20 की अवधि के दौरान समग्र प्रवृत्तियो, राज्य के ऋण की वस्तुस्थिति एवं राज्य के वित्त लेखे पर आधारित लोक लेखे के मुख्य लेनदेनों का विश्लेषण करता है।

अध्याय III राज्य के विनियोग लेखों  पर आधारित है एवं राज्य सरकार के विनियोग एवं आवंटन प्राथमिकताओं की समीक्षा करता है तथा बजटीय प्रबंधन से सम्बन्धित संवैधानिक प्रावधानों से विचलन पर विवरण प्रस्तुत करता है।

अध्याय IV राज्य सरकार के विभिन्न प्राधिकारियों द्वारा प्रस्तुत लेखे की गुणवत्ता एवं निर्धारित वित्तीय नियमों, प्रक्रियाओं एवं निर्देशों के अनुपालन किए जाने की स्थिति पर व्यापक दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है।

अध्याय V राज्य के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) के वित्तीय प्रदर्शन, राज्य सरकार का पीएसयू में निवेश, पीएसयू को बजटीय सहायता, पीएसयू द्वारा लेखाओं के प्रस्तुतीकरण की स्थिति, पूंजी पर प्रतिफल एवं नियोजित पूंजी इत्यादि पर एक वृहद दृष्टिकोण प्रदान करता है।

यह प्रतिवेदन संविधान के अनुच्छेद-151 के अन्तर्गत उत्तर प्रदेश के राज्यपाल को प्रस्तुत किए जाने हेतु तैयार किया गया है।

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