हम कितने प्रकार के लेखापरीक्ष करते हैं?
लेखापरीक्षा के उद्देश्योंक के आधार पर हम सीएजी द्वारा लेखापरीक्षा को निम्नलिखित में वर्गीकृत करते है: अनुपालन लेखापरीक्षा (कालैस्पबल लिंक में अलग से विवरण किया गया है) वित्तीय सत्यापन लेखापरीक्षा (कालैस्पबल लिंक में अलग से विवरण किया गया है) निष्पायदन लेखापरीक्षा (कालैस्पबल लिंक में अलग से विवरण किया गया है) इन परम्परागत लेखापरीक्षा के अतिरिक्त, हम सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) प्रणाली और पर्यावरण मामलों पर भी कई सफल लेखापरीक्षा कर चुके हैं।
हम किसकी लेखापरीक्षा करते हैं?
सीएजी की लेखापरीक्षा के अंतर्गत आने वाले संगठन हैं:- भारतीय रेल, रक्षा और डाक और दूरसंचार सहित सभी संघ और राज्य सरकार विभाग। संघ और राज्य सरकार द्वारा नियंत्रित लगभग 1500 सार्वजनिक वाणिज्यक उद्यम जैसे सरकारी कंपनियां और निगम। संघ और राज्य सरकार द्वारा नियंत्रित और स्वामित्व वाले लगभग 400 गैर वाणिज्यिक स्वायत्त निकाय और प्राधिकरण। संघ से पर्याप्त रूप से वित्तपोषित निकायों और प्राधिकरणों जैसे स्थानीय निकायों और पंचायती राज संस्थाओं जो विकास कार्यक्रमों के कार्यावयन और सेवाऐं प्रदान करने के लिए महत्वपूर्ण आरंभिक स्तर की एजेंसिया हैं।
अपनी भूमिका निभाने के लिए सीएजी की क्या शक्तियां है?
उनके विस्तृत लेखापरीक्षा अधिदेश का प्रयोग निर्बाध रूप से करने के क्रम में अधिनियम का प्रावधान करता है: उनके लेखापरीक्षा के अधीन किसी कार्यालय या संगठन के निरीक्षण करने की शक्ति। सभी लेन-देनों की जांच और कार्यकारी से प्रश्नष करने की शक्ति। किसी भी लेखापरीक्षित सत्त्व से कोई भी रिकार्ड, पेपर, दस्तावेज मांगने की शक्ति। लेखापरीक्षा की सीमा और स्व रूप पर निर्णय लेने की शक्ति।
सीएजी के क्या कर्त्तव्य है?
जैसा संविधान के अनुच्छेद 149 में उल्लेखित है संसद ने 1971 में सीएजी के कर्तव्य, शक्तियां और सेवा की शर्तें अधिनियम नामक एक विस्तृत विधान को अधिनियमित किया जो उनके अधिदेश का वर्णन करता है और सरकार (केंद्र और राज्य) के लगभग प्रत्येक व्यय राजस्व संग्रहण या सहायता/अनुदान प्राप्त करने वाली इकाई उनकी लेखापरीक्षा के अंतर्गत आती हैं। उनका कर्तव्य अग्रलिखित की लेखापरीक्षा करना और उस पर रिपोर्ट तैयार करना है: संघ और राज्य सरकार के कोष (समेकित निधि) से संबंधित सभी प्राप्तियां और इस से किये गये व्यय। आकस्मिक व्यय (आकस्मिक निधि) और सरकार द्वारा धारित लोक धन उदाहरणत: केंद्र सहित राज्य स्तर पर डाक बचत, विकास पत्र (लोक लेखा) से संबंधित सभी लेन-देन। किसी भी सरकारी विभाग में रखे गये सभी व्यापार, उत्पादन, लाभ और हानि खाते, तुलन पत्र और अन्य सहायक खाते। सभी सरकारी कार्यालयों और विभागों के सभी स्टोर और स्टॉक खाते। सभी सरकारी कंपनियों और निगमों जैसे ओएनजीसी, सेल आदि के खाते। सरकारी धन प्राप्त करने वाले सभी स्वायत्त निकाय और प्राधिकरण जैसे नगर, आईआईएमज़, आईआईटीज़, राज्य स्वास्थ्य संस्थाओं के खाते। राष्ट्रापति राज्यपाल के अनुरोध या उनके अपनी पहल पर किसी निकाय या प्राधिकरण के खाते। अधिनियम राज्य सरकारों द्वारा अनुरक्षित सहायक खातों से राज्य सरकारों के खातों के संकलन का प्रावधान करता है।
सीएजी की स्वतंत्रता कैसे सुनिश्चियत की गई है?
संविधान निम्नलिखित रूप से सीएजी द्वारा लेखापरीक्षा की स्वतंत्र और निष्परक्ष प्रकृति के लिए सक्षम बनाता है: भारत के राष्ट्र पति द्वारा सीएजी की नियुक्ति पदच्यूति हेतु विशेष प्रक्रिया (जैसे सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश) भारत की समेकित निधि से वेतन और प्रभारित व्यय (दत्त मत) उनकी कार्य अवधि समाप्त होने के बाद किसी अन्य सरकारी कार्यालय में कार्य करने की अनुमति न होना।
हम कौन है?
प्रजातन्त्र में जिनके पास शक्तियां और जिम्मेदारियां होती है वे अपने कार्यों के प्रति जवाहदेह होने चाहिए। इस उद्देश्य हेतु संविधान ने कई संस्थागत तंत्र जैसे न्यायापालिका, सर्तकता निकाय और एक स्वतंत्र सर्वोच्च लेखापरीक्षा संस्था (साई) को अधिदेशित किया है। भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक और भारतीय लेखा तथा लेखापरीक्षा विभाग (आईएएडी) इसके अंतर्गत कार्य करते हुए भारतीय सर्वोच्च लेखापरीक्षा संस्था को गठित करते हैं। भारत के संविधान ने हमें राष्ट्र के लेखापरीक्षक के रूप में अधिदेशित किया है। इस प्रकार हम जिम्मेदारी सुनिश्चिात करने के लिए एक यंत्र हैं। सविधान का अनुच्छेद 149-151 सीएजी की विशेष भूमिका निर्धारित करती है।