अनुपालना लेखापरीक्षा
अनुपालन लेखापरीक्षा एक मूल्यांकन है कि क्या लागू कानूनों, नियमों और विनियमों के प्रावधानों तथा सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी किए गए विभिन्न आदेशों और निर्देशों का अनुपालन किया जा रहा है। यह लेखापरीक्षा अपने स्वभाव से ही जवाबदेही, सुशासन और पारदर्शिता को बढ़ावा देता है क्योंकि इसका संबंध प्रतिवेदन के विचलनों, कार्य प्रणाली की कमजोरियों की पहचान करने तथा औचित्य का आकलन करने से है।
लेखापरीक्षा करते समय, लेखापरीक्षा टीम प्रारंभिक लेखापरीक्षा नोट जारी करती है और प्रबंधन से उत्तर प्राप्त करती है। उत्तरों के आधार पर, निरीक्षण प्रतिवेदन (भाग II ए और II बी) को अंतिम रूप दिया जाता है। भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक की संघ सरकार (वाणिज्यिक) प्रतिवेदन में शामिल करने हेतु संभावित निरीक्षण प्रतिवेदन कंडिका को तथ्यात्मक विवरण, संभावित मसौदा कंडिका एवं मसौदा कंडिका के रूप में विकसित किया गया है। मसौदा कंडिका को अंतिम रूप देने से पहले, विभिन्न चरणों में प्रबंधन के उत्तरों पर विचार किया जाता है और लेखापरीक्षा प्रतिवेदन में शामिल किया जाता है। मसौदा कंडिका को कार्रवाई नोट्स के माध्यम से कार्यप्रणाली में सुधार हेतु और विकसित किया गया है एवं सार्वजनिक उपक्रम समिति (सीओपीयू) द्वारा चर्चा की गई है। भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक द्वारा अनुमोदित लेखापरीक्षा प्रतिवेदन को संसद के दोनों सदनों में रखा जाता है और इस कार्यालय द्वारा इसकी निगरानी की जाती है तथा कार्रवाई नोट्स (एटीएन) के माध्यम से सीओपीयू को रिपोर्ट की जाती है।
निकायों और प्राधिकरणों की लेखापरीक्षा विभागीय पदोन्नति समिति अधिनियम, 1971 की धारा 14, 15, 19(2), 19(3) और 20 के प्रावधानों द्वारा शासित होता है।