लेखापरीक्षा रिपोर्ट
Jharkhand
प्रतिवेदन संख्या 2 वर्ष 2022 - 31 मार्च 2021 को समाप्त हुए वर्ष का राज्य वित्त लेखापरीक्षा प्रतिवेदन
अवलोकन
संविधान के अनुच्छेद 151 के अंतर्गत तैयार 31 मार्च 2021 को समाप्त हुए वर्ष हेतु झारखण्ड सरकार के राज्य वित्त पर भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक का प्रतिवेदन झारखण्ड के राज्यपाल को 05.05.2022 को समर्पित किया गया। प्रतिवेदन विधानसभा में 04.08.2022 को प्रस्तुत किया गया।
प्रतिवेदन में उल्लिखित महत्वपूर्ण बिंदुओं के सारांश नीचे इंगित किये गये हैं:
अध्याय-1 प्रतिवेदन के आधार और दृष्टिकोण एवं अंतर्निहित आंकड़ें, सरकारी लेखों की संरचना, बजट प्रक्रियाओं, प्रमुख संकेतकों के वृहत राजकोषीय विश्लेषण और घाटे/अधिशेष सहित राज्य की राजकोषीय स्थिति का विवरण है।
राज्य को 2020-21 में ₹ 3,114 करोड़ का राजस्व घाटा हुआ था। मार्च 2021 के अंत में राज्य का राजकोषीय घाटा स.रा.घ.उ. का 4.70 प्रतिशत था।
कंडिका- 1.5.1
वास्तविक आंकड़ो पर पहुंचने के क्रम में, अनियमितता जैसे स्पष्ट देनदारियों के आस्थगन के प्रभाव, समेकित निधि में उपकर/रॉयल्टी जमा नहीं करने, नई पेंशन योजना में कम योगदान, ह्रास तथा मोचन निधि आदि को बदलने की आवश्यकता है। लेखापरीक्षा के उपरान्त, राजस्व घाटा और राजकोषीय घाटा ₹ 188.18 करोड़ से कम बताया गया था। इसी प्रकार वित्त लेखों में राजस्व और राजकोषीय घाटा ₹ 3113.86 करोड़ और ₹ 14,910.74 करोड़ बताया गया जो वास्तव में ₹ 3,302.04 करोड़ तथा ₹ 15,098.92 करोड़ था।
कंडिका- 1.6.1
अध्याय-2 राज्य के वित्त का एक व्यापक परिप्रेक्ष्य, पिछले वर्ष के सापेक्ष प्रमुख राजकोषीय समुच्चय में महत्वपूर्ण परिवर्तनों का विश्लेषण प्रस्तुत करता है।
2020-21 के दौरान, राज्य का राजस्व व्यय कुल व्यय का 83.30 प्रतिशत था, जिसका 42.98 प्रतिशत वेतन और मजदूरी, ब्याज भुगतान और पेंशन पर खर्च किया गया था। वेतन और मजदूरी, ब्याज भुगतान और पेंशन पर किया गया व्यय 2020-21 में राजस्व प्राप्तियों का 45.32 प्रतिशत था।
कंडिका- 2.4.1
2020-21 के दौरान, पिछले वर्ष की तुलना में सामान्य सेवाओं पर 38 प्रतिशत और आर्थिक सेवाओं पर 14 प्रतिशत कम व्यय के कारण पूंजीगत व्यय मे ₹ 1,413 करोड़ की कमी आई।
कंडिका- 2.4.3
कुल मिलाकर राजकोषीय देनदारियाँ (कुल ऋण) 2019-20 में ₹ 94,407 करोड़ से बढ़कर 2020-21 में ₹ 1,09,185 करोड़ हो गई। राजकोषीय दायित्व का स.रा.घ.उ. से अनुपात एम.टी.एफ.पी के लक्ष्य 32.60 प्रतिशत के विरुद्ध 33.90 प्रतिशत था। बढ़ते दायित्वों राज्य सरकार के लिए वित्त की वहनीयता का मुद्दा उठाया। बिहार और झारखण्ड के उत्तराधिकारी राज्यों के बीच समग्र बिहार राज्य की राजकोषीय दायित्वों का विभाजन अब तक नहीं किया गया है।
कंडिका- 2.5.4
अध्याय-3 राज्य के विनियोग लेखों और राज्य सरकार के विनियोग और आवंटन प्राथमिकताओं की समीक्षा और बजटीय प्रबंधन से संबंधित संवैधानिक प्रावधानों से विचलन पर आधारित है।
वर्ष 2020-21 के दौरान अनुदानों के अधीन कुल बचत ₹ 21,819.49 करोड (कुल बजट का 22.66 प्रतिशत) अनियमित बजट अनुमान का द्योतक हैI आगे, इन अनुदानों में अंतिम चार वर्षों के दौरान कम से कम ₹ 6,500.64 करोड की सतत बचत हुईI
कंडिका- 3.1.1
वर्ष के दौरान 34 मामलों (प्रत्येक मामले में ₹ 0.50 करोड़ या उससे अधिक) में प्राप्त कुल ₹ 5,400.83 करोड (54.51 प्रतिशत) के अनुपूरक प्रावधान अनावश्यक साबित हुए क्योंकि व्यय मूल प्रावधानों के स्तर तक भी नहीं था।
कंडिका- 3.2.3
वर्ष 2001-02 से 2019-20 तक अनुदान/विनियोग पर ₹ 3,328.68 करोड की राशि का अत्यधिक संवितरण का राज्य विधानमंडल द्वारा नियमित किया जाना शेष है। इसके अतिरिक्त, वर्ष 2020-21 के दौरान एक विनियोग (13- ब्याज अदायगी) में ₹ 144.95 करोड का अधिक व्यय किया गया
कंडिका- 3.2.7
अध्याय-4 सरकार के विभिन्न प्राधिकरणों द्वारा प्रदान किए गए लेखों की गुणवत्ता और निर्धारित वित्तीय नियमों और विनियमों के अनुपालन नहीं करने के मुद्दों पर टिप्पणी करता है।
मार्च 2021 तक एकत्रित ₹ 609.33 करोड़ राशि का श्रम उपकर को श्रम कल्याण बोर्ड (अक्टूबर 2021) में स्थानांतरित नहीं किया गया जिससे संबंधित वर्षों के दौरान (2008-21) राजस्व अधिशेष में वृद्धि हुई और राजकोषीय घाटे में कमी हुई।
कंडिका- 4.1.1
राज्य में 31 मार्च 2021 तक, ₹ 88,047.48 करोड़ राशि के 34,017 उपयोगिता प्रमाणपत्र (यू.सी) 2020-21 तक विभिन्न विभागों के पास बकाया थे।
कंडिका- 4.5
31 मार्च 2021 को, 2020-21 तक आहरित ए.सी. विपत्र के विरुद्ध भारी मात्रा में ₹ 6,018.98 करोड़ के डी.सी. विपत्र (18,272) जमा नहीं किए गए।
कंडिका- 4.6
अध्याय 5 - सरकारी कंपनियों और सरकार द्वारा नियंत्रित अन्य कंपनियों के वित्तीय प्रदर्शन का सारांश प्रस्तुत करता है।
सीएजी के लेखापरीक्षा क्षेत्राधिकार के तहत 31 राज्य सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम (एसपीएसई) थे। इनमें से, केवल 16 एसपीएसई (एक राज्य सरकार नियंत्रित अन्य कंपनी सहित) के 2020-21 (पिछले तीन वर्षों) तक वित्तीय प्रदर्शन अद्यतन खातों के आधार पर थे, केवल एक ने वर्ष 2020-21 के लिए अपने खातों को अंतिम रूप दिया, 08 एसपीएसई ने वर्ष 2019-20 के लिए खातों को अंतिम रूप दिया और 07 एसपीएसई ने वर्ष 2018-19 के लिए 31 मार्च 2021 तक अपने खातों को अंतिम रूप दिया।
कंडिका- 5.4
एसपीएसई का कारोबार 2018-19 में ₹ 4,433.80 करोड़ रुपये से बढ़कर 2019-20 में ₹ 5,605.82 करोड़ था, जो 2020-21 में घटकर ₹ 5,603.41 करोड़ हो गया।
कंडिका- 5.5
विद्युत क्षेत्र के एसपीएसई द्वारा ₹ 969.80 करोड़ (2018-19) से ₹ 1,357.80 करोड़ (2020-21) घाटे के कारण 2018-19 में विद्युत क्षेत्र का आरओसीई (-) 4.66 प्रतिशत से घटकर 2019-20 तथा 2020-21 में (-) 6.42 प्रतिशत हो गया। 2018-19 से 2020-21 की अवधि के दौरान, गैर-विद्युत क्षेत्र का आरओसीई 1.71 प्रतिशत से घटकर 1.14 प्रतिशत हो गया।
कंडिका- 5.15
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