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भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक का संघ सरकार, (जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग, जल शक्ति मंत्रालय) भूजल प्रबंधन एवं विनियमन पर निष्‍पादन लेखापरीक्षा- 2021 की रिपोर्ट संख्या- 9

दिनांक जिस पर रिपोर्ट की गई है:
शासन को रिपोर्ट भेजने की तिथि
सरकार के प्रकार
संघ
संघ विभाग
नागरिक
क्षेत्र पर्यावरण एवं सतत विकास,कृषि एवं ग्रामीण विकास,सोशल इन्फ्रास्ट्रक्चर

अवलोकन

भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक के 2021 की प्रतिवेदन संख्या 9 में वर्ष 2013-18 की अवधि के लिए भूजल प्रबंधन एवं नियमन की निष्पादन लेखापरीक्षा की टिप्पणियां शामिल हैं।

सिंचाई के लिए पानी की कुल आवश्यकता का लगभग 62 प्रतिशत, ग्रामीण जलापूर्ति में 85 प्रतिशत और शहरी जल आपूर्ति में 45 प्रतिशत भूजल से आता है। इसलिए, सतत विकास एवं भूजल का कुशल प्रबंधन भारत में नियमन के लिए एक जटिल चुनौती है।

बारहवीं योजना अवधि (2012-17) के दौरान Rs 3,319 करोड़ की अनुमानित लागत के साथ भूजल प्रबंधन एवं विनियमन पर एक केंद्रीय क्षेत्र योजना के कार्यान्वयन को मंजूरी दी गई थी और भूजल संसाधनों के उचित मूल्यांकन एवं प्रबंधन का समग्र उद्देश्य रखना ताकि इसकी स्थिरता को सुनिश्चित किया जा सके। इस योजना को 2017-20 के दौरान Rs 992 करोड़ की अनुमानित लागत से जारी रखा गया था।

भूजल का प्रबंधन

पुनर्भरण के संबंध में भूजल के उपयोग का प्रतिशत, जिसे देश में भूजल के निष्कर्षण स्तर के रूप में जाना जाता है, 63 प्रतिशत था। 13 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में, निष्कर्षण का चरण राष्ट्रीय स्तर के निष्कर्षण की तुलना में अधिक था। चार राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों (दिल्ली, हरियाणा, पंजाब एवं राजस्थान) में निष्कर्षण का स्तर 100 प्रतिशत से अधिक था, यह दर्शाते हुए कि भूजल का निष्कर्षण, भूजल के पुनर्भरण से अधिक हो गया था।

2015 के आंकड़ों के अनुसार सी.जी.डब्ल्यू.बी. के द्वारा जांच किए गए 32 राज्यों में 15,165 स्थानों के आधार पर, भूजल में आर्सेनिक (697 स्थानों), फ्लोराइड (637 स्थानों), नाईट्रेट (2,015 स्थानों), लोहा (1,389 स्थानों) और लवणता (587 स्थानों) का अनुमेय सीमा से संदुषक का स्तर अधिक था।

भूजल विनियमन

अनापत्ति प्रमाण-पत्र में निर्धारित शर्तों के अनुपालना के सत्यापन हेतु उद्योगों/परियोजना स्थलों (व्यक्तिगत परिवारों के अलावा) के संयुक्त क्षेत्रों के दौरे के दौरान, अनापत्ति प्रमाण-पत्र में उल्लिखित शर्तों का व्यापक अनुपालन देखा गया जैसे भूजल का अवैध निष्कर्षण (आंध्र प्रदेश), जल प्रवाह मीटर को स्थापित नहीं करना (गुजरात, ओडिशा एवं पश्चिम बंगाल), वर्षा जल पुनर्भरण संरचनाओं का अनुचित रखरखाव (गुजरात एवं हरियाणा), जल गुणवत्ता डेटा की निगरानी का अभाव (ओडिशा), अधिसूचित/अति-दोहन क्षेत्र में जल का अपव्यय (कर्नाटक) आदि।

भूजल प्रबंधन एवं विनियमन पर योजनाओं का कार्यान्वयन

2012-19 हेतु Rs 2,349.48 करोड़ के बजट आकलन के संबंध में योजना के तहत वास्तविक व्यय Rs 1,109.73 करोड़ था। कार्यक्रम में शामिल 201 रिपोर्टों में से, नवंबर 2019 तक केवल 168 जिलों की एक्विफर मैपिंग रिपोर्ट जिला प्रशासन के साथ साझा की गई थी।

सतत विकास लक्ष्य और भूजल

लक्ष्य 6.4 के तहत 70 प्रतिशत की शुद्ध वार्षिक उपलब्धता के बजाए प्रतिशत वार्षिक भूजल निष्कर्षण हेतु लक्षित मूल्य के विपरीत राष्ट्रीय स्तर 63 प्रतिशत था।

 

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