महालेखाकार कार्यालय का इतिहास राज्य के इतिहास के साथ अटूट रूप से जुड़ा हुआ है। हैदराबाद रियासत में नौ तेलुगु भाषी, पाँच मराठी भाषी और तीन कन्नड़ भाषी ज़िलों में तत्कालीन ब्रिटिश भारत के समान, विदेशी संबंधों और सेना के अतिरिक्त सभी प्रशासनिक विभाग थे। महालेखाकार कार्यालय, जिसे "सदर महसबी" के रूप में जाना जाता है, वित्त विभाग के अधीन और हैदराबाद सिविल सेवा अधिकारी के नेतृत्व में कार्यरत है, ने स्वायत्तता से कार्य किया है और कार्यालय के लिए एक पृथक अ.ले.प.से संवर्ग था। लोक-भाषा उर्दू थी और पदनाम उर्दू में थे। सड़क परिवहन निगम सहित निज़ाम राज्य रेलवे के खाते, जो एक राष्ट्रीयकृत सेवा थी, की लेखापरीक्षा रेलवे लेखापरीक्षा स्कंध द्वारा की जाती थी जो महालेखाकार कार्यालय का एक भाग था।

हैदराबाद राज्य में वर्ष 1948 से 1950 तक सैन्य शासन था और हैदराबाद में निज़ाम को राज प्रमुख के रूप में तैनात कर भाग “ख” राज्य बनाया गया था। लगभग उसी समय, स्वतंत्र भारतीय संघ के साथ राज्य का संघीय वित्तीय एकीकरण हुआ और महालेखाकार कार्यालय को नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक की अध्यक्षता में मुख्यालय, नई दिल्ली में स्थापित कर भारतीय लेखापरीक्षा एवं लेखा विभाग के अधीन लाया गया था। श्री जहीरुद्दीन अहमद, एक बहुत लोकप्रिय और कुशल हैदराबाद सिविल सेवा अधिकारी, जो एकीकरण से पहले कार्यालय प्रमुख थे, 1956 तक कार्यारत रहे।

यद्यपि वर्ष 1953 में तत्कालीन मद्रास राज्य के तेलुगु भाषी जिलों को मुख्य प्रांत से अलग कर कर्नूल को राजधानी बनाते हुए आंध्र प्रदेश नामक नया राज्य बनाया गया था, कर्नूल में पर्याप्त आवास की कमी के कारण महालेखाकार कार्यालय सहित, नए राज्य के कई कार्यालय मद्रास में स्थित थे।

वर्ष 1956 में भाषाई राज्यों के पुनर्गठन और निर्माण के परिणामस्वरूप, भाग “ख” राज्यों को समाप्त कर दिया गया और पड़ोसी राज्यों के साथ विलय कर दिया गया। इस प्रकार, वर्ष 1956 में, हैदराबाद राज्य के नौ तेलुगु भाषी जिलों और आंध्र प्रदेश राज्य के एक तेलुगु भाषी जिले को विलय करके आंध्र प्रदेश राज्य का गठन किया गया था तथा हैदराबाद को इसकी राजधानी बनाया गया था। मद्रास शहर में कार्यरत आंध्र प्रदेश के महालेखाकार कार्यालय को भाग “ख”,  राज्य हैदराबाद के महालेखाकार कार्यालय के साथ विलय किया गया था तथा हैदराबाद को मुख्यालय बनाया गया था। मद्रास में स्थित शाखा कार्यालय वर्ष 1967 तक, जब कर्मचारियों के अंतिम बैच को हैदराबाद स्थित मुख्य कार्यालय में स्थानांतरित कर दिया गया, जारी रहा।

इस प्रकार वर्ष 1956 में वर्तमान महालेखाकार कार्यालय, आंध्र प्रदेश का गठन हुआ और वर्ष 1971 तक इसी प्रकार कार्य निष्पादन करता रहा, जब तक कि प्रथम वेतन और लेखा कार्यालय हैदराबाद शहर का गठन किया गया और राज्य सरकार द्वारा शहरी कार्यालयों के लेखापरीक्षा-पूर्व कार्य, राजपत्रित और गैर राजपत्रित दोनों हेतु, अपने अधिकार में ले लिया गया। मार्च 1972 में महालेखाकार, आंध्र प्रदेश के कार्यालय को दो कार्यालयों अर्थात म.ले. आं.प्र. I और II में विभाजित किया गया। आंध्र प्रदेश में स्थित भारत सरकार के विभागों के लेखांकन एवं हकदारी के कार्यों से संबंधित कार्य, वर्ष 1976 में आंध्र प्रदेश में स्थित भारत सरकार के विभिन्न विभागीय प्राधिकारियों को कार्यालयों और कर्मचारियों सहित (सभी 178 में) स्थानांतरित कर दिए गए थे। एक पृथक प्राधिकरण, अर्थात्, लेखा महानियंत्रक बनाया गया और प्रत्येक विभाग से संबंधित वेतन एवं लेखा कार्यालय को इसके अंतर्गत रखा गया था। प्रत्येक राज्य में महालेखाकार कार्यालय को केवल राज्य सरकार के संव्यवहारों के लेखा के रखरखाव और लेखापरीक्षा के कार्य दिए गए थे।

केंद्रीय लोक उपक्रम की लेखापरीक्षा, जो तब तक महालेखाकार के अधीन वाणिज्यिक लेखापरीक्षा स्कंध द्वारा की जाती थी, को अलग कर दिया गया एवं वर्ष 1978 में प्रधान निदेशक, लेखापरीक्षा तथा लेखापरीक्षा बोर्ड के पदेन सदस्य पदनाम से एक नया कार्यालय बनाया गया। हालांकि, राज्य सरकार के उपक्रमों की लेखापरीक्षा का दायित्व महालेखाकार कार्यालयों के वाणिज्यिक लेखापरीक्षा स्कंध को ही दिया गया। प्राप्ति लेखापरीक्षा, जिसे वर्ष 1960 में पहली बार प्रारंभ किया गया, ने करोड़ों रुपयों के अवनिर्धारण को उजागर कर कारण भारत सरकार की लोक लेखा समिति की सराहना तुरंत अर्जित की।

वर्ष 1984 में पृथक संवर्गों और वरिष्ठता के साथ लेखापरीक्षा और लेखा स्कंधों में कार्यालय अंतिम विभाजन हुआ। भा.ले.प.एवं ले.वि. के कार्यालयों को दो अलग-अलग कार्यात्मक श्रेणियों में पुनर्गठित किया गया, यथा, महालेखाकार (ले.एवं हक.), और महालेखाकार (लेखापरीक्षा) I और II। मार्च 1984 में इस कार्यालय को म.ले. (लेखापरीक्षा) I, आंध्र प्रदेश, हैदराबाद के कार्यालय के रूप में पुनर्नामित किया गया। दिनांक 6.12.1990 के प्रभाव से महालेखाकार (लेखापरीक्षा) के पद को प्रधान महालेखाकार (लेखापरीक्षा) I में अद्यतित किया गया। दिनांक 30 सितंबर 2004 के प्रभाव से प्रधान महालेखाकार (सिविल लेखापरीक्षा) और महालेखाकार (वाणिज्यिक और प्राप्ति लेखापरीक्षा), आंध्र प्रदेश, हैदराबाद के कार्यालय के रूप में कार्यों के आधार पर कार्यालय के संशोधित नामकरण किया गया है।

दिनांक 13-09-2005 के प्रभाव से प्रधान महालेखाकार (सिविल लेखापरीक्षा) के प्रशासनिक नियंत्रण में वरि. उपमहालेखाकार (स्थानीय निकाय लेखापरीक्षा और लेखा) का एक पृथक कार्यालय स्थापित किया गया। जुलाई 2011 में वरि.उप महालेखाकार (स्थानीय निकाय लेखापरीक्षा और लेखा) के कार्यालय को महालेखाकार (स्थानीय निकाय लेखापरीक्षा और लेखा) के कार्यालय के रूप में पदोन्नत किया गया है।

अप्रैल 2012 में महालेखाकार (सिविल लेखापरीक्षा) के कार्यालय, महालेखाकार (स्थानीय निकाय लेखापरीक्षा और लेखा) के कार्यालय और महालेखाकार (वाणिज्यिक और प्राप्ति लेखापरीक्षा) के कार्यालय, आंध्र प्रदेश का पुनर्गठन किया गया था। महालेखाकार कार्यालय (स्थानीय निकाय लेखापरीक्षा और लेखा) को महालेखाकार कार्यालय (सिविल लेखापरीक्षा) के साथ विलय कर दिया गया था तथा भूतपूर्व प्रधान महालेखाकार (सिविल लेखापरीक्षा) के कार्यालय का नाम प्रधान महालेखाकार (सामान्य एवं सामाजिक क्षेत्र लेखापरीक्षा) के कार्यालय में परिवर्तित किया गया तथा आंध्र प्रदेश सरकार की सामान्य और सामाजिक क्षेत्र में सभी विभागों की लेखापरीक्षा का कार्य सौंपा गया। भूतपूर्व महालेखाकार (वाणिज्यिक और प्राप्ति लेखापरीक्षा) के कार्यालय को प्रधान महालेखाकार (आर्थिक एवं राजस्व क्षेत्र लेखापरीक्षा) के कार्यालय के रूप में पुनर्नामित किया गया तथा आंध्र प्रदेश सरकार के राजस्व और आर्थिक क्षेत्र के सभी विभागों की लेखापरीक्षा का कार्य सौंपा गया। आंध्र प्रदेश और ओडिशा में स्थित सभी केंद्र सरकार के कार्यालयों की लेखापरीक्षा हेतु प्रधान निदेशक लेखापरीक्षा (केंद्रीय राजस्व) का नवीन कार्यालय बनाया गया। तीनों कार्यालयों का संवर्ग नियंत्रक प्राधिकारी प्रधान महालेखाकार (सा.एवं सा.क्षे.ले.प.) है।

आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के रूप में राज्य के विभाजन के उपरांत, दिनांक 01 अप्रैल, 2017 के प्रभाव से प्रधान महालेखाकार (लेखापरीक्षा) का कार्यालय, तेलंगाना का गठन किया गया। इस कार्यालय के पास तेलंगाना सरकार के सभी विभागों अर्थात् सामान्य एवं सामाजिक क्षेत्र, राजस्व और आर्थिक क्षेत्र सहित राज्य सरकार के लोक क्षेत्र उपक्रमों और स्वायत्त निकायों की लेखापरीक्षा का क्षेत्राधिकार है।

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