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यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यीडा) की निष्पादन लेखापरीक्षा, जनवरी 2018 में इसकी लेखापरीक्षा भारत के सीएजी को सौंपे जाने के पश्चात्, वर्ष 2005-06 से की गई थी।
निष्पादन लेखापरीक्षा का प्राथमिक ध्यान भूमि अर्जन, परिसम्पत्तियों का विकास और निर्माण तथा परिसम्पत्तियों के आवंटन के लिए यीडा द्वारा अपनाई गई नीतियों और प्रक्रियाओं पर था। इसके अतिरिक्त, महायोजनायें बनाने, परिसम्पत्तियों का मूल्य निर्धारण करने और आंतरिक नियंत्रण तंत्र की भी जाँच की गई थी ताकि इन क्षेत्रों में कमियों को उजागर किया जा सके और सुधारात्मक उपायों की संस्तुति की जा सके।
इस निष्पादन लेखापरीक्षा प्रतिवेदन की विषय-वस्तु को सात अध्यायों में व्यवस्थित किया गया है। अध्याय-I में लेखापरीक्षा सौंपना, लेखापरीक्षा के उद्देश्यों, लेखापरीक्षा मानदण्ड, लेखापरीक्षा का कार्यक्षेत्र एवं लेखापरीक्षा की कार्यविधि का वर्णन किया गया है। अन्य छः अध्यायों में यीडा के कार्यकलापों के विभिन्न पहलुओं क्रमशः नियोजन, भूमि का अर्जन, परिसम्पत्तियों का विकास और निर्माण, परिसम्पत्तियों का मूल्य निर्धारण, परिसम्पत्तियों का आवंटन तथा कॉर्पोरेट गवर्नेंस और आतंरिक नियंत्रण पर लेखापरीक्षा परिणाम सम्मिलित हैं।
उपरोक्त अध्यायों में सम्मिलित लेखापरीक्षा प्रेक्षणों में यीडा को राजस्व की हानि, कम वसूलियों, आवंटियों को अनुचित लाभ और परिहार्य/अतिरिक्त व्यय के दृष्टान्त सम्मिलित हैं जिनका मौद्रिक मूल्य ₹ 8,125.52 करोड़ है।
इन सभी तथ्यों ने यीडा के उद्देश्यों को प्राप्त करने में विफलता, यीडा की योजनाओं में अपनी जीवन पर्यंत बचत का निवेश करने वाले गृह क्रेताओं जैसे अंतिम उपभोग वाले हितधारकों हेतु परेशानी तथा यीडा को हानि के रूप में प्रतिबिंबित किया।