लेखा


लेखें प्रक्रियाएं

अनुभाग और कार्य

लेखा समूह
कोषालय विविध (टीएम)

यह अनुभाग लेखा समूह के अधीन है। इसका नेतृत्व शाखा अधिकारी अर्थात वरिष्ठ लेखा अधिकारी के नियंत्रण में सहायक लेखा अधिकारी द्वारा होता है।
अनुभाग मुख्य रूप से निम्नलिखित कार्य करता हैः

  1. कोषालय निरीक्षण (28 कोषालय और 40 उप कोषालय) और निरीक्षण प्रतिवेदन जारी करना।
  2. नए आहरण अधिकारियों को आहरण और संवितरण शक्ति प्रदान करना, और अस्थायी स्थापना के लिए, जब आवश्यक हो, आहरण शक्तियों की निरंतरता जारी करना।


विभिन्न गणमान्य व्यक्तियों को वेतन पर्ची जारी करना

महालेखाकार (लेखा एवं हकदारी) का कार्यालय निम्नलिखित गणमान्य व्यक्तियों के वेतन पर्ची जारी करने के कर्तव्य के साथ सौंपा गया है

  1. विधायकों
  2. न्यायाधीश
  3. लोक सेवा आयोग (आयोग के अध्यक्ष और सदस्य)
  4. आयोग (लोक आयोग)
  5. राज्य सूचना आयोग

महालेखाकार (लेखा एवं हकदारी) द्वारा जारी वेतन पर्ची के आधार पर ही उपर्युक्त अधिकारियों द्वारा वेतन आहरित किया जा सकता है।

वेतन पर्ची जारी करने के लिए आवश्यक दस्तावेजध्विवरण-

  1. न्यायाधीश
    1. भारत सरकार से अधिसूचना
    2. उच्च न्यायालय से अधिसूचना
    3. अंतिम वेतन प्रमाण पत्र
    4. अवकाश खाता
  2. विभिन्न आयोगों में सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की पुनर्नियुक्ति
    1. पूर्व विभाग से प्राप्त पेंशन का विवरण
    2. आयोग के साथ नियम और शर्तें
    3. राज्य से उनकी नियुक्ति के बारे में अधिसूचना
  3. विधायक
    1. सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी अधिसूचना.
    2. उनकी नियुक्ति के बारे में विवरण
    3. उनकी नियुक्ति के बारे में विवरण
    4. वेतन और भत्ते से संबंधित अधिसूचना

इस कार्यालय के कोषालय विविध अनुभाग द्वारा वेतन पर्ची जारी की जाती है।
निम्नलिखित परिस्थितियों में संशोधन एवं नए वेतन पर्ची जारी करने की आवश्यकता हैः

  1. जब वेतन में कोई बदलाव होता है
  2. जब विभिन्न भत्ते में कोई बदलाव होता है


केंद्रीय कोषालय अनुभाग (सीटी)

  • केंद्रीय कोषालय अनुभाग वह जगह है जहां सभी वाउचर और चालान सभी 28 जिला कोषालयों से प्राप्त होते हैं। वाउचर और चालान प्राप्त करने के बाद सीटी अनुभाग द्वारा सिस्टम में भुगतान की सूची दर्ज की जाती है। तब सभी बंडलों को आगे की कार्रवाई के लिए संबंधित कोषालय संकलन अनुभागों में भेजा जाता है।
  • केंद्रीय कोषालय अनुभाग में लेखापाल कोषालय से प्राप्त खाते की सामग्री को उनके साथ मुद्रित कवर सूची के साथ जांच करेगा और अपने दिनांकित हस्ताक्षर करेगा। यदि कोई दस्तावेज की जरूरत हैं तो इसे तुरन्त मांगा जाना चाहिए।
  • लेखापाल नकद खाते में प्रत्येक प्रविष्टि और भुगतान की सूचियों को समर्थन देने वाले अनुसूचियों और नकद खातों की शुरुआत और अंत में दिनांकित हस्ताक्षर के साथ सहमत शब्द लिखेंगे, भुगतान की सूची और अनुसूची के खिलाफ प्रत्येक प्रविष्टि के साथ जांच करेगा । यदि कोई विसंगति है तो इसे कोषालय अधिकारी को सूचित किया जाना चाहिए और बिना देरी के सुलझा लिया जाना चाहिए।


कोषालय संकलन अनुभाग (टीसी)

  • केंद्रीय कोषालय अनुभाग से भुगतान और प्राप्तियों की अनुसूचियाँ प्राप्त होने के बाद, संकलन अनुभाग में लेखापाल भुगतान की अनुसूची के साथ वाउचर की जांच करेंगे और भुगतान की अनुसूची को स्वतंत्र रूप से योग करेंगे कि कोषालय अधिकारी द्वारा निर्धारित अनुसूची में दर्ज योग सही है और भुगतान की अनुसूची पर अपने दिनांकित हस्ताक्षर के साथ (जाँच की गई) और ’’पूर्ण सहमत” के प्रमाण के साथ टीप दर्ज करते हैं।
  • यदि संकलन पूर्ण होने से पहले कोषालय से वाउचर प्राप्त नहीं हुआ है या यदि वसूली या प्राप्ति का सही वर्गीकरण का पता नहीं लगाया जा सका तो राशि को ”8658 उच्चंत खाता” मुख्य शीर्ष के अधीन “उच्चंत खाता” लघु शीर्ष के अंतर्गत “ओबी उच्चंत” में लेखांकित किया जाना चाहिए और शाखा अधिकारी या समूह अधिकारी के आदेश प्राप्त करने के बाद संबंधित आपत्ति पुस्तिका में शामिल किया जाना चाहिए।

 

लंबित डीसी बिल वर्ष 2016-17 के लिए एसी बिल के तहत आहरित की गई राशि को समायोजित करने के लिए कुल लंबित डीसी बिल निम्नानुसार दर्शित हैं।

वर्ष असमायोजित एसी बिल तिमाही 7/16 से 9/16 के दौरान समायोजित एसी बिल अंतशेष
  क्र. रूपये (करोड़ में) क्र. रूपये (करोड़ में) क्र. रूपये (करोड़ में)
2015-16 35 4.64 6   29 4044
2016-17 219 1510.12 94 1494.36 125 15.84

राज्य सरकार से अप्राप्त लंबित उपयोगिता प्रमाण पत्र

दिये गए अनुदान के लिए अप्रस्तुत उपयोगिता प्रमाण पत्र जब किसी संस्था/निकाय/डीडीओ/बीसीओ को अनुदान जारी किया जाता है तो अनुदानदाता द्वारा उपयोगिता प्रमाण पत्र को निर्धारित प्रारूप में महालेखाकार को जमा करना होगा। हालांकि, नीचे वर्णित उपयोगिता प्रमाण पत्र विगत 5 वर्षों से महालेखाकार को जमा नहीं किए गए हैं।

वर्ष सामग्री रूपये (करोड़ में)
2011-12 तक 863 32,47,13,28,584
2012-13 347 14,18,45,53,288
2013-14 366 18,05,71,22,900
2014-15 182 8,29,98,09,230
2015-16 (06/2015 तक) 90 2,19,75,96,724
कुल 1848 75,21,04,10,726

वाउचर लेवल कम्प्यूटरीकरण (वीएलसी)

कोषालय से प्राप्त वाउचर से लेखों को संकलित करने के लिए वर्ष 2001-02 में वीएलसी परियोजना शुरू की गई थी। वीएलसी पूरी तरह से सितंबर 2001 में परिचालित हुआ और छत्तीसगढ़ कार्यालय में पहला लेखा इसी माह से संकलित किया गया।

वीएलसी के लाभः

वाउचर प्रक्रिया की दक्षता और प्रभावशीलता में सुधार करने के लिए। मासिक लेखों, वित लेखों, विनियोग लेखों और विभिन्न अन्य आंतरिक रिपोर्टों को एक कुशल तरीके से उत्पन्न करने के लिए।

प्रभावी निर्णय लेने में संबंधित राज्य सरकार प्राधिकरणों की सहायता के लिए विभिन्न स्तरों मे समय पर सटीक जानकारी प्रदान करना।

आबंटित बजट में से विभिन्न राज्य सरकार के विभागों द्वारा किए गए व्यय को प्रभावी ढंग से निगरानी करने के लिए।

लेखापरीक्षा को अधिक कुशलता से करने में मदद करने के लिए।

चालू खाता विभाग अनुभाग (एसीडी)

एसीडी अनुभाग में केन्द्र सरकार के विभिन्न मंत्रालय से लेखे प्राप्त होते हैं। यह लेखे उस मंत्रालय में छत्तीसगढ़ राज्य से प्रतिनियुक्ति पर गये अधिकारियों/कर्मचारियों के जी.पी.एफ. अंशदान व समूह बीमा से संबंधित हैं, जिनका लेखा, महालेखाकार छत्तीसगढ़ द्वारा संधारण किया जाता है। ऐसे लेखे में महालेखाकार के नाम से चेक प्राप्त होता है, जिसे आहरण कर जी.पी.एफ. अंशदान संबंधित अधिकारी के खातों में दर्ज करने हेतु सूचना-पर्ची, ई.डी.पी. (जी. पी. एफ.) अनुभाग को भेजी जाती है। विवरण का एक अन्य स्त्रोत रेलवे वारंट भी है। महालेखाकार, राज्य सरकार की एवज में ए.सी.डी. अनुभाग द्वारा निपटारा किया जाता है। राज्य सरकार पेंशन वाउचर को भेजती है जिसे हमारे कार्यालय में संकलित किया जाता है और बाद में खाते तैयार किये जाते है। पेंशन का आंबटन एमपी/सीजी के बीच 73.38% के जनसंख्या अनुपात में किया जाता है। विभिन्न राज्यों के बीच पेंशन का निपटारा एसीडी के माध्यम से किया जाता है।

बुक :

सभी कोषालय संकलन अनुभागों, निर्माण लेखा विभाग, वन विभाग, चालू खाता विभाग से मासिक सिविल खाते इस अनुभाग में प्राप्त किए जाते हैं। मासिक रूप से इन खातों की जांच की जाती है और बाद में राज्य सरकार को भेजा जाता है। इसकी एक प्रति मुख्यालय कार्यालय को भी भेजी जाती है। यदि किसी भी खाते में अंतर होता है तो विभिन्न स्तरों पर अर्थात सरकारी स्तर, बैंक स्तर पर तदनुसार सुलझाया जाता है। अंतर को सुलझाने के लिए किए गए सभी प्रक्रियाओं से राज्य सरकार, रिजर्व बैंक, अन्य बैंकों और मुख्यालयों को सूचित किया जाता है। बुक अनुभाग में दिए गए आंकड़ों के आधार पर परिशिष्ट I - कैश बैलेंस और कैश बैलेंस के निवेश के तहत वित्त खाते में वर्णित किया जाता है।

रिपोर्ट अनुभाग

रिपोर्ट अनुभाग वार्षिक खाते अर्थात वित्त खाता और विनियोग खाते तैयार करता है। भारत के नियंत्रक - महालेखापरीक्षक द्वारा अनुमोदन के पश्चात दोनों खातों को राज्य विधायिका के समक्ष रखा जाता है। ये खाते संविधान के अनुच्छेद 149 और 151 की आवश्यकताओं एवं भारत के नियंत्रक - महालेखापरीक्षक (कर्तव्यों, शक्तियों और सेवा की शर्तों) अधिनियम, 1971 के अनुसार तैयार किए जाते हैं।

ऋण/जमा -

यह अनुभाग शासन द्वारा लिए गए ऋणों तथा जमा से संबंधित कार्य करता है । ऋण और जमा के लिए डेटा का स्रोत कोषालयों से प्राप्त होता है। हार्ड कॉपी में प्राप्त डेटा को केंद्रीय कोषालय द्वारा सुरक्षित रखा जाता है और सहायक चालान को ऋण एवं जमा अनुभाग में भेजा जाता है। धन-ऋण पत्रक केंद्रीय कोषालय से या सीधे प्राप्त किया जाता है। धन-ऋण पत्रक की सहायता से, ब्रॉडशीट्स में सिविल लेखें के साथ तुलना करके पोस्ट की जाती है। विभिन्न विभागों या कोषालयों से पत्राचार कर खातों में अंतर को संशोधित किया जाता है।

सार्वजनिक ऋण (ऋण) - केंद्र सरकार से राज्य सरकार के हिस्से पर ऋण महालेखाकार कार्यालय द्वारा बनाए रखा जाता है। बुक अनुभाग से प्राप्त केंद्रीय ऋण से संबंधित आंकड़े ऋण एवं जमा अनुभाग द्वारा रखरखाव किये जाते हैं। प्रक्रियाओं तहत ऋण के पुर्वभूगतान का आंकड़ा और राज्य सरकार की सहमति से, भारतीय रिजर्व बैंक को पुर्वभूगतान की सलाह जारी किया जाता है। इस प्रकार ब्याज के साथ ऋण राज्य द्वारा केंद्र सरकार को चुकाया जाता है। परिपक्वता विवरण के लिए आंकड़े (मूलधन और ब्याज) वित्त लेखें के विवरण 15 और अनुलग्नक में समेकित किया जाता है। व्यक्तिगत जमा खातों से संबंधित जानकारी लेखापरीक्षा को प्रदान की जाती है।

निर्माण विभागः-

राज्य में 154 संभाग हैं। 154 संभागों से संकलित लेखे हार्ड कॉपी में हर महीने डाक या संदेशवाहक के माध्यम से प्राप्त होते हैं। आंकड़ों की प्रविष्टि के बाद राज्य निर्माण लेखा (प्राप्ति/व्यय) तैयार किया जाता है और प्रतिवेदन को आगे की कार्यवाही के लिए बुक अनुभाग, केंद्रीय कोषालय अनुभाग, कोषालय विविध अनुभाग और लेखापरीक्षा को भेजा जाता है।

वनः-

राज्य में 53 मंडले हैं। हर महीने 53 मंडलों के संकलित लेखे हार्ड कॉपी में प्राप्त होते हैं। आंकड़ा प्रविष्टि पूरा होने के पश्चात खाते निर्माण कर बुक अनुभाग को प्रस्तुत किया जाता है।

कार्य

1- लेखे

तैयारी और प्रस्तुतीकरण

  1. राज्य सरकार के मासिक सिविल खाते (अगले महीने के 25वें तिथि)

    प्रक्रियाः अगले महीने के हर 25वें तिथि को राज्य सरकार को मासिक सिविल खाता प्रदान किया जाता है। हर महीने कोषालय से खाते इलेक्ट्रॉनिक रूप से एनआईसी से प्राप्त होते हैं। निर्माण, आरईएस और वन मंडलो के खाते संकलित रूप में प्राप्त होता है और डेटा प्रविष्टियां की जाती हैं। प्रारंभिक जांच और प्रक्रियाओं को पूरा करने के बाद, मासिक सिविल खाते बनाये जाते हैं।

    स्थितिः अप्रैल 2016 के माह के लिए मासिक सिविल लेखों का निर्माण कर दिनांक 27.05.2016 को राज्य सरकार को भेजा किया गया है।

  2. वित्त एवं विनियोग खाते

    प्रक्रियाः वित्त एवं विनियोग खाते तैयार कर भारत के नियंत्रक - महालेखापरीक्षक को प्रस्तुत किए जाते हैं। प्रस्तुत करने की नियत तिथि प्रतिवर्ष के 17 सितंबर है। भारत के सीएजी द्वारा अनुमोदन के बाद, खातों को विधायिका के समक्ष रखा जाता है। भारत के संविधान के अनुच्छेद 149 और 151 के आवश्यकता और सीएजी के (कर्तव्यों, शक्तियों और सेवा की शर्तों) अधिनियम, 1971 के अनुसार मध्य प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम के प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए वित्त लेखें तैयार किये जाते हैं। वर्ष 2009-10 से वित्त लेखों का प्रारूप संशोधित किया गया है। वित्त लेखें में 22 बिन्दुएं और 13 परिशिष्ट शामिल हैं।

    स्थिति : 04-11-2015 को भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक द्वारा वर्ष 2014-15 के लिए वित्त लेखा पर हस्ताक्षर किए गए थे और इसे 23-12-2015 को राज्य विधानसभा के समक्ष रखा गया था। वर्ष 2015-16 के लिए खाते की तैयारी प्रगति पर है।

  3. आवधिक अंतराल पर कोषालय का निरीक्षण।

    प्रक्रियाः छत्तीसगढ़ राज्य में 28 जिला कोषालय और 40 उप-कोषालय है। कोषालयों को मासिक नकद खाता महालेखाकार को प्रस्तुत करने को कहा गया है। यह कार्यालय कोषालय और उप-कोषालय का आवधिक निरीक्षण आयोजित करता है और इस तरह के निरीक्षण पर निष्कर्ष निकालते है, ये हमारी निरीक्षण रिपोर्ट में शामिल होते है और महालेखाकार द्वारा किए गए अवलोकन पर कार्रवाई करने के लिए निरीक्षण रिपोर्ट संबंधित कोषालय को जारी किया जाता है। इस कोषालय के वार्षिक संपादन पर भी एक रिपोर्ट तैयार की जाती है जो भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक और राज्य सरकार को प्रस्तुत किया जाता है।

    स्थितिः योजना के अनुसार वर्ष 2015-16 में 28 जिला कोषालयों और 13 उप-कोषालयों का कोषालय निरीक्षण किया गया है।

  4. संभागीय लेखाकारों के संवर्ग प्रबंधन

    महालेखाकार (लेखा एवं हकदारी) को राज्य में विभिन्न पीडब्ल्यूडी, पीएचई और जल संसाधन विभाग में कार्यरत संभागीय लेखाकारों के कैडर प्रबंधन की जिम्मेदारी सौंपा गया है।

    कैडर प्रबंधन में प्रशिक्षण, पदोन्नती, पदस्थापना एवं स्थानांतरण, प्रारंभिक अनुशासनात्मक कार्यवाही, पदोन्नती हेतु परीक्षा आयोजित करना, इत्यादि शामिल हैं।

 

राज्य में मंडलो की संख्या है : -
पीडब्ल्यूडी 56
पीएचई 36
डब्ल्यूआरडी 62
कुल 154


31-12-2014 कि स्थिति में विभिन्न मंडलो में 111 मंडल लेखाकार कार्यरत हैं।

विवरण निम्नानुसार हैं :
वरिष्ठ मंडल अधिकारी 23
मंडल लेखा अधिकारी 1 37
मंडल लेखा अधिकारी 2 28
मंडल लेखाकार सामान्य 23
कुल 111