लोक लेखा समिति (PAC)
लोक लेखा समिति (PAC) संसद के चयनित सदस्यों की एक समिति है, जो भारत सरकार के राजस्व और व्यय के अंकेक्षण के प्रयोजन के लिए गठित की जाती है। वे परीक्षित करते हैं कि संसद के मूल सिद्धांत, संसद जनता की इच्छाओं का प्रतीक है के सिद्धांत पर संसद, कार्यपालिका की विभिन्न शाखाओं पर नियंत्रण रखे। यह सरकार पर विशेष रूप से व्यय विधेयक के संबंध में एक निरीक्षक के रूप में कार्य करता है और इसका प्राथमिक कार्य नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (C&AG) की लेखापरीक्षा प्रतिवेदन को संसद में रखे जाने के बाद निरीक्षण करना है। C&AG, जाँच के दौरान समिति की सहायता करता है। इसके किसी भी सदस्य को सरकार में मंत्री बनने की अनुमति नहीं है। समिति का मुख्य कार्य यह पता लगाना है कि क्या संसद द्वारा दी गई धनराशि सरकार द्वारा मांग के दायरे में खर्च की गई है अथवा नहीं।
लोक लेखा समिति में अधिकतम बाईस सदस्य होते हैं, पंद्रह सदस्य संसद के निचले सदन, लोक सभा द्वारा चुने जाते हैं, एवं संसद के ऊपरी सदन, राज्य सभा से अधिकाधिक सात सदस्य होते हैं। आनुपातिक प्रतिनिधित्व के सिद्धांत के आधार पर, एकल हस्तांतरणीय मत के माध्यम से सदस्यों को संबंधित सदनों के सदस्यों में से हर साल चुना जाता है। समिति के अध्यक्ष की नियुक्ति लोकसभा स्पीकर द्वारा की जाती है। सदस्यों का कार्यकाल एक वर्ष का होता है।
वर्तमान पीएसी की अगुवाई जुलाई 2019 से अधीर रंजन चौधरी कर रहे हैं, जो मल्लिकार्जुन खड़गे के बाद लोकसभा में कांग्रेस के नेता हैं।